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वन-टाइम फीस, रिन्यूअल पर नहीं पड़ेगा कोई असर… H-1B वीजा पॉलिसी पर ट्रंप सरकार ने दूर किया कन्फ्यूजन, जानें पूरा अपडेट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर 1,00,000 डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) की नई वन-टाइम फीस लागू की है. यह नियम केवल नए आवेदन और आगामी लॉटरी साइकिल पर लागू होगा, जबकि मौजूदा वीजा धारकों व रिन्यूअल पर इसका असर नहीं पड़ेगा. इस बीच वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने आपातकालीन मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर +1-202-550-9931 जारी किया है.

Donald Trump(File Photo)

वॉशिंगटन से आई एक बड़ी खबर ने भारतीय आईटी सेक्टर और वर्किंग प्रोफेशनल्स में हलचल मचा दी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर भारी भरकम फीस लागू कर दी है. अब नए आवेदनकर्ताओं को 1,00,000 डॉलर यानी लगभग 88 लाख रुपये की फीस चुकानी होगी. यह फैसला सीधे तौर पर भारतीय टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स को प्रभावित कर सकता है क्योंकि हर साल हजारों भारतीय H-1B वीजा के जरिए अमेरिका जाते हैं. इस बीच वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास लगातार अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में है. ऐसे में जब अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले को लेकर जब आलोचना शुरू हुई तो व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने सफाई दी और भ्रम दूर किया. उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह फीस सालाना नहीं बल्कि वन-टाइम है और केवल नए पिटीशन पर लागू होगी.

फीस केवल नए आवेदनकर्ताओं के लिए

व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने स्पष्ट किया है कि यह फीस सालाना नहीं बल्कि वन-टाइम फीस होगी और केवल नए आवेदन पर लागू होगी. इसका मतलब है कि पहले से H-1B वीजा धारक या विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. USCIS यानी US सिटिज़नशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज ने भी साफ किया है कि यह नियम सिर्फ उन पिटीशनों पर लागू होगा जो अभी तक दायर नहीं हुए हैं. मतलब नया आदेश केवल नए आवेदन और आगामी लॉटरी साइकिल पर लागू होगा, कि वीजा रेन्यूअल या मौजूदा धारकों पर.

भारतीय आईटी सेक्टर पर असर

भारतीय आईटी इंडस्ट्री के लिए यह झटका माना जा रहा है क्योंकि H-1B वीजा लंबे समय से भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर और टेक्नोलॉजी कंपनियों की रीढ़ रहा है. हालांकि अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यह कदम सिस्टम को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है. लेविट ने यह भी दोहराया कि मौजूदा वीजा धारक सामान्य प्रक्रिया के तहत अमेरिका आ-जा सकते हैं और उन्हें नई फीस नहीं देनी होगी.

भारतीय दूतावास ने दिखाई तत्परता

भारतीय दूतावास भी इस फैसले पर लगातार नजर बनाए हुए है. वॉशिंगटन स्थित दूतावास ने आपातकालीन मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर +1-202-550-9931 जारी किया है. इस नंबर पर वॉट्सएप के जरिए भी संपर्क किया जा सकता है. यह सुविधा केवल भारतीय नागरिकों के इमरजेंसी मामलों में उपलब्ध होगी.

विदेश मंत्रालय का बयान

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन के इस कदम का गहन अध्ययन किया जा रहा है. मंत्रालय ने यह भी माना कि इंडियन इंडस्ट्री की शुरुआती एनालिसिस ने कई गलतफहमियों को दूर किया है. MEA का कहना है कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था इनोवेशन और क्रिएटिविटी पर टिकी है और इसी आधार पर आगे कंसल्टेशन का रास्ता तय होगा.

जानकारों का क्या है मानना?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप सरकार का यह कदम अमेरिकी नौकरी बाजार की सुरक्षा और लोकल रोजगार बढ़ाने के मकसद से लिया गया है. लेकिन इसका सीधा असर उन भारतीय इंजीनियरों और कंपनियों पर पड़ेगा जो अमेरिका में काम करने का सपना देखते हैं. अब आने वाले समय में देखना होगा कि भारत और अमेरिका इस मुद्दे पर किस तरह समाधान निकालते हैं.

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