एक ने पढ़ा फतवा, दूसरे ने लगाया नारा...गाजा में हमास आतंकियों का कत्लेआम, 3 फिलिस्तीनियों को सरेआम दी सजा-ए-मौत
गाजा में इजरायल की भीषण कार्रवाई के बीच हमास के आतंकियों ने तीन फिलिस्तीनी नागरिकों को सरेआम सजा-ए-मौत दे दी है. कलमा पढ़कर, भीड़ के नारे के बीच इन्हें मौत के घाट उतार दिया गया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन पर आरोप था कि इन्होंने कथित तौर पर इजरायल का साथ दिया, उनके लिए काम किया. अब इसकी तस्वीरें वायरल हैं.
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इजरायली सेना टैंक, तोप, हथियार और ड्रोन सहित गाजा पर पूर्ण कब्जे के प्लान के साथ आगे बढ़ रही है. दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचने की नाकाम कोशिश और हाथ से निकल रही जमीन की हताशा के बीच हमास के आतंकियों ने अपनी बर्बर सोच का परिचय दिया है. IDF की कार्रवाई से इतर हमास के नकाबपोश लड़ाकों ने तीन फिलिस्तीनियों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया है. इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल है.
भारी भीड़ के बीच हमास ने मचाया कत्लेआम
आपको बताएं कि जब हमास के आतंकी इस कत्लेआम को अंजाम दे रहे थे, जब कथित मुखबीरी के आरोप में फिलिस्तीनी नागरिकों को सजा-ए-मौत दे रहे थे तब उस वक्त मौजूद भीड़ भी नारे लगा रही थी. खूब हल्ला हो रहा था, कोई अरबी में आयतें पढ़ रहा था तो किसी के सर पर खून सवार था तो कोई फौरन सर को तन से जुदा करने के इशारे कर रहा था.
जानकारी के मुताबिक इन तीनी फिलिस्तीनियों पर गाजा में इजरायली ऑपरेशन को मदद दे रहे थे, उनके लिए काम कर रहे थे. कई दुनियाभर के मीडिया आउटलेट्स ने इस खबर पर अपनी स्टोरी की है.
टेलीग्राम ग्रुप्स में वीडियो वायरल
न्यूयॉर्क पोस्ट की खबर के मुताबिक इस नरसंहार से संबंधित पोस्ट और वीडियो हमास से जुड़े एक टेलीग्राम ग्रुप में शेयर किए गए हैं, जिसमें तीन लोगों की आंखों पर पट्टी बांधा हुआ है. ये तीनों जमीन पर घुटनों के बल बैठे दिखाई दे रहे हैं, उनके सामने हमास के तीन हथियार बंद आतंकी स्वचालित हथियार लिए हुए खड़े हैं और आग उगल रहे हैं, जबकि चौथा व्यक्ति ऊंची आवाज़ में अरबी में कागज़ पर लिखा हुआ पढ़ रहा है.
शिफा अस्पताल के बाहर हुई कार्रवाई
वहीं बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार नकाबपोश हमास आतंकवादियों ने ये हत्याएं गाजा सिटी के शिफा अस्पताल के बाहर कीं हैं. कहा जाता है कि ये अस्पताल लंबे समय से इजरायल के जमीनी हमले के केंद्र में रहा है. इसी खबर के मुताबिक इन फिलिस्तानियों की आंखों पर पट्टी बांधकर और घुटनों के बल बैठाकर, भीड़ के नारे के बीच उन्हें कई बार गोली मारी गई. हालांकि मामले की गंभीरता और सेंसिटिवीटी के कारण आपको वीडियो तो नहीं दिखा सकते, लेकिन न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार इस दौरान एक बंदूकधारी ने फांसी से पहले अरबी में घोषणा करते हुए कहा कि इजरायल के इन सभी पनाहगारों के लिए मौत की सज़ा मुकर्रर की गई है.
‘तुम्हारे विश्वासघात का यही अंजाम’
इतना ही नहीं इन तीनों को मौत की सजा देने के बाद भी हमास के आतंकी नहीं माने, उन्होंने फिलिस्तीनियों के शवों पर हस्तलिखित नोट छोड़ा, जिस पर लिखा था- "तुम्हारा विश्वासघात तुम्हें बिना सज़ा के नहीं बख्श सकता. कड़ी सज़ा का इंतज़ार था. वह पूरा हुआ." स्वयंभू हमास के गृह मंत्रालय ने इन तीनों फिलिस्तीनियों को अपराधियों का एक समूह करार दिया और आरोप लगाया कि इन्होंने इज़रायल के साथ सांठगांठ कर देशद्रोह का काम काम किया.
वहीं एक फ़िलिस्तीनी सिक्योरिटी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि इन हत्याओं को फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के संयुक्त अभियान के लोगों ने अंजाम दिया है. इसके अलावा न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार इन हत्याओं को अंजाम क़स्साम ब्रिगेड, इस्लामिक जिहाद और मुजाहिदीन ब्रिगेड जैसे सशस्त्र समूहों ने दिया है.
किसे दी गई मौत की सजा, कौन था वो?
आपको बता दें कि जिन तीन लोगों को सजा-ए-मौत दी गई उनमें से एक का नाम यासर अबू शबाब है, जिसके बारे में आरोप है कि वो इजरायल का प्रमुख सहयोगी था. और वो कथित तौर इज़रायल के एक सशस्त्र कबीले का नेतृत्व किया करता था और इज़रायली नियंत्रण वाले राफ़ा में सक्रिय था.
बीबीसी की रिपोर्ट की मानें तो यह कबीला हमास का विरोधी बताया जाता था, हालांकि अबू शबाब ने इस बात से पब्लिकली इनकार किया था. उसने इन आरोपों से भी इनकार किया था कि इज़रायल ने उसके समूह को हथियार दिए थे.
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