यूक्रेन में हिंदुस्तान के दिए डीजल से चल रहे अमेरिकी टैंक और गाड़ी, सामने आई रिपोर्ट तो उड़ीं ट्रंप के दावों की धज्जियां
अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके ट्रेड एजवाइजर पीटर नवारो ने जो भारत पर आरोप लगाया कि वो यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीनरी को फंड कर रहा है, उसे एक तरह से जवाब मिल गया है कि हिंदुस्तान के ही दिए डीजल से यूक्रेन में अमेरिका के टैंक, गाड़ियां और तोप को ईंधन मिल रहा है. उसी से चल रही यूक्रेनी सेना. सामने आई रिपोर्ट से ट्रंप के दावों की धज्जियां उड़ गईं हैं.
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अमेरिका ने रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत पर निशाना साधा है. वाशिंगटन की आपत्तियों और भारी टैरिफ लगाने के बावजूद स्थिति यह है कि उसी तेल से निकला भारतीय डीजल आज यूक्रेन की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहा है. यही वजह है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से गढ़ी गई ‘भारत विलेन है’ वाली थ्योरी बार-बार कमजोर साबित हो रही है. जुलाई 2025 में भारत यूक्रेन को डीजल उपलब्ध कराने वाला सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है. यह तब हुआ जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर 50 प्रतिशत का टैक्स लगा दिया.
भारत के दिए डीजल से चल रहा यूक्रेन
एक तरफ वाशिंगटन रूस-भारत तेल कारोबार से नाराज़ है, तो दूसरी ओर यूक्रेन के शहरों और मोर्चों को चलाने वाला ईंधन भारतीय रिफाइनरी से पहुंच रहा है. ट्रंप ने आरोप लगाया था कि रूस से आयातित तेल के जरिए भारत अप्रत्यक्ष रूप से मास्को की ‘वॉर मशीन’ को मजबूत कर रहा है. मगर आंकड़े बताते हैं कि यही तेल प्रोसेस होकर यूक्रेन को ऊर्जा की लाइफ़लाइन मुहैया करा रहा है.
कीव की ऑयल मार्केट ट्रैकिंग एजेंसी नैफ्टोरायनॉक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जुलाई 2025 में यूक्रेन के कुल डीजल आयात में भारत की हिस्सेदारी 15.5 प्रतिशत रही, जो किसी भी अन्य देश से ज्यादा है. भारत से औसतन 2,700 टन डीजल रोजाना भेजा गया. यह इस साल के सबसे ऊंचे स्तरों में से एक है. जनवरी से जुलाई 2025 तक यूक्रेन के लिए भारत की सप्लाई हिस्सेदारी 1.9 प्रतिशत से उछलकर 10.2 प्रतिशत तक पहुंच गई. इस वृद्धि को असाधारण बताया जा रहा है.
भारत के ही ईंधन से चल पा रहे अमेरिकी टैंक और हथियार!
यानी कि अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके ट्रेड एजवाइजर पीटर नवारो ने जो भारत पर आरोप लगाया कि वो यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीनरी को फंड कर रहा है, उसे एक तरह से जवाब मिल गया है कि हिंदुस्तान के ही दिए डीजल से यूक्रेन में अमेरिका के टैंक, गाड़ियां और तोप को ईंधन मिल रहा है. उसी से चल रही यूक्रेनी सेना. सामने आई रिपोर्ट से ट्रंप के दावों की धज्जियां उड़ गईं हैं.
कैसे कीव पहुंच रहा डीजल?
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय डीजल को रोमानिया के डेन्यूब मार्ग और तुर्की के ओपीईटी टर्मिनल के जरिए यूक्रेन पहुंचाया जा रहा है. भले ही इस पर औपचारिक रोक लगी हुई है, लेकिन युद्ध की परिस्थितियों में यह ट्रांजिट रूट अहम भूमिका निभा रहा है. जुलाई में अन्य बड़े आपूर्तिकर्ताओं में स्लोवाकिया (15 प्रतिशत), ग्रीस (13.5 प्रतिशत), तुर्की (12.4 प्रतिशत) और लिथुआनिया (11.4 प्रतिशत) शामिल रहे, मगर भारत से आई सप्लाई में सबसे तेज बढ़त देखने को मिली.
दरअसल, यह पूरा घटनाक्रम भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच हो रहा है. ट्रंप प्रशासन ने पहले 25 प्रतिशत का शुल्क लगाया और फिर उसे बढ़ाकर कुल 50 प्रतिशत कर दिया. तर्क यह दिया गया कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल आयात कर अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी कर रहा है. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भारत की रिफाइनरी से निकला ईंधन सीधे तौर पर यूरोप और खासकर यूक्रेन की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा कर रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह तस्वीर वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की जटिलता और अमेरिकी प्रतिबंधों की सीमाओं दोनों को उजागर करती है. भारत पहले ईरान और वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों के अनुरूप चला था, लेकिन इस बार उसने अलग रास्ता चुनते हुए अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.
नैफ्टोरायनॉक ने दोहराया कि जुलाई में भारत का योगदान यूक्रेन की डीजल खपत में 15.5 प्रतिशत तक पहुंच गया था. औसतन हर दिन 2,700 टन डीजल भारत से पहुंच रहा था. यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि अमेरिकी दबावों के बावजूद भारत ने वैश्विक ऊर्जा व्यवस्था में अपनी जगह और भूमिका को नए स्तर पर स्थापित कर लिया है.
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