भारत-इजरायल ने कर ली थी पाक के परमाणु ठिकानों पर हमले की तैयारी, लेकिन बीच में आ गईं इंदिरा, पूर्व CIA अधिकारी का खुलासा
1982 में इंदिरा गांधी की एक गलती ने पाकिस्तान को परमाणु राष्ट्र बना दिया. ये सनसनीखेज दावा अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व एजेंट ने किया है. जो 1980 के दशक में पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का गवाह रहे थे.
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क्या इंदिरा गांधी की गलती की वजह से पाकिस्तान ने परमाणु हथियार बनाए? क्या इंदिरा ने पाकिस्तान पर हमला करने से रोका? ये सवाल अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व अधिकारी रिचर्ड बार्लो (Richard Barow) के एक सनसनीखेज दावे के बाद उठने लगा. बार्लो ने दावा किया कि, पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की जानकारी शुरुआत में ही मिलने लगी थी. इसे रोकने के लिए भारत और इजरायल ने हमले का प्लान भी बनाया था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे रोक दिया.
रिचर्ड बार्लो ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. साथ ही साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए. CIA के पूर्व एजेंट रिचर्ड बार्लो ने दावा किया कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में 1980 के दशक की शुरुआत से ही जानकारी मिलने लगी थी. पाकिस्तान ने कहुटा में अपना परमाणु कार्यक्रम चला रखा था, जिसे खत्म करने के लिए भारत और इजरायल ने एक सीक्रेट हमले का प्लान बनाया था.
‘इंदिरा ने नहीं दी हमले की मंजूरी’
रिचर्ड बार्लो ने ये सनसनीखेज दावा न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में किया. बार्लो ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने अगर ये हमला होने दिया होता तो इससे कई समस्याएं खत्म हो सकती थीं. ये शर्मनाक है कि उन्होंने इसकी मंजूरी नहीं दी. बार्लो ने ये भी दावा किया कि अमेरिका को पाकिस्तान की इस नापाक हरकत के बारे में जानकारी थी, इसके बावजूद उसने अपने हित में चुप्पी बनाए रखी. ‘1980 के दशक की शुरुआत में भारत और इजरायल ने मिलकर पाकिस्तान के कहुटा परमाणु संयंत्र पर हवाई हमला करने की योजना बनाई थी, ताकि पाकिस्तान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोका जा सके, लेकिन इस मिशन को अंतिम क्षणों में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रोक दिया. अगर वह हमला होता तो आज का इतिहास कुछ और ही होता पाकिस्तान घुटनों पर होता और दक्षिण एशिया में परमाणु खतरे की कहानी कभी नहीं लिखी जाती.’
बार्लो ने रिपोर्टों और गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर बताया, इजरायल और भारत की कोशिश थी कि पाकिस्तान को परमाणु हथियार विकसित करने और उनका प्रसार करने से रोका जा सके. खासतौर पर पाकिस्तान के परमाणु हथियार ईरान (Iran) के हाथ लगने का डर था.
जिसका डर था वही हुआ
पाकिस्तान के परमाणु राष्ट्र बनने को लेकर चिंता ये थी कि ईरान और अन्य इस्लामिक देशों के हाथों परमाणु बम न लगें. ये डर सच साबित हुआ. बार्लो ने दावा किया कि 1990 में परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान के प्रयास से ईरान को ये तकनीक दी गई. बाद में ईरान ने भी परमाणु कार्यक्रम बढ़ा दिए.
इंदिरा ने क्यों नहीं दी पाकिस्तान पर हमले की इजाजत?
बार्लो ने पाकिस्तान पर हमला न करने का कारण इंदिरा के डर को माना. उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री को डर था कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान होगा और अमेरिका इसका कड़ा विरोध करेगा. दरअसल, उस समय पाकिस्तान, अमेरिका की मदद कर रहा था. अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ जंग में अमेरिका पाक की मदद ले रहा था. ऐसे में अमेरिका पाकिस्तान पर हमला नहीं चाहता था.
बार्लो के मुताबिक, उस समय बार्लो ने इजरायल ने हमला किया होता तो अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन इज़रायल के तत्कलीन PM मेनाचेम बेगिन के खिलाफ सख्त कदम उठा सकते थे. बार्लो ने कहा कि, ‘मुझे लगता है, रीगन बेगिन का सिर काट देते अगर उसने ऐसा कुछ किया होता.’ ये ही वजह है कि अमेरिकी दबाव में इंदिरा ने कदम पीछे खींच लिए.
अमेरिका ने की पाकिस्तान की मदद!
बार्लो ने दावा किया कि इंदिरा के फैसले ने पाकिस्तान को और बल दे दिया. पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद से कहुटा प्लांट तेजी से डेवलप किया. इसके बाद 1998 में पाकिस्तान ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया. रिचर्ड बार्लो ने इसे इतिहास की सबसे बड़ी चूक माना.
बार्लो ने कहा, यह एक बड़ा मौका था जो हाथ से निकल गया. अगर भारत-इजरायल ने उस ऑपरेशन को अंजाम दिया होता तो पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षा वहीं खत्म हो जाती. आज पाकिस्तान परमाणु हथियार की गीदड़ भभकी भारत को दे रहा है.
पाकिस्तान बन गया इस्लामिक बम!
CIA के पूर्व एजेंट बार्लो ने दावा किया कि इंदिरा की गलती के कारण ही पाकिस्तान ने ‘इस्लामिक बम’ की अवधारणा को जन्म दिया. शुरुआत में पाकिस्तान ने परमाणु कार्यक्रम भारत से मुकाबला करने के लिए बनाए थे बाद में इसे और शक्तिशाली बनाकर ‘इस्लामिक बम’ की तरह इस्तेमाल किया गया.
इंदिरा पर रिचर्ड बार्लो के दावे का क्या है आधार?
रिचर्ड बार्लो के इंदिरा गांधी पर इस नए दावे ने उनकी भूमिका पर कई सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने बताया कि 1980 के दशक में वह पाकिस्तान भेजे गए थे. ताकि वह गुप्त परमाणु गतिविधियों पर नजर रख सकें. इस दौरान उन्हें भारत-इजरायल हमले की योजना के बारे में पता चला था.
इंदिरा पर नया दावा BJP हुई हमलावर
इंदिरा पर रिचर्ड बार्लो के इस सनसनीखेज दावे के बाद BJP कांग्रेस पर हमलावर हो गई. BJP सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व PM के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधा. निशिकांत दुबे ने कहा, आज अगर पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति वाला देश है तो इसके लिए इंदिरा गांधी जिम्मेदार हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इंदिरा गांधी की वोट बैंक की राजनीति के चलते ही पाकिस्तान परमाणु ताकत से लैस हो पाया.
निशिकांत दुबे ने कहा अगर पाकिस्तान परमाणु राष्ट्र नहीं होता तो उसकी क्या कीमत होती? वह नष्ट हो जाता और टुकड़ों में बंट जाता. उन्होंने 1974 में जारी CIA के एक दस्तावेज का भी जिक्र किया और दावा किया कि इंदिरा गांधी ने वोट बैंक के लिए ये कदम उठाया था. कांग्रेस सोचती है कि जितना ज्यादा वह 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाएगी, उसे उतने ही ज्यादा मुस्लिम वोट मिलेंगे.
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