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Election Commission के अधिकारियों ने बैग चेक किया तो भड़क गए Uddhav Thackeray

यवतमाल जिले के वानी हेलीपैड पर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उद्धव ठाकरे के बैग चेक करने की मांग की इसी बात पर उद्धव ठाकरे आगबबूला हो गए और अधिकारियों को सुनाना शुरू कर दिया , और इतना भड़क गए की देश के कई बड़े नेताओं का नाम लेते हुए उन्होंने बैग चेक करते हो क्या

महाराष्ट्र और झारखंड वालों कृपया ध्यान दीजिए, चुनाव का समय है, आप कहीं भी जा रहे हैं, अपने बैग में ऐसा कोई सामान न रखें जिससे सिक्योरिटी वाले रोक कर आपके सामान को निकालकर जब्त कर लें। कोई भी मुख्यमंत्री, नेता, मंत्री हों, सिक्योरिटी के लिहाज से सभी का बैग चेक किया जाएगा, और इसमें आपको गुस्सा भी नहीं आना चाहिए, आपका गुस्से से मुंह लाल-पीला भी नहीं होना चाहिए। पर महाराष्ट्र के शिवसेना यूबीटी के अध्यक्ष और बालासाहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे तो गुस्से में आगबबूला हो गए, क्योंकि एयरपोर्ट पर उनका बैग चेक कर लिया सिक्योरिटी वालों ने।

क्यों किया उद्धव ने गुस्सा?

उद्धव ठाकरे को यह लगता है कि वह इतने बड़े नेता हैं, महाराष्ट्र के सीएम रह चुके हैं, तो उनका कोई बैग कैसे चेक कर सकता है? पर उद्धव साहब शायद यह भूल गए हैं कि नियम और कानून सभी के लिए एक जैसा है। दरअसल मामला कुछ ऐसा है: यवतमाल जिले के वानी हेलीपैड पर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उद्धव ठाकरे के बैग चेक करने की मांग की। इसी बात पर उद्धव ठाकरे आगबबूला हो गए और अधिकारियों को सुनाना शुरू कर दिया, और इतना भड़क गए कि देश के कई बड़े नेताओं का नाम लेते हुए कहा, "क्या मोदी-शाह का बैग चेक करते हो?"

सिक्योरिटी चेक में ड्यूटी कर रहे अधिकारियों का एक वीडियो सामने है, जिसमें सिक्योरिटी वालों के आई कार्ड देखे जा रहे हैं, पुलिस वालों से भी पूछताछ हो रही है, और कहा जा रहा है कि परेशानी आपसे नहीं है, परेशानी एकतरफा कार्रवाई से है। प्रचार करने जा रहे देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और मोदी-शाह के बैग चेक होते हैं क्या? और वीडियो में देख सकते हैं कि उद्धव के डर से अधिकारियों ने ठीक से बैग भी चेक नहीं किया।

अब उद्धव ठाकरे के इसी बात का जवाब देने के लिए आपको एक वीडियो बताते हैं जो देवेंद्र फडणवीस का है, जिसमें फडणवीस का बैग भी चेक किया जा रहा है। ये जवाब है उद्धव ठाकरे को कि मोदी और शाह के बैग की भी चुनाव आयोग जांच करता है।

लेकिन मन में सवाल यह चल रहा है कि उद्धव ठाकरे को यह हो क्या रहा है? आखिर ठाकरे का व्यवहार इतना क्यों बदल रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि गठबंधन में रहकर वह कहीं बंधे हुए हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि सीएम चेहरा उन्हें घोषित नहीं किया गया, तो पार्टी की भड़ास बाहर निकाल रहे हैं? या फिर यह कहें कि सत्ता की गद्दी चली गई, तो इसलिए उनका व्यवहार बदल रहा है। चुनाव आता है तो नेताओं की भाषा नरम होती है, पर उद्धव तो अपने शब्दों से तीर कमान छोड़ने से पीछे नहीं हट रहे हैं।


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