इजरायल का एक और मुस्लिम देश पर अटैक, सीरिया के राष्ट्रपति भवन के पास की एयरस्ट्राइक
शुक्रवार की सुबह इजरायल ने सीरिया के राष्ट्रपति भवन के पास बड़ी एयरस्ट्राइक कर दी है. इजरायल की इस कदम के बाद सीरिया की सरकार सकते में आ गई है. फिलहाल एयर स्ट्राइक में हुए नुकसान की कोई पुख्ता जानकारी अभी निकल कर सामने नहीं आई है.
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इजरायल अपने दुश्मनों को लगातार निशाना बना रहा है, गाजा और यमन के बाद अब सीरिया के अंदर घुसकर इजरायल ने बड़ा हमला किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुक्रवार की सुबह इजरायल ने सीरिया के राष्ट्रपति भवन के पास बड़ी एयरस्ट्राइक कर दी है. इजरायल की इस कदम के बाद सीरिया की सरकार सकते में आ गई है. फिलहाल एयर स्ट्राइक में हुए नुकसान की कोई पुख्ता जानकारी अभी निकल कर सामने नहीं आई है. बता दें कि इजरायल ने पहले ही सीरिया के सरकार को इस बात की चेतावनी दी थी कि दक्षिण कोरिया के गांव में रहकर हुए अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट बिल्कुल भी ना करें.
इजरायल ने किया ड्रूज अल्पसंख्यकों का समर्थन
दरअसल, हाल ही में सीरिया समर्थक हथियारबंद और ड्रूज लड़कों के बीच सीरिया में झड़प हुई थी, इस हिंसा में दर्जनों लोगों की मौत हुई थी. इसको लेकर इजरायल ड्रूज अल्पसंख्यकों के समर्थन में सामने आया और सीरिया की सीधी चेतावनी दी. बताते चले कि ड्रूज अरब समुदाय से ताल्लुक रखता है. इजरायल में ड्रूज के लगभग सवा लाख लोग रहते है. इनकी संख्या बल्कि सीरिया और लेबनान में ज्यादा है. वही विश्वभर में ड्रूज समुदाय की आबादी लगभग 10 के आस पास बताई जाती है.
इजरायल का साफ संदेश
इजरायल द्वारा सीरिया के गोलन हाइट्स पर कब्जा किया गया था, जहां बड़ी संख्या में ड्रूज समुदाय रहता है. वाई-नेट ने प्रधानमंत्री के हवाले से यह जानकारी दी कि "यह सीरियाई शासन के लिए स्पष्ट संकेत है, हम दशमिक के दक्षिण में सेना की तैनाती के साथ-साथ ड्रूज समुदाय के लिए कोई भी खतरें की अनुमति नहीं देंगे." इसके साथ ही सीरिया के गृह मंत्रालय ने जानकारी दी है कि स्थिति नियंत्रण में है. बुधवार की रात से लेकर आज तक दशमिक के निकट सीरियाई शहर साहणाया में सशस्त्र समूहों और ड्रूज आत्मरक्षा सेनानियों के बीच झड़प हुई थी. जहां ट्रूज आबादी ज्यादा रहती है.
रिपोर्ट के मुताबिक शहर के प्रवेश और निकास मार्गों को सील कर दिया गया है. जरामाना ,अशरफ़ियात सहनाया और दशमिक सुवेदा हाइवे पर सांप्रदायिक दंगों पर मरने वाले कोई कुल संख्या 42 हो गई है. गौरतलब है कि हिंसा की शुरुआत एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के प्रसार से हुई थी जो एक ट्रूज व्यक्ति की थी, जिसकी टिप्पणी को इस्लाम के लिए अपमानजनक माना गया था. इसके बाद इस तरह के से हिंसा की शुरुआत हुई और दसवीं के दक्षिण में कई शहरों पर जवाबी हमले हुए इसमें कई लोगों की जान भी गई है.
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