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ट्रंप के खासमखास, यूथ के हीरो और अपने खुलासों से तहलका मचा देने वाले चार्ली किर्क की गोली मारकर हत्या, अमेरिका में मचा बवाल

ट्रंप के करीबी और कंजर्वेटिव अमेरिकी राजनीति के सबसे चर्चित युवा चेहरों में शामिल चार्ली किर्क की 31 साल की उम्र में हत्या ने पूरे अमेरिका को हिला दिया है. टर्निंग प्वाइंट यूएसए और टर्निंग प्वाइंट एक्शन जैसे संगठनों की नींव रखने वाले किर्क को कंज़र्वेटिव अमेरिकी युवाओं का हीरो और MAGA आंदोलन का सबसे बड़ा पैरोकार माना जाता था. ट्रंप परिवार से नज़दीकी रखने वाले किर्क अक्सर विवादित बयानों और साजिशी दावों के चलते सुर्खियों में रहते थे. उनकी हत्या ने न सिर्फ रिपब्लिकन राजनीति में हलचल मचा दी है, बल्कि अमेरिकी समाज में भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं.

Image: Charlie Kirk (File Photo)

अमेरिका के एक स्कूल और यूनिवर्सिटी में हुई अलग-अलग गोलीबारी से हड़कंप मच गया है. यहां यूटा वैली यूनिवर्सिटी में एक कॉलेज कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप के बेहद करीबी माने जाने वाले चार्ली किर्क की गोली मारकर हत्या कर दी गई. किर्क को रूढ़िवादी राजनीतिक कार्यकर्ता और प्रखर वक्ता के रूप में जाना जाता था. साथ ही उन्होंने टर्निंग प्वाइंट यूएसए की भी स्थापना की थी. उन्हें MAGA कैंपेन के हीरो के साथ-साथ अमेरिकी कंजर्वेटिव युवाओं का रोल मॉडल भी माना जाता था. बड़ा सवाल ये है कि आखिर चार्ली किर्क थे कौन और उन्हें क्यों ट्रंप का खास माना जाता था. 

डोनाल्ड ट्रंप के विचारों के झंडाबरदार, कंजर्वेटिव युवाओं के हीरो- चार्ली किर्क

डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर दक्षिणपंथी रिपब्लिकन आंदोलन की नई पीढ़ी की आवाज़ के रूप में चार्ली किर्क का नाम तेजी से उभरा है. उन्हें अमेरिका की राजनीति में उस धड़े का प्रवक्ता माना जाता है जो खुलकर ट्रंप की विचारधारा और एजेंडे को आगे बढ़ाता है. साल 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में जब डोनाल्ड ट्रंप को हार का सामना करना पड़ा, तब किर्क ने चुनावी धांधली के आरोपों का जोरदार समर्थन किया. उन्होंने न सिर्फ परिणामों पर सवाल उठाए बल्कि ट्रंप समर्थकों के बीच यह नैरेटिव बनाने की कोशिश की कि चुनाव उनसे “छीन” लिया गया. इस दौरान किर्क का चेहरा ट्रंप कैंप के सबसे आक्रामक चेहरों में गिना गया.

चार्ली ने एक तरह से ट्रंप के 2020 में चुनावी हार का जिम्मेदार प्रवासियों और ट्रांसजेंडर समुदाय को ठहराया और उन पर निशाना साधा. यही कारण है कि उन्हें आलोचकों के बीच नफरत और ध्रुवीकरण की राजनीति फैलाने वाला कहा जाता है, जबकि समर्थक उन्हें “सच बोलने वाला” मानते हैं.

किर्क का दायरा सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं थी. वे अमेरिकी विश्वविद्यालयों में भाषण देते थे और वहां अक्सर छात्रों से सीधे संवाद करते थे. कई बार उनके विचारों का कड़ा विरोध भी होता था, लेकिन किर्क विरोधियों से बहस करने और अपने तर्कों को आक्रामक ढंग से रखने से पीछे नहीं हटते. यही रवैया उन्हें ट्रंप समर्थक युवाओं के बीच और लोकप्रिय बनाता था.


कैसे हुई किर्क की हत्या?

31 साल के चार्ली किर्क बुधवार (अमेरिकी समय) को यूटा वैली विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान भाषण दे रहे थे, तभी गोलियां चलने लगीं, जिससे वहां मौजूद लोगों में दहशत फैल गई. किर्क को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी मृत्यु हो गई. सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि किर्क गोलीबारी से ठीक पहले दर्शकों के एक सवाल का जवाब दे रहे थे. विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि हमलावर ने लगभग 180 मीटर दूर एक इमारत से गोली चलाई थी.

ट्रंप ने चार्ली के निधन पर शोक व्यक्त किया

ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपने करीबी दोस्त चार्ली किर्क के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि चार्ली अमेरिका के युवाओं के दिल को सबसे अच्छे से समझते थे और सभी, खासकर ट्रंप, उन्हें बहुत प्यार करते थे. ट्रंप ने चार्ली की पत्नी एरिका और परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की. इसके साथ ही, उन्होंने चार्ली के सम्मान में पूरे अमेरिका में झंडे आधे झुके रखने का आदेश दिया.

महज 18 साल की उम्र में टर्निंग पॉइंट USA की स्थापना

चार्ली किर्क ने 2012 में 18 साल की उम्र में टर्निंग पॉइंट यूएसए (TPUSA) की स्थापना की, जो अमेरिका का प्रमुख कंजर्वेटिव छात्र संगठन है. इस संगठन ने 800 से अधिक कॉलेजों में अपनी शाखाएं बनाईं और युवा कंजर्वेटिव वोटरों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर 2024 के चुनाव में, जहां इसने ट्रंप की दोबारा जीत में बड़ा योगदान दिया. 

किर्क ट्रंप के करीबी दोस्त और राजनीतिक सहयोगी थे. वे अक्सर व्हाइट हाउस में दिखाई दिए और ट्रंप की दूसरी सरकार के लिए महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों की जांच में भी शामिल रहे. इस साल की शुरुआत में, उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के साथ डेनमार्क के क्षेत्र पर अमेरिकी कब्जे के लिए समर्थन जुटाने हेतु ग्रीनलैंड की यात्रा की थी.

यह संगठन एक दशक के भीतर अमेरिकी रूढ़िवादियों के बीच सबसे सशक्त युवा आंदोलन बन गया. इसी संगठन से जुड़े युवाओं ने छह जनवरी 2021 को वॉशिंगटन डीसी में आयोजित रैली में भाग लिया था. यह वही रैली थी जो बाद में अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर हिंसक हमले में बदल गई. उस हमले का मकसद राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की हार के प्रमाणीकरण को रोकना था. अमेरिकी राजनीति में चार्ली किर्क का नाम एक ऐसे चेहरे के रूप में जाना जाता है जिसने न सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप की विचारधारा को युवाओं तक पहुंचाया बल्कि इसे संगठित करने का भी काम किया. 

किर्क यहीं नहीं रुके. उन्होंने टर्निंग प्वाइंट एक्शन नाम से एक और प्लेटफॉर्म खड़ा किया, जिसे ट्रंप ने 2024 में चुनाव अभियान के दौरान घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क साधने की जिम्मेदारी सौंपी. इससे यह साफ हो गया कि ट्रंप परिवार और उनकी राजनीतिक रणनीति में किर्क की अहम भूमिका है.

शिकागो के उपनगरीय इलाके से आने वाले चार्ली किर्क ने विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी नहीं की. लेकिन किशोरावस्था से ही उन्होंने खुद को राजनीति और सक्रियता के लिए समर्पित कर दिया था. उनकी आक्रामक शैली और स्पष्टवादी रवैये ने उन्हें रिपब्लिकन हलकों में बेहद लोकप्रिय बना दिया. साल 2016 तक वे ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के निजी सहायक के तौर पर भी काम कर चुके थे, जिसने उन्हें ट्रंप कैंप के भीतर एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में स्थापित किया.

विवादों से भी रहा चार्ली का नाता

चार्ली किर्क का करियर हमेशा विवादों और सनसनीखेज बयानों से घिरा रहा है. उनका हर भाषण चौंकाने वाला और अक्सर साजिशों से भरा होता है. सितंबर 2024 में उन्होंने दावा किया था कि हैती से आए अप्रवासी अमेरिकी राज्य ओहायो में बिल्लियों और कुत्तों को खा रहे हैं. यह बयान तत्काल सुर्खियों में आया और कुछ ही दिनों बाद डोनाल्ड ट्रंप ने भी डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस के साथ हुई टेलीविज़न बहस में यही आरोप दोहराया. हालांकि इस कथित तथ्य का कभी कोई सबूत नहीं मिला.

पिछले साल एक साक्षात्कार में किर्क ने खुद को बचाते हुए कहा था कि, “मैं मानता हूं कि हम सच का प्रसार करते हैं.” मगर आलोचकों का कहना है कि उनकी बातों में अधूरा सच और झूठे नैरेटिव ज्यादा होता है. इसके बावजूद उनके समर्थकों के बीच उनका असर लगातार बढ़ता जा रहा है और उन्हें अमेरिकी दक्षिणपंथी राजनीति का सबसे मुखर चेहरा माना जाता है.

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