Advertisement

'गद्दार...मुस्लिम देशों ने किया सरेंडर... ', ट्रंप के गाजा पीस प्लान का समर्थन कर फंसा शहबाज शरीफ, शुरू हुआ विद्रोह

शहबाज शरीफ ने ट्रंप के गाजा पीस प्लान का समर्थन कर धधकती आग में हाथ डाल दिया है. फिलिस्तीन को डायरेक्ट प्रभावित करने वाली ट्रंप की योजना को हरी झंडी देकर शहबाज ट्रंप के ट्रैप में फंस गया है. उन्हें गद्दार तक कहा जाने लगा है. पाकिस्तान में एक ऐसा विरोध, विद्रोह शुरू हुआ है जो पाक को जला सकता है.

Donald Trump Meeting Shahbaz Sharif And Asim Munir

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा गाज़ा को लेकर पेश किए गए 20 सूत्री गाजा शांति योजना का समर्थन कर पाकिस्तान बुरी तरह घिर गया है. ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ही उन्हें लुभाने की कोशिशों में लगा आतंकिस्तान इतना आगे निकल गया कि उसे पता ही नहीं चला कि उसने उस मुद्दे को छेड़ दिया है जिसकी लौ बुझेगी नहीं और उसे जलाकर राख कर देगा. भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद ट्रंप की मध्यस्थता के दावे को मानना, नोबेल पीस प्राइज के लिए नामित करना, रेयर अर्थ मिनरल की डील सहित कई ऐसे मुद्दे हैं जहां पाकिस्तान ने खुलकर अमेरिकी लाइन ली है, उसका समर्थन किया, लेकिन अब उसे ये भारी पड़ने लगा है.

शहबाज शरीफ की सफाई!

शहबाज़ शरीफ के विरोधियों ने एंटी इजरायल विरोध और गद्दारी वाला विरोध, विद्रोह सुलगाना शुरू कर दिया है. विपक्ष, कट्टरपंथी, आम नागरिक और डिप्लोमेटिक तबका ये कहने लगा है कि शहबाज ने ट्रंप के आगे सरेंडर कर दिया है. कहा तो ये भी जा रहा है कि पाक सरकार ने फिलिस्तीन के साथ धोखा दिया है. विरोध के सुर बुलंद होता देख, मामला बिगड़ता देख शरीफ ने सफाई देते हुए कहा कि ट्रंप के गाजा प्लान में उसकी सभी राय और मांगों को शामिल नहीं किया गया.

क्या है गाजा पीस प्लान?

आपको बता दें कि व्हाइट हाउस द्वारा ऐलान किए गए गाजा शांति योजना पर इजरायल, अमेरिका, मुस्लिम देशों सहित दुनियाभर के देशों ने अपनी सहमति दी है. गाजा के लिए ट्रंप की शांति योजना में एक अस्थायी तकनीकी सरकार की स्थापना का प्रावधान है. इजरायल गाजा पर कब्जा नहीं करेगा और किसी भी निवासी को जबरन बाहर नहीं निकाला जाएगा. समझौते में युद्ध को तत्काल समाप्त करने का प्रावधान है, बशर्ते इसे स्वीकार कर लिया जाए और सभी बंदियों, जीवित और मृत, को 72 घंटों के भीतर वापस लौटा दिया जाए. 

इस ऐलान के बाद से ही पाकिस्तान में बवाल मच गया है. उसका कहना है कि ये प्लान इजरायल द्वारा, इजरायल के लिए तैयार किया गया है, ये तेल अवीव की मांगों को ही प्राथमिकता देता है और फिलिस्तीनियों की इच्छा और सहमति को दरकिनार करता है. इन सबके बावजूद पाकिस्तान का इजरायल की किसी भी सहमति वाले प्लान का समर्थन करना पाकिस्तानियों को खल रहा है. 

ये मामला तब बढ़ा जब ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शहबाज़ शरीफ, पाक सेना और आसिम मुनीर की खुलेआम तारीफ की. उन्होंने कहा: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और फील्ड मार्शल शुरू से हमारे साथ थे. उन्होंने हमें साथ प्रतिशत समर्थन दिया है, वे कमाल के लोग हैं.

इसके बाद प्रधामनंत्री शहबाज़ शरीफ ने गाज़ा योजना का स्वागत करते हुए कहा कि फिलिस्तीनी "फिलिस्तीनी जनता और इजरायल के बीच स्थायी शांति ही क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास ला सकती है.” 

शरीफ के इस बयान ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया. तमाम पार्टियों दलों, विश्लेषकों, पत्रकारों और कट्टरपंथी तबके ने इसे 'सरेंडर' करार दिया है. इसे पाकिस्तानी सरकार के फिलिस्तीनियों को लेकर लॉन्ग स्टैंड से पीछे हटने का आरोप लगाया.

'ट्रंप के सामने मुस्लिम उम्मा ने कर दिया सरेंडर'

इस पूरे मसले पर पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने कहा कि मुस्लिम उम्मा ने ट्रंप और इजरायल के सामने पूरी तरह सरेंडर कर दिया है. उन्होंने अपनी सरकार को चेतावनी दी कि फिलिस्तीन के एक राष्ट्र या पूर्ण देश बनने से पहले पाकिस्तान का अब्राहम अकॉर्ड में शामिल होना पाकिस्तान के लिए “भारी भूल” होगी. 

वहीं मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन के नेता अल्लामा राजा नासिर ने गाजा प्लान को गलत और अन्याय बताया. उन्होंने साफ कहा कि यह योजना फिलिस्तीनियों की राय और इच्छा को दरकिनार कर अमेरिकी और इजरायली हितों को आगे बढ़ाती है. 

'ये ऐतिहासिक विश्वासघात है'

मानवाधिकार कार्यकर्ता और इमरान खान की सरकार में मंत्री रहीं शीरीन मजारी की बेटी इमान जैनब मजारी ने कहा, "फिलिस्तीन मुद्दे पर पाकिस्तान की जनता एकमत है. प्रधानमंत्री का यह कदम देश की ऐतिहासिक स्थिति से विश्वासघात है." 

वहीं लेखिका फातिमा भुट्टो ने पाकिस्तान के इजरायल से नॉर्मल रिलेशन को भी स्थापित करने को खारिज किया और कहा कि ये मोरल और इस्लामिक कर्तव्य से पलायन है. उन्होंने लिखा, “पाकिस्तानी जनता कभी दो-राष्ट्र नीति के सरेंडर को स्वीकार नहीं करेगी. केवल एक फिलिस्तीन है और वह इजरायल के कब्जे में है."

मजबही जमातों की भी सख्त चेतावनी

वहीं जमात-ए-इस्लामी प्रमुख हाफिज नईमुर रहमान ने शरीफ सरकार के गाजा पीस प्लान को स्वीकार करने को खारिज कर दिया. उन्होंने लिखा, "66,000 शहीद फिलिस्तीनियों की लाशों पर खड़ी किसी भी तथाकथित शांति योजना की तारीफ करना दरअसल गुनहगारों के साथ खड़ा होना है.” पूर्व वित्त मंत्री असद उमर ने भी प्रधानमंत्री की आलोचना की. रहमान ने आगे कहा कि "जब इजरायल का इतिहास हर समझौते को तोड़ने का रहा है, तो उसे चरणबद्ध वापसी का भरोसा क्यों? गाजा में 20 लाख की आबादी के लिए केवल 600 ट्रक राहत क्यों?"

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE
अधिक →