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बिहार में असली बॉस नीतीशे कुमार हैं! NDA में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय, BJP से ज्यादा सीटों पर लड़ेगी JDU, किसे मिलीं कितनी सीटें?

बिहार में NDA के दलों के बीच विधानसभा चुनाव को लेकर सीटों का बंटवारा हो गया है. सूत्रों के हवाले से सामने आ रही जानकारी के मुताबिक जेडीयू ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. सीट बंटवारे से एक बात साफ है कि बिहार में असली बॉस नीतीश हैं, बीजेपी उनके अंदर हैं, वहीं लोकसभा में मोदी बॉस हैं और जेडीयू उन्हीं के नेतृत्व नें आगे बढ़ेगी.

Image: Nitish Kumar And PM Modi (File Photo)

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सत्ता पक्ष एनडीए (NDA) में सीट बंटवारे को लेकर जारी माथापच्ची अब लगभग अंतिम चरण में पहुँच चुकी है. सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के बाद गठबंधन दलों के बीच करीब-करीब सहमति बन चुकी है, बस आधिकारिक ऐलान बाकी है.

सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड (JDU) 102 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 101 सीटें दी गई हैं. छोटे सहयोगियों में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी LJP (R) को 20 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के हिस्से में 10-10 सीटें आई हैं. सूत्रों का कहना है कि जल्द ही एनडीए की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पर आधिकारिक घोषणा की जाएगी. फिलहाल, यह मंथन जारी है कि कौन-सी पार्टी किन-किन सीटों पर मैदान में उतरेगी.

लोकसभा चुनाव में क्या था सीट शेयरिंग फॉर्मूला?

लोकसभा चुनाव में एनडीए का सीट शेयरिंग पैटर्न थोड़ा अलग था. उस समय बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी (रामविलास) ने 5 और जीतन राम मांझी की हम (HAM) व उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम (RLM) ने 1-1 सीट पर चुनाव लड़ा था. बीजेपी को जेडीयू से एक सीट ज्यादा मिली थी. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में जेडीयू को बीजेपी की तुलना में एक या दो सीट ज्यादा दिए जाने की संभावना है.

2020 विधानसभा चुनाव का सीट शेयरिंग का फॉर्मूला

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजों ने बीजेपी को एनडीए में प्रमुख ताकत बनाकर उभारा था. उस चुनाव में जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 43 सीटें जीत पाई. इसके उलट बीजेपी ने 110 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 74 पर जीत दर्ज कर बड़ी छलांग लगाई. जीतन राम मांझी की पार्टी हम (HAM) ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटें जीतीं, जबकि मुकेश सहनी की वीआईपी (VIP) ने 11 में से 4 सीटें अपने नाम कीं. वहीं चिराग पासवान की एलजेपी (LJP) उस वक्त अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी. चुनाव बाद वीआईपी एनडीए में रहते हुए सरकार में शामिल हुई थी, लेकिन अब वह महागठबंधन का हिस्सा बन चुकी है.

2015 में NDA का कुनबा बढ़ा, बीजेपी-जेडीयू की सीटें हुईं कम!

2015 में समीकरण बिल्कुल अलग थे. उस वक्त बीजेपी 160 सीटों पर लड़ी और 53 सीटों पर जीत पाई थी. एलजेपी 40 सीटों पर उतरी और 2 सीटें जीतीं, आरएलएसपी ने 23 पर चुनाव लड़ा और 2 सीटें जीतीं, जबकि हम (HAM) ने 20 सीटों पर लड़ा और 1 सीट पर सफलता पाई. उस समय जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा थी और राजद-कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.

विधानसभा में मौजूदा स्थिति

बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में बहुमत का आंकड़ा 122 है. फिलहाल सत्ता पक्ष एनडीए के पास 131 सीटों का बहुमत है. इनमें बीजेपी की 80, जेडीयू की 45, हम की 4 और 2 निर्दलीय विधायक शामिल हैं. दूसरी ओर विपक्षी महागठबंधन के पास 112 सीटें हैं, जिनमें आरजेडी की 77, कांग्रेस की 19, वाम दलों की 15 और एआईएमआईएम की 1 सीट शामिल है.

अगर यही सीट बंटवारा अंत तक रहता है तो साफ हो जाएगा कि बिहार में बॉस नीतीश हैं, बीजेपी उनके अंदर हैं, वहीं लोकसभा में मोदी बॉस हैं और जेडीयू उसी के नेतृत्व नें आगे बढ़ेगी. NDA में चिराग की मांग और बयानों से इतर सम्मानजनक स्पेस देने की कोशिश हुई है. एनडीए के लिए 2020 की तरह इस बार भी सीट बंटवारा आसान नहीं रहा, लेकिन नीतीश कुमार और भाजपा के बीच संतुलन साधने की कवायद यही दिखाती है कि दोनों दल 2025 में एकजुट होकर मैदान में उतरना चाहते हैं. वहीं, महागठबंधन भी पूरी तैयारी में है और वीआईपी जैसे दल उसके पाले में जा चुके हैं. ऐसे में बिहार का आगामी चुनाव बेहद रोचक और हाई-वोल्टेज वाला होने वाला है.

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