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‘भगवान के बाप की औकात नहीं…’, पप्पू यादव के बयान पर बढ़ा विवाद, BJP समेत विपक्षी दलों ने कहा- यह अहंकार है

Bihar Election 2025: बिहार में दूसरे चरण के मतदान से पहले पप्पू यादव के बयान ने मचाई हलचल. पूर्णिया के सांसद ने कहा, ‘निर्दलीय सांसद बन जाना भगवान के बाप की औकात नहीं’. इस बयान के बाद अब पप्पू यादव को बीजेपी समेत अन्य पार्टियां घेर रही हैं.

Pappu Yadav (File Photo)

बिहार में चुनावी माहौल जोरों पर है और नेताओं के बयानबाज़ी का दौर लगातार तेज होता जा रहा है. मंगलवार को 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होना है, लेकिन उससे पहले सियासी गर्मी एक नए बयान से और बढ़ गई है. पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव के हालिया बयान ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है.

दरअसल, सांसद पप्पू यादव (Pappu Yadav) ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि 'निर्दलीय सांसद बन जाना भगवान के बाप की औकात नहीं.' इस बयान के बाद अब विपक्षी दलों ने उन पर तीखा हमला बोला है. जन सुराज पार्टी (Jan Suraj Party) के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने इस बयान को 'लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण' बताया और कहा कि यह भाषा जनता का नहीं, बल्कि अहंकार का प्रतीक है.

बयान देकर फंस गए पप्पू यादव 

मनोज भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, 'जीत चाहे निर्दलीय की हो या किसी दल की, लोकतंत्र में ताकत सिर्फ जनता की होती है. लेकिन ‘भगवान के बाप की औकात नहीं’ जैसी भाषा लोकतंत्र नहीं, सिर्फ अहंकार दिखाती है. जो नेता जनता की कृपा को अपना चमत्कार समझ लेते हैं, वे भूल जाते हैं कि कुर्सी आती-जाती है, लेकिन शब्दों की मर्यादा हमेशा साथ चलती है.' इनके अलावा बीजेपी के भी कई दिग्गज ननेताओं ने पप्पू यादव के बयान पर पलटवार करते हुए इस बयान को हिंदू और सनातन विरोधी करार दिया है. 

पप्पू यादव के बयान ने विपक्ष को दिया घेरने का मौक़ा 

गौरतलब है कि पप्पू यादव अपने बेबाक और विवादित बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. इस बार भी उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार बनने की मुश्किलों को लेकर ऐसी बात कह दी, जिसने विरोधियों को उन्हें घेरने का मौका दे दिया. पप्पू यादव ने कहा था, 'निर्दलीय सांसद बनना भगवान के बाप की भी औकात नहीं. आप सोचिए, बिना किसी बड़े दल या गठबंधन के जनता के बीच से अकेले निकलना कितना कठिन है.' अब यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. जहां एक ओर उनके समर्थक इसे आत्मविश्वास और जमीनी संघर्ष का प्रतीक बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दल इसे घमंड और लोकतांत्रिक मर्यादा का अपमान मान रहे हैं. 

बताते चलें कि चुनावी मौसम में हर शब्द मायने रखता है और नेताओं के बयान जनमानस पर गहरी छाप छोड़ते हैं. ऐसे में पप्पू यादव का यह बयान उनके लिए सियासी नुकसान या लाभ का सौदा बनेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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