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हनीमून की रात खुला राज, पति है नपुंसक... दुल्हन ने ससुराल से निकालने के आरोप लगाए, पुलिस ने दर्ज किया मामला

कानपुर की नवविवाहिता ने शादी के बाद पति की नपुंसकता और दहेज न देने पर ससुराल से निकाले जाने का आरोप लगाया है. मामला पुलिस के संज्ञान में है और जांच जारी है.

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उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है. जहां चकेरी की रहने वाली एक नवविवाहिता ने आरोप लगाया है कि शादी के बाद उसे दहेज न देने के कारण ससुराल से निकाल दिया गया. साथ ही उसने पति की नपुंसकता की बात भी उजागर की. मामला सामने आने के बाद पुलिस जांच में जुट गई है.

इस मामले में पीड़िता ने बताया कि उसकी शादी 1 मई 2025 को सीसामऊ क्षेत्र के एक युवक से हुई. शादी की अगली रात यानी सुहागरात को उसे पता चला कि पति को नपुंसकता की समस्या है. इस पर उसने सास-ससुर से शिकायत की, लेकिन उन्होंने 2 लाख रुपये की दहेज मांग शुरू कर दी. विरोध करने पर मारपीट भी की गई.

पीड़िता ने पुलिस को दी जानकारी

पीड़िता ने बताया कि इसके बाद उसने अपने माता-पिता को पूरी घटना बताई. 23 मई को उसकी मां ससुराल आई, लेकिन वहां भी दहेज की मांग जारी रही. मां ने समझाने की कोशिश की, लेकिन ससुराल वालों ने उसे मायके भेज दिया. बाद में 23 जून को पति उसे इलाज कराने का वादा करके वापस ले गए, लेकिन बीमारी में कोई सुधार नहीं हुआ. जुलाई में दहेज की मांग पूरी न होने पर उसे घर से निकाल दिया गया. पुलिस ने मामले की तहरीर मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है. कार्यवाहक थाना प्रभारी रिजवान खान ने बताया कि मामला दर्ज कर जांच जारी है. पीड़िता ने पुलिस कार्रवाई न होने पर कमिश्नर रघुबीर लाल से शिकायत की है.

गोरखपुर से भी सामने आया केस 

इसी तरह गोरखपुर में भी एक नवविवाहिता ने शादी के तीन दिन बाद ही तलाक मांगा. महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने शादी की रात स्वीकार किया कि वह वैवाहिक संबंधों के लिए शारीरिक रूप से अक्षम है. बाद में आई मेडिकल रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि दूल्हा पिता नहीं बन सकता. इसके बाद महिला ने तोहफे और शादी का खर्च वापस मांगा. उसने कानूनी नोटिस में स्पष्ट किया कि वह ऐसे व्यक्ति के साथ अपनी जिंदगी नहीं बिता सकती.

बताते चलें कि यह मामले साबित करते हैं कि नवविवाहिता के अधिकारों की सुरक्षा और दहेज जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है. कानून के अनुसार ऐसी घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक है ताकि पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल सके और समाज में जागरूकता बढ़े.

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