बोल, उठ नहीं पाते, बेड पर पड़े हैं...CM योगी की बड़ी कामयाबी, आया ऐसा रोबोटिक मॉडल, जिसने कर दिया सब झंझट खत्म
क्या आपको पता है स्मार्ट होम, हॉस्पिटल, ट्रेन, सिस्टम में सेंशर काम कैसे करते हैं? क्या आप जानते हैं कि सेंशर होते क्या हैं? क्या आप भी इसे सीख सकते हैं? इसी को समझने के लिए हम पहुंचे योगीराज में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल ट्रेड शो में, जहां हमे दिखा रोबोटिक मॉडल, ये हैंडशक भी कर सकता है. ये ऐसा मॉडल है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये मरीजों, बच्चों, छात्रों, मेडिकल, एजुकेशन फील्ड में काफी काम आने वाला है. यहां आपको कोर्सेज, सरकार की पहल के बारे में भी जानने को मिलेगा.
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भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में झंडे गाड़ रहा है. हम जब भी जापानी और चीनी रोबोट्स को देखते हैं तो शौक होता है कि क्या हम भी ऐसा बना सकते हैं? लेकिन अब ये सपना महज सपना नहीं है बल्कि हकीकत बन रहा है. इसका बड़ा नमूना यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में देखने को मिला. यहां एक ऐसा रोबोटिक मॉडल दिखा जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये शिक्षा और मेडिकल फील्ड में क्रांति ला सकता है. महज सेंसर के आधार पर काम करने वाले बॉयोनिक डॉग या रोबोट की एक से बढ़कर एक खासियत है.
टाटा के साथ मिलकर रोबोज ने बनाया अद्भुत रोबोटिक मॉडल
रोबोज कंपनी ने टाटा के साथ मिलकर एक अद्भुत रोबोटिक मॉडल तैयार किया है. रोबोज का यह इनोवेशन उत्तर प्रदेश सरकार और टाटा के टाई-अप के जरिए ITIs में बच्चों को स्किल्स सिखाने के लिए प्रदान किया गया है. इस पहल को शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने वाला कदम बताया जा रहा है.
इंटरनेशनल ट्रेड शो में इस रोबोटिक मॉडल ने लोगों का ध्यान खींचा. ये बायोनिक डॉग मॉडल हैंडशेक कर सकता है. एक बार गिरने पर खुद उठ सकता है. इसमें लगे कैमरे और ऐप की वजह से कंट्रोल किया जा सकता है. इसे एप्लीकेशन से भी चलाया जा सकता है.
IoT सिस्टम में लाइट्स काम कैसे करते हैं?
सेंसर और ऑटोमेशन सिस्टम कैसे काम करते हैं? इसका बखबी प्रैक्टिकल देखने को मिला. उदाहरण के लिए लाइट सेंसर इंसानी हीट रेडिएशन को डिटेक्ट कर लाइट ऑन करता है. वहीं कैमरे की मदद से रोबोट्स और IoT को जेस्चर कंट्रोल किया जाता है. इसमें उंगलियों की पहचान करके मशीनें एक्टिवेट हो जाती हैं.
मेडिकल फील्ड में क्रांति लाएगा रोबोटिक मॉडल
सेंशर के जरिए मशीनों को एक्टिवेट करने वाली टेक्नोलॉजी वाली यह तकनीक मेडिकल फील्ड में भी उपयोगी साबित हो सकती है, जहां मरीज अपने नर्स को बुलाने के लिए सिर्फ जेस्चर का इस्तेमाल करेंगे और कॉल नर्स के पास चली जाएंगी. शो में लोगों के लिए 3D प्रिंटिंग और लेजर कटिंग जैसी तकनीकें भी प्रदर्शित की गईं.
क्या है योगी सरकार का मकसद?
योगी सरकार प्रदेश के बच्चों में तकनीकी शिक्षा के विकास के लिए खूब प्रयास कर रही है और सहयोग दे रही है. यहां लगे स्टॉल्स में लोगों ने बताया कि कैसे सरकार का मकसद है कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से बच्चें नई तकनीकें सीखकर आत्मनिर्भर बनें. इसके बाद वे ट्रेनिंग के जरिए वे एंटरप्रेन्योरशिप की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, नौकरी के अवसर प्राप्त कर सकते हैं. सरकार की तरफ से ITI की बिल्डिंग्स उपलब्ध कराई जा रही हैं, जबकि मशीनें और ट्रेनिंग टाटा की ओर से दी जा रही हैं.
क्या है IoT?
आपको बता दें कि मौजूदा दौर में हर सेक्टर में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) या सेंसर का इस्तेमाल बढ़ गया है. इसके यूज स्मार्ट होम, हॉस्पिटल, एग्रो, ट्रांसपोर्ट, और स्मार्ट फैक्ट्री-कंपनी में होता है. IoT क ऐसा नेटवर्क है जिसमें सेंसर लगे हुए "चीजें" इंटरनेट से जुड़ती हैं और डेटा एकत्र करके आदान-प्रदान करती हैं. सस्ते कंप्यूटिंग चिप्स और उच्च बैंडविड्थ संचार के कारण अब अरबों डिवाइस इंटरनेट से जुड़े होते हैं. इन उपकरणों में सेंसर होते हैं जो डेटा एकत्र करते हैं और फिर उस पर कार्य करने के लिए निर्देश प्राप्त करते हैं, जिससे स्मार्ट घर और स्वचालित औद्योगिक प्रणालियां बनती हैं.
सरकार IoT सीखने के लिए दे रही प्रोत्साहन?
नोएडा के बादलपुर आईटीआई जैसे केंद्रों पर ये कोर्स पहले से चल रहे हैं. छात्रों को यहां IoT, AIML, 3D प्रिंटिंग, एआरवीआर, लेजर कटिंग और ईवी जैसी तकनीकों की ट्रेनिंग दी जा रही है. कोर्स की फीस भी काफी कम रखी गई है. सालाना फीस 5000 रुपये में छह महीने का कोर्स पूरा किया जा सकता है. इसके बाद छात्र अन्य एडवांस कोर्स भी सीख सकते हैं. इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि भारत में टेक्नोलॉजी अब तेजी से आगे बढ़ रही है और बच्चों को भविष्य की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जा रहा है.
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