पाकिस्तान को दिए हथियार, राफेल को बदनाम किया… अमेरिकी रिपोर्ट में चीन की गंदी चाल का बड़ा खुलासा
अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने मई के भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष का अवसरवादी ढंग से इस्तेमाल किया. उसने HQ-9, PL-15 मिसाइलें और J-10 विमान जैसे आधुनिक हथियारों का वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में परीक्षण किया.
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अमेरिका की एक अहम रिपोर्ट ने एशिया की सुरक्षा राजनीति को लेकर बड़ा खुलासा किया है. यूएस–चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने मई में हुए भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष का पूरी तरह अवसरवादी तरीके से इस्तेमाल किया. रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इस तनाव को अपनी सैन्य क्षमताओं का वास्तविक परीक्षण करने और दुनिया के सामने उन्हें प्रचारित करने के लिए इस्तेमाल किया. संघर्ष तो चार दिनों के भीतर थम गया, लेकिन चीन की भूमिकाओं पर उठे सवाल अभी भी जारी हैं.
चीन ने किया लाइव फील्ड एक्सपेरिमेंट
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पहला मौका था जब चीन की कुछ आधुनिक हथियार प्रणालियों का वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में उपयोग हुआ. इसमें HQ-9 वायु रक्षा प्रणाली, PL-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और J-10 लड़ाकू विमान शामिल हैं. आयोग ने लिखा है कि चीन ने इस पूरे घटनाक्रम को एक तरह के 'लाइव फील्ड एक्सपेरिमेंट' की तरह देखा. यानी वास्तविक परिस्थिति में हथियारों की क्षमता आजमाने का मौका.
चीन ने की हथियार बिक्री की कोशिश
रिपोर्ट के मुताबिक, संघर्ष खत्म होने के कुछ ही हफ्तों बाद, चीन ने पाकिस्तान को कई उन्नत हथियार प्रणालियों की पेशकश भी कर दी. अचीन ने इस दौरान पाकिस्तान को 40 J-35 पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू जेट, KJ-500 विमान और एक उन्नत बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली देने की पेशकश की. इतना ही नहीं, दुनिया भर में मौजूद चीनी दूतावासों ने भी भारत–पाकिस्तान संघर्ष के दौरान अपने हथियारों के प्रदर्शन की खूब प्रशंसा की. इसका मकसद साफ था. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीन की हथियार बिक्री को बढ़ावा देना.
राफेल को बदनाम करने का किया प्रयास
रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला दावा किया गया है. आयोग के अनुसार, चीन ने संघर्ष के बाद फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों को बदनाम करने के लिए एक दुष्प्रचार अभियान भी चलाया. फ्रांसीसी खुफिया एजेंसियों ने पाया कि चीन ने अपने J-35 फाइटर जेट को प्रमोट करने के लिए जानबूझकर राफेल के खिलाफ गलत सूचनाएं फैलाईं. सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट्स बनाए गए. वीडियो गेम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तैयार की गई तस्वीरों को इस तरह पोस्ट किया गया मानो राफेल को चीनी हथियारों ने मार गिराया हो. यह भी दावा है कि चीन के प्रभाव में उसके दूतावासों ने इंडोनेशिया को राफेल की खरीद रोकने के लिए मनाने की कोशिश की.
चीन ने खारिज किया रिपोर्ट का दावा
चीन ने हालांकि सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने रिपोर्ट को झूठा और पक्षपाती बताया. उनका कहना है कि यह समिति पहले से ही चीन के प्रति पूर्वाग्रह रखती है और इसकी रिपोर्टों में विश्वसनीयता की कमी होती है. लेकिन तनाव की पृष्ठभूमि भी समझना जरूरी है. बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव तेज हो गया था. भारत ने इस हमले में सीमा पार संबंध पाए और 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इस दौरान पाकिस्तान और पीओके में कई आतंकी ठिकानों पर लक्ष्यभेदी कार्रवाई की गई. इसके जवाब में पाकिस्तान ने मिसाइल और ड्रोन हमले किए, लेकिन भारतीय सुरक्षा तंत्र ने इन खतरों को नाकाम कर दिया. भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई सैन्य एयरफील्ड्स को निशाना बनाया. 10 मई को संघर्ष विराम लागू होने के बाद हालात सामान्य हुए.
बताते चलें कि अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह केवल दो देशों के बीच संघर्ष नहीं था. इस तनाव में चीन की भूमिका और उसके हथियारों का आक्रामक प्रचार यह संकेत देते हैं कि एशिया की रणनीतिक राजनीति आने वाले समय में और भी जटिल हो सकती है.
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