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ना तीन में रहे, ना तेरह में... NDA के सीट बंटवारे से RJD और Congress को मिली बड़ी राहत, छोटे दलों का खेल हुआ खराब

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए ने सीटों का बंटवारा करके विपक्षी इंडिया महागठबंधन के बड़े सियासी दल आरजेडी और कांग्रेस को बड़ी राहत दी है. दरअसल, बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा यह थी कि मुकेश सहनी महागठबंधन में दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं और पाला भी बदल सकते हैं. लेकिन अब एनडीए में सीट शेयरिंग के बाद इन चर्चाओं पर न सिर्फ विराम लग गया है, बल्कि तेजस्वी के लिए भी राहत मिली है.

Tejashwi Yadav (File Photo)

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सियासी महाभारत अब चरम पर पहुंच चुकी है. मान-मनौव्वल के बाद NDA ने आखिरकार सीट बंटवारे का ऐलान कर दिया है और इस बार बीजेपी और जेडीयू दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. वहीं चिराग पासवान की पार्टी को 29 सीटें दी गई हैं, जो पिछले चुनाव की तुलना में काफी अधिक हैं. एनडीए की रणनीति साफ है सीटों में बराबरी बनाकर चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करना और प्रचार में तेजी लाना. लेकिन एनडीए के इस कदम ने विपक्ष की इंडिया महागठबंधन को बड़ी राहत देने का काम किया है. 

NDA का रणनीतिक कदम

बीजेपी और जेडीयू का इस बार बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना पहली बार हो रहा है. 2020 के चुनाव में जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और 43 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 पर सफलता पाई थी. वहीं लोक जनशक्ति पार्टी 135 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन केवल एक सीट जीत सकी. इस स्ट्राइक रेट को देखते हुए बीजेपी ने इस बार सीट बंटवारे में बराबरी की रणनीति अपनाई है. चिराग पासवान की पार्टी के खाते में मिली 29 सीटों पर भी उनके उम्मीदवार भाजपा के सहयोगी हो सकते हैं, जिससे एनडीए का खेल और मजबूत हो सकता है.

NDA ने महागठबंधन को दी कैसे राहत?

महागठबंधन में मुकेश सहनी की दबाव की राजनीति अक्सर चर्चा में रहती है. उनका कहना था कि चाहे उनकी पार्टी को 14 सीटें मिलें या 44, लेकिन डिप्टी सीएम का पद उन्हें ही मिलना चाहिए. तेजस्वी यादव इसके लिए तैयार नहीं दिखते थे, जिससे गठबंधन में खिंचतान बनी हुई थी. लेकिन NDA ने जैसे ही सीट बंटवारे की घोषणा की, मुकेश सहनी के लिए एनडीए से तालमेल करना और अधिक कठिन हो गया. इससे तेजस्वी यादव और कांग्रेस को बड़ी राहत मिली है और अब उन्हें सहनी के दबाव को संभालना आसान होगा. 

भाजपा की बढ़ती ताकत और रणनीति

भाजपा ने इस बार सीट बंटवारे में अधिक हिस्सेदारी लेकर अपनी बढ़ती ताकत का संकेत दिया है. एनडीए के सधे हुए खेल से प्रचार और चुनावी रणनीति में मजबूती आएगी. वहीं, महागठबंधन के लिए स्थिति कुछ हद तक नियंत्रण में आ गई है, क्योंकि मुकेश सहनी के लिए पाला बदलना अब कठिन होगा. इस तरह, चुनावी माहौल में संतुलन भी बना हुआ है और सियासी समीकरण अधिक स्पष्ट नजर आ रहे हैं.

बताते चलें कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर चुनाव दो चरणों में होने वाला है. पहले चरण के लिए 6 नवंबर को मतदान होगा जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा. वहीं वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी तब जाकर पता चलेगा कि चुनाव के पहले सियासी दलों द्वारा अपनाए जा रहे तमाम हाथकंडो के बावजूद जनता का आशीर्वाद किसे मिलेगा. 

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