भोपाल के बड़े तालाब में शुरू हुआ कश्मीर जैसा शिकारा सफर, पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
प्रदेश में पर्यटन विकास के नए आयाम स्थापित करते हुए पर्यटन सुविधाओं का निरंतर विस्तार किया जा रहा है. भोपाल के बड़े तालाब में कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील की तर्ज पर शिकारे संचालित करने की यह अनूठी पहल की गई है.
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आने वाले लोगों को अब यहां कश्मीर का एहसास हो सकेगा. बड़े तालाब में अब डल झील में चलने वाले शिकारे की शुरुआत की गई है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बोर्ड क्लब पर आयोजित कार्यक्रम में हरी झंडी दिखाकर शिकारा को रवाना किया. राजा भोज तलब के बोट क्लब पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शिकारा नावों का शुभारंभ झंडी दिखाकर किया.
भोपाल में होगा कश्मीर जैसा नजारा
इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस नई शुरुआत से पर्यटन के क्षेत्र में मध्य प्रदेश को नई पहचान मिलेगी और यहां आने वाला पर्यटक पूरा आनंद ले सकेगा. इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष हरविंदर कल्याण, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार सहित भाजपा और कांग्रेस के कई नेता मौजूद रहे.
बड़े तालाब में शिकारे का शुभारंभ
प्रदेश में पर्यटन विकास के नए आयाम स्थापित करते हुए पर्यटन सुविधाओं का निरंतर विस्तार किया जा रहा है. भोपाल के बड़े तालाब में कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील की तर्ज पर शिकारे संचालित करने की यह अनूठी पहल की गई है. यह पहल न केवल प्रदेश के जल-पर्यटन को राष्ट्रीय पटल पर एक नई पहचान देगी, बल्कि पर्यटकों के लिए प्रकृति के सानिध्य में सुकून के कुछ पल बिताने का एक जरिया भी बनेगी.
प्रदूषण मुक्त तकनीक से बने शिकारे
इस पहल का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में जल-पर्यटन (वॉटर टूरिज्म) को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाना है. प्रदेश में पहली बार इतने वृहद स्तर पर शिकारों का संचालन किया जा रहा है. विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, इन सभी 20 शिकारों का निर्माण प्रदूषण रहित आधुनिक तकनीक से किया गया है. इनका निर्माण 'फाइबर रीइन्फोर्स्ड पॉलीयूरिथेन' और उच्च गुणवत्ता वाली नॉन-रिएक्टिव सामग्री से हुआ है, जो जल के साथ किसी भी प्रकार की रासायनिक क्रिया नहीं करती.
पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
इससे बड़े तालाब की पारिस्थितिकी और जल की शुद्धता पूर्णतः सुरक्षित रहेगी. बताया गया है कि ये शिकारे अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा निर्मित किए गए हैं, जिन्हें पूर्व में केरल, बंगाल और असम में भी पर्यटकों द्वारा अत्यंत पसंद किए जा रहे हैं. इन शिकारा बोट्स राइड के दौरान पर्यटक बर्ड वाचिंग भी कर सकेंगे. इसके लिए शिकारे में दूरबीन की व्यवस्था भी की गई हैं साथ ही पर्यटक अन्य शिकारों में उपलब्ध आर्गेनिक वेजिटेबल्स और फ्रूटस और मध्यप्रदेश में निर्मित हस्तशिल्प के उत्पाद भी खरीद सकेंगे, वहीं राइड के दौरान पर्यटक स्थानीय व्यंजन का लुत्फ भी ले सकेंगे.
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