पाकिस्तान पर होगा चीन का क़ब्ज़ा, हो गई खुफिया घुसपैठ !
भुखमरी, कंगाली से जूझ रहा पाकिस्तान अब चीन का शिकार पूरी तरह से होने वाला है…पाकिस्तान जिस चीन को अपना फ़ौलादी दोस्त बताता है..वहीं दोस्त ड्रैगन उसके साथ ऐसी चाल चल रहा है…जिससे पाकिस्तान के भविष्य पर ख़तरा मंडरा रहा है…चीन अपनी पकड़ ख़ुफ़िया तरीक़े से पाकिस्तान में पैर जमा रहा है..इसमें पाकिस्तानी जनरल और उसके कठपुतली राजनेता बीजिंग की मदद कर रहे हैं
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चीन के टुकड़ों पर पलने वाला पाकिस्तान आज बिकने की कगार पर आ चुका है।हालात ये हैं कि पाकिस्तान को उसके हाल पर अकेला छोड़कर बाक़ी मुस्लिम देश भी तरक़्क़ी की राह पर निकल चुके हैं लेकिन पाकिस्तान अकेला ही है। भुखमरी, कंगाली से जूझ रहा पाकिस्तान अब चीन का शिकार पूरी तरह से होने वाला है।पाकिस्तान जिस चीन को अपना फ़ौलादी दोस्त बताता है। वहीं दोस्त ड्रैगन उसके साथ ऐसी चाल चल रहा है।
जिससे पाकिस्तान के भविष्य पर ख़तरा मंडरा रहा है।चीन अपनी पकड़ ख़ुफ़िया तरीक़े से पाकिस्तान में पैर जमा रहा है। इसमें पाकिस्तानी जनरल और उसके कठपुतली राजनेता बीजिंग की मदद कर रहे हैं।ये बड़ा दावा पाकिस्तान के एक पूर्व सैन्य अधिकारी आदिल रजा ने किया।समय समय पर आदिल रजा ऐसे ऐलान करते रहे हैं। रजा का कहना है कि चीन की पाकिस्तान के अंदर अपनी गतिविधियों की निगरानी के लिए कराची में एक बेस स्थापित करने की योजना है। और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी जल्द पाकिस्तान का दौरा करने वाले हैं इस दौरान इस बेस के लिए ऐलान हो सकता है।
अब पाकिस्तान में चीन के इस प्लान से क़ब्ज़े के पूरे आसार हैं। चीन पाकिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लेना चाहता है।और पाकिस्तान कुछ पैसों के बदले पहले से ही चीन का शिकार बनता चला जा रहा है। ख़बरें ये भी हैं कि चीन अपने सबसे प्रोजेक्ट CPEC यानी CHINA PAKISTAN ECONOMIC CORRIDOR के लिए पाकिस्तान की सेना को जिम्मेदार मान रहा है। ड्रैगन का मानना है कि पाकिस्तानी सेना रणनीतिक मजबूरियों के बहाने चीनी हितों और CPEC के खिलाफ काम कर रही है। इसके जबाव में चीन की खुफिया एजेंसी ने बलूचिस्तान में अलगाववादी विद्रोहियों के साथ सीक्रेट डील की है ।शायद इसलिए ही चीनी नागरिकों पर हमले बंद हो गए हैं। हालांकि, गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में विद्रोही हमले जारी हैं। पाकिस्तान को बचा पाना अब मुश्किल है। लेकिन शर्म की बात ये है कि पाकिस्तान की हुकूमत आज भी कट्टरपंथ के उस रास्ते पर चल रही है।
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