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बस्‍ता लेकर पुराने दोस्तों के साथ स्कूल पहुंचे रिटायर्ड DGP, धोती-कुर्ता पहनकर, टाट-पट्टी पर बैठकर की पढ़ाई, वायरल हो गया वीडियो

इस अनोखी पहल ने यह सवाल भी जन्म दिया कि, क्या हम सभी कभी स्कूल की वापसी करके अपनी पढ़ाई और पुराने दोस्तों के साथ बिताए पलों को फिर से जी सकते हैं? इस सवाल ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि शिक्षा और दोस्ती हमेशा जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहेगी.

बाड़मेर जिले के कवास गांव में शनिवार को एक अनूठा और भावुक नजारा देखने को मिला, जब 1975 में दसवीं कक्षा पास करने वाले 21 सहपाठी, 50 साल बाद उसी स्कूल की कक्षा में फिर से एक साथ बैठे. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के कक्ष में राजस्थानी धोती-कुर्ते और साफे में सजे ये विद्यार्थी अपने बचपन की यादों में खो गए. उनके सामने उनके पुराने शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर चॉक से पाठ पढ़ाते नजर आए, मानो जमाना 50 साल पीछे चला गया हो.

रिटायरमेंट के बाद भी शिक्षा के प्रति जुनून

रिटायर्ड DGP ने इस मौके पर अपने पारंपरिक धोती-कुर्ता पहनकर स्कूल लौटना चुना. उन्होंने टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ाई की और छात्रों के साथ बातचीत करते हुए अपने बचपन, अनुशासन और शिक्षा के अनुभव साझा किए. इस कदम ने न केवल छात्रों को प्रेरित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होती.

पुराने दोस्तों के संग बिताए खास पल

इस विशेष अवसर पर रिटायर्ड DGP ने अपने स्कूल के पुराने दोस्तों के साथ समय बिताया. उन्होंने उन दिनों की यादें साझा कीं, जब वे बच्चे थे और स्कूल की डेस्क पर बैठकर पढ़ाई करते थे. उन्होंने बताया कि कैसे बचपन की दोस्ती, अनुशासन और स्कूल की यादें जीवन में मार्गदर्शन करती हैं. दोस्तों के साथ बिताया गया यह समय उनके लिए मन की शांति और खुशी का कारण बना.

चार साथियों को श्रद्धांजलि दी 

इस दौरान उन्होंने अपने चार स्वर्गवासी साथियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की. यह आयोजन न केवल पुरानी यादों का पुनर्मिलन था, बल्कि गुरु-शिष्य के रिश्ते, शिक्षा के प्रति जागरूकता और स्कूल के प्रति कृतज्ञता का एक खूबसूरत उदाहरण भी बन गया।जिसकी हर कोई सरहाना कर रहा है.

बच्चों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया

स्कूल के छात्रों और शिक्षकों ने रिटायर्ड DGP की इस पहल की खूब सराहना की. छात्रों ने इसे प्रेरक अनुभव बताया और कहा कि इससे उन्हें पढ़ाई और अनुशासन के महत्व को समझने में मदद मिली. शिक्षक वर्ग ने इसे शिक्षा और अनुशासन का उत्कृष्ट उदाहरण बताया. इस पहल ने बच्चों को यह संदेश दिया कि शिक्षा केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं होती, बल्कि जीवन में सीखने और अनुभव लेने का माध्यम भी होती है.

सामाजिक और प्रेरक संदेश

रिटायर्ड DGP की इस पहल ने यह दिखाया कि आयु केवल एक संख्या है, और सीखने का जज्बा हमेशा जीवित रह सकता है. पुराने दोस्तों के साथ बिताया गया समय और स्कूल लौटने का अनुभव युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है. इस कदम से यह संदेश भी गया कि दोस्ती और शिक्षा का महत्व कभी नहीं कम होता.

रिटायर्ड DGP ने अपने स्कूल लौटने के इस अनुभव से यह साबित किया कि सीखने और अनुभव लेने की उम्र कोई बाधा नहीं होती. धोती-कुर्ता पहनकर पुराने दोस्तों संग टाट पट्टी पर पढ़ाई करना केवल नॉस्टैल्जिक अनुभव नहीं बल्कि युवाओं और समाज के लिए प्रेरक संदेश भी है.

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