दिव्यांग पति को कंधों पर बैठाकर भगवान शिव के दर्शन के लिए हरिद्वार पहुंची पत्नी, भावुक कर देने वाला वीडियो हुआ वायरल
हरिद्वार के कांवड़ मेले में आस्था का एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला. एक महिला श्रद्धालु अपने पति को कंधों पर बैठाकर बाबा के दर्शन के लिए पहुंची. यह दृश्य देख लोग हैरान रह गए और श्रद्धा से भर उठे. देखिए वीडियो..
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सावन का पहला सोमवार शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और इस पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के मोदीनगर से एक अद्भुत आस्था और समर्पण की मिसाल सामने आई है. मोदीनगर की एक महिला ने अपने दिव्यांग पति को कंधों पर बैठाकर हरिद्वार के प्राचीन दक्षिणेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक कराया. यह दृश्य हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सच्चे श्रद्धा और प्रेम को समझना चाहता है.
13 बार कांवड़ यात्रा कर चुके है सचिन
मोदीनगर निवासी सचिन, जो एक साल पहले चलने-फिरने में असमर्थ हो गए थे, ने इस बार भी सावन में भगवान शिव को जल चढ़ाने का संकल्प लिया. पहले 13 बार कांवड़ यात्रा कर चुके सचिन की इस बार की यात्रा शारीरिक रूप से असंभव प्रतीत हो रही थी, लेकिन उनकी पत्नी ने यह संकल्प अपने कंधों पर उठा लिया.
श्रद्धा और समर्पण का यह जज्बा देख हर कोई भावुक हो गया. सचिन ने बताया, "मैंने शिवजी से अपने स्वास्थ्य की कामना की है. मेरी पत्नी की आस्था इस बार जागी और उसने मुझे यहां तक लाने का फैसला लिया." इस यात्रा में उनके दो छोटे बच्चे भी साथ थे, जो अपने माता-पिता के इस भावनात्मक प्रयास का हिस्सा बने.
सावन में शिव को जल अर्पित करने से मन को मिलती है शांति
सचिन का मानना है कि सावन में भगवान शिव को जल अर्पित करने से न सिर्फ शरीर बल्कि मन को भी शांति मिलती है. हर साल वह यह संकल्प इसलिए करते हैं ताकि उनके परिवार में सुख-शांति बनी रहे और स्वास्थ्य में सुधार हो.
शिवालयों में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
सावन के पहले सोमवार को हरिद्वार के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. दक्षिणेश्वर महादेव मंदिर, कनखल में सुबह से ही लंबी कतारें देखने को मिलीं. भक्तों ने जलाभिषेक कर भगवान शिव से अपने परिवार की खुशहाली और मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की.
एक कांवड़िए ने बताया, "हमारी बस यही मन्नत है कि घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहे और सभी कांवड़िए सकुशल अपनी मंजिल तक पहुंचें."
प्रशासन रहा अलर्ट, सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम
भक्तों की भीड़ को देखते हुए हरिद्वार पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क नजर आया. मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए ताकि कोई अव्यवस्था न हो. श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य, पेयजल और ट्रैफिक नियंत्रण की भी विशेष व्यवस्था की गई.
यह कहानी सिर्फ एक दंपति की नहीं, बल्कि उस गहराई की है जो आस्था और रिश्तों के बीच पनपती है. सावन न केवल भक्ति का महीना है, बल्कि समर्पण, प्रेम और त्याग का भी प्रतीक बनकर सामने आता है.
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