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भारत में वक़्फ़ पर बवाल के बीच इस मुस्लिम देश में हिन्दू मंदिर पर सरकार ने डाला हाथ

मलेशिया में एक विवादास्पद कदम के तहत, सरकार ने एक पुराने हिंदू मंदिर की जगह एक मस्जिद को बनाने की मंजूरी दे दी है. जिससे मलेशिया में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव बढ़ गया है. प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने नई मस्जिद की आधारशिला रखी, जिससे खासकर हिंदू समुदाय और देश के कट्टरपंथी समूहों में आलोचना की लहर उठी है

भारत में इस वक़्त वक़्फ़ बिल को लेकर घमासान जारी है। सालों से वक़्फ़ की मनमानी पर सरकार का चाबुक चल रहा है। भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज़्यादा ज़मीनों के मालिक वक़्फ़ बोर्ड को क़ाबू में रखने के लिए सराकर नया बिल लाई तो हंगामा खूब हो रहा है। सराकर के फ़ैसले के ख़िलाफ़ वक़्फ़ बोर्ड को खत्म करने की बातें फैलाकर सरकार को बदनाम किया जा रहा है। लेकिन ये वही वक़्फ़ बोर्ड है जिसके कारनामे हर जगह चर्चा में बने रहे हैं। वक़्फ़ बोर्ड का मुद्दा जहां इन दिनों भारत में उबाल मार रहा हैं उसी वक़्त दुनिया के एक मुस्लिम देश मलेशिया में हिन्दुओं के साथ कुछ ऐसा हुआ है जिसे जानने के बाद आप भी ग़ुस्से से भर जाएंगे। मलेशिया में क्या हुआ ये तो बताएंगे लेकिन वक़्फ़ बोर्ड के पर क़तर कर रही सरकार के इस विरोध करने वाले ये भी जान लें कि ये वही वक़्फ़ बोर्ड है जिसने किसी एक या दो ज़मीन पर नहीं बल्कि पूरे के पूरे गांव पर ही अपना दावा ठोक दिया। यहां तक की 1500 साल पुराने बने मंदिर को भी नहीं छोड़ा। तमिलनाडु का तिरुचेंदुरई एक ऐसा गांव है जहां की पूरी यानी करीब करीब 330 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा करते हुए अपना बता दिया था मिलनाडु के तिरुचि जिले में स्थित तिरुचेंदुरई गांव में एक सदियों पुराना मणेंडियावल्ली चंद्रशेखर स्वामी मंदिर भी जिसके बारे में कहा जाता है कि ये आठवीं सदी का मंदिर है यानी कि ये मंदिर 1500 साल पुराना है उसकी ज़मीन को भी अपना बता दिया था। अब ठीक वैसे ही मुस्लिम देश मलेशिया में एक बहुत पुराने मंदिर पर सरकार ने हाथ दिया..और उसे मस्जिद बनाना भी शुरू कर दिया।


दरअसल, मलेशिया में सरकार ने एक पुराने हिंदू मंदिर की जगह एक मस्जिद को बनाने की मंजूरी दे दी है। जिससे मलेशिया में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव बढ़ गया है यहाँ तक की पीएम अनवर इब्राहिम ने नई मस्जिद की नींव तक रख दी है। जिससे खासकर हिंदू समुदाय में ग़ुस्सा भड़का हुआ है। मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में 130 साल पुराने देवी श्री पथराकाली अम्मन मंदिर को हटाया जा रहा है। ये मंदिर शहर के बीचो बीच फ्लैटों और कपड़ा दुकानों के बीच एक छोटी लेकिन कीमती जगह पर बना है।

सरकार के इस फ़ैसले ने 2300 हिन्दू मंदिरों के प्रतिनिधियों को एक जुट कर दिया है। सरकार की इतनी हिमाक़त हो गई की मलेशिया के अस्तित्व से पहले बनें मंदिर को हटाकर मस्जिद बनाने के लिए कहा गया। दरअसल, 31 अगस्त 1957 को ब्रिटिश दासता से अलग होने के बाद मंदिर की जमीन को सरकारी घोषित कर दिया गया। 2014 में मलेशियाई सरकार ने इस जमीन को देश की एक बड़ी कपड़ा कंपनी को बेच दिया था बाद में इस कंपनी ने इस जगह पर एक मस्जिद के निर्माण का ऐलान किया, लेकिन इसके लिए मंदिर को हटाना जरूरी था ऐसे में अनवर इब्राहिम की सरकार ने मंदिर पर दबाव बनाकर उसे अपनी मूल जगह से हटने के लिए मजबूर कर दिया अब इस हिंदू मंदिर के अपने मूल जगह से हटने को लेकर विवाद हो रहा है।

मलेशियाई सरकार का दावा है कि उसने इस मंदिर को बनाने के लिए दूसरी जगह दे दी है लेकिन इस पर भी कट्टरपंथी बवाल काट रहे हैं। कट्टरपंथियों का कहना है कि सरकार ने मंदिर को जमीन क्यों दी। इतना ही नहीं, कट्टरपंथी सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाकर जहर उगल रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ़ अपने अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए 2,300 से अधिक मंदिरों के प्रतिनिधियों ने कुआलालंपुर में इस सप्ताह के अंत में एक बड़ी बैठक बुलाई है। इसका मुख्य उद्देश्य मंदिरों की भूमि पर अवैध कब्जों को हटाने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए एक रणनीति तैयार करना है। अब वक़्फ़ बोर्ड के कारनामे कितने ख़तरनाक रहे और इस बिल का बिल विरोध करने वाले मलेशिया से आई इस ख़बर पर क्या कहेंगे ये देखने वाली बात होगी।

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