आंखों में बंधी होती है पट्टी, फिर भी पढ़ लेती है किताबें… क्लास 3 की तृषा का टैलेंट आपको हैरान कर देगा
सुल्तानपुर की रहने वाली तृषा यादव आंखों पर पट्टी बंधी होने के बावजूद वह किताब पढ़ सकती हैं. उनके शिक्षक उन्हें नियमित रूप से मेडिटेशन का अभ्यास कराते हैं.
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कभी-कभी हमारे समाज में कुछ ऐसी अद्भुत प्रतिभाएं होती हैं, जिन पर यकीन कर पाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन जब वे हमारी आंखों के सामने साबित हो जाती हैं, तो हम भी उस अनोखी प्रतिभा को मानने पर मजबूर हो जाते हैं. ऐसी ही एक अनोखी प्रतिभा भगवान ने तृषा यादव को दिया है. ये बच्ची सुल्तानपुर की रहने वाली है जो कक्षा 3 की छात्रा है.
तृषा की खासियत यह है कि आंखों पर पट्टी बंधी होने के बावजूद वह किताब पढ़ सकती हैं. उनके शिक्षक उन्हें नियमित रूप से मेडिटेशन का अभ्यास कराते हैं, जिसकी मदद से वह सिर्फ किताब को छूकर ही आसानी से पढ़ लेती हैं. आइए जानते हैं, तृषा यादव की इस हैरतअंगेज क्षमता के पीछे क्या है राज.
इस तरह सीखी तृषा ने यह प्रतिभा
कक्षा तीन की छात्रा तृषा यादव कहती है कि आंखों में पट्टी बांधकर बिना देखे सिर्फ छूकर और महसूस कर किताबों को पढ़ने की कला उन्होंने अपने स्कूल के टीचर स्वाधीन संस्मल से सीखा है. दरअसल उनकी या प्रतिभा कोई जादू नहीं है, बल्कि यह मेडिटेशन का कमाल है. तृषा आगे बताती हैं कि वह प्रतिदिन नियमित रूप से मेडिटेशन करती हैं और मेडिटेशन के ही माध्यम से वे ध्यान केंद्रित कर यह काम करती हैं.
तृषा को देख लोग हो जाते हैं हैरान
सुल्तानपुर की छात्रा तृषा यादव के इस प्रतिभा को लोग अजूबा मान रहे हैं क्योंकि आंखों में पट्टी बांधकर किताबों को पढ़ना असंभव है. लेकिन जब लोगों को तृषा को देखा तो वो अचंभित रह गए. आपको बता दें कि त्तृषा बेहद ही सामान्य परिवार से आती हैं और उनके पिता जहां दूध का काम करते हैं. वहीं माता स्थानीय बाजार में पार्लर चलाती हैं.
मेडिटेशन को तृषा ने बनाया अपना हथियार
तृषा की यह अनोखी प्रतिभा बचपन से ही उन्हें समाज में खास पहचान दिला रही है. इसके पीछे कोई जादू नहीं, बल्कि उनका नियमित मेडिटेशन अभ्यास है. यही वजह है कि आज वह आंखों पर पट्टी बांधकर भी किताबें सहजता से पढ़ लेती हैं.
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