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मूसलाधार बारिश के बीच शहीद जवानों के सम्मान में खड़ी रहीं आर्म्ड फोर्सेस की सुप्रीम कमांडर और देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, वायरल हुआ वीडियो

मौका था स्वतंत्रता दिवस का, पीछे खड़े थे CDS सहित तीनों सेनाओं के चीफ और हो रही थी मूसलाधार बारिश...फिर भी शहीद जवानों के सम्मान में खड़ी रहीं आर्म्ड फोर्सेस की सुप्रीम कमांडर और देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, वायरल हुआ वीडियो.

मूसलाधार बारिश के बीच शहीद जवानों के सम्मान में खड़ी रहीं आर्म्ड फोर्सेस की सुप्रीम कमांडर और देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, वायरल हुआ वीडियो
Draupadi Murmu

भारी बारिश के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस अवसर पर सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी उनके साथ मौजूद थे. मौके पररक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.

इससे पहले, 79वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया और एक खास रिकॉर्ड अपने नाम किया. पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अब तक का सबसे लंबा भाषण दिया. दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले भी यह रिकॉर्ड उन्हीं के नाम था.

पीएम मोदी ने 12वीं बार स्वतंत्रता दिवस पर किया देश को संबोधित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने करीब 103 मिनट लंबा भाषण देकर अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. एक बार फिर इस ऐतिहासिक दिन सबसे लंबा भाषण देने का तमगा पीएम मोदी ने अपने नाम किया. इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री द्वारा सबसे लंबा भाषण देने का तमगा 98 मिनट का था, जो खुद उन्होंने ही साल 2024 में दिया था.

संविधान और लोकतंत्र सर्वोपरि : राष्ट्रपति 

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कई बातों का जिक्र किया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संदेश देते हुए कहा कि 'हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस, सभी भारतीय उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं.

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ये दिवस हमें भारतीय होने के गौरव का विशेष स्मरण कराते हैं. हमारे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि है.' उन्होंने कहा कि 15 अगस्त की तारीख, हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित है. औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि के दौरान देशवासियों की अनेक पीढ़ियों ने यह सपना देखा था कि एक दिन देश स्वाधीन होगा.

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