जिस भारत की वजह से है वजूद में, उसे बांटने चला बांग्लादेश का कट्टरपंथी पूर्व जनरल, टाइमिंग पर उठे सवाल!
भारत–बांग्लादेश तनाव के बीच पूर्व ब्रिगेडियर अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने भारत पर भड़काऊ बयान दिया है. उनका कहना है कि भारत के टूटे बिना बांग्लादेश में शांति नहीं आ सकती. जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख गुलाम आजम के बेटे आजमी पहले भी कई बार भारत पर अशांति फैलाने के आरोप लगा चुके हैं.
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भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में बढ़ती तल्खी के बीच पड़ोसी देश के एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने ऐसा बयान दिया है, जिसने दोनों देशों के संबंधों को और ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया है. बांग्लादेश आर्मी के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने हाल ही में एक ऑनलाइन चर्चा के दौरान भारत के खिलाफ बेहद भड़काऊ टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि जब तक भारत टुकड़ों में नहीं बंटता, बांग्लादेश में पूरी शांति संभव नहीं है. उनका यह बयान न केवल हैरान करता है, बल्कि यह भी बताता है कि वहां की राजनीति और समाज किस दिशा में जा रहा है.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर ने क्या कहा?
अमान आजमी, जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख गुलाम आजम के बेटे हैं. गुलाम आजम पर 1971 की जंग के दौरान हिंदुओं और मुक्ति-समर्थक बंगालियों के नरसंहार जैसे गंभीर आरोप रहे हैं. ऐसे में उनके बेटे की भारत-विरोधी टिप्पणी ने विवाद को और गहरा दिया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, आजमी ने ढाका के नेशनल प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम के दौरान भी यह दावा दोहराया कि भारत बांग्लादेश में लगातार अस्थिरता फैलाने की कोशिश करता है. यह पहली बार नहीं है जब वे भारत के खिलाफ जहरीले बयान दे रहे हों. इससे पहले भी वे कई बार सोशल मीडिया पर भारत को निशाना बना चुके हैं.
भारत पर लगाए हथियार उपलब्ध करवाने के आरोप
आजमी ने यहां तक आरोप लगाया कि भारत ने 1975 से 1996 के बीच चटगांव हिल ट्रैक्ट्स में अशांति को बढ़ावा दिया. उनके अनुसार, शेख मुजीबुर रहमान की सरकार के दौरान बनी PCJSS और उसकी आर्म्ड विंग शांति वाहिनी को भारत ने प्रशिक्षण और हथियार उपलब्ध कराए. उन्होंने कहा कि इसी वजह से पहाड़ी इलाकों में वर्षों तक खून-खराबा हुआ. हालांकि इस तरह के आरोप पहले भी लगाए जाते रहे हैं, लेकिन कभी किसी ठोस सबूत के साथ पेश नहीं किए गए हैं.
इस बयान की टाइमिंग पर उठ रहे कई सवाल
सबसे अहम सवाल इस बयान की टाइमिंग का है. बांग्लादेश में हाल ही में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद देश लगातार उथल-पुथल से गुजर रहा है. इस्लामी कट्टरपंथी सड़क पर उतर आए हैं और कानून-व्यवस्था चरमराई हुई है. ऐसे में अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस स्थिति संभालने के बजाय खामोश दिख रहे हैं. जानकार मानते हैं कि बांग्लादेश के भीतर की अस्थिरता को छिपाने के लिए भारत पर दोष मढ़ना वहां की कट्टरपंथी राजनीति का पुराना तरीका रहा है.
बताते चलें कि बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अधिकारी का यह बयान सिर्फ कूटनीतिक असंवेदनशीलता नहीं, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों को जहर देने की एक कोशिश भी है. भारत और बांग्लादेश के बीच हालात भले ही तनावपूर्ण हों, लेकिन ऐसे वक्त में जिम्मेदार पदों पर रहे लोगों का इस तरह आग में घी डालने वाला बयान क्षेत्र की शांति के लिए खतरा बन सकता है.
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