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बिहार में कांग्रेस का नया दांव... आजादी के बाद पहली बार पटना में होने जा रही CWC की बैठक, जानें इसके पीछे की असली वजह

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लगभग दो–तीन महीने बचे हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी इस चुनाव के साथ अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसी कड़ी में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद अब पार्टी केंद्रीय कार्यकारी समिति की बैठक पटना में करने जा रही है. जो भारत की आज़ादी के बाद पहली बार बिहार में हो रही है.

Kharge-Rahul Gandhi (File Photo)

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अब मात्र दो–तीन महीने बचे हैं, ऐसे में तमाम राजनीतिक दलों के बड़े नेता पटना में जमावड़ा लगाना शुरू कर चुके हैं. इस बीच, कांग्रेस पार्टी भले ही आरजेडी के साथ मिलकर चुनावी तैयारी कर रही है, लेकिन उसकी रणनीति कुछ अलग नजर आ रही है. पार्टी की पूरी कोशिश है कि विधानसभा चुनाव का फायदा उठाते हुए अपनी जमीनी पकड़ को और मजबूत किया जाए. यही वजह है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली गई वोटर अधिकार यात्रा के बाद अब प्रियंका गांधी भी चंपारण से हुंकार भर हैं. इसके बाद पार्टी ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए आज़ादी के बाद पहली बार केंद्रीय कार्यकारी समिति (CWC) की बैठक पटना में आयोजित करने जा रही है. इस बैठक के जरिए कांग्रेस यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि वह बिहार को महत्व दे रही है और राज्य के स्थानीय मुद्दों और समस्याओं को बड़े स्तर पर उठाएगी.

कांग्रेस पार्टी की यह बैठक राजधानी पटना के बुधवार को सदाकत आश्रम में आयोजित होगी. पार्टी इस बैठक के जरिए तेलंगाना जैसा चुनावी नतीजा दोहराने की उम्मीद कर रही है. दरअसल, तेलंगाना में साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भी पार्टी की केंद्रीय कार्यकारी समिति राज्य में हुई थी जिसका चुनावी नतीजों पर सीधा प्रभाव देखने को मिला था. पटना में होने वाली इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी समेत पार्टी के लगभग सभी 170 सदस्य इस बैठक शामिल होने वाले है. कार्यसमिति की इस बैठक में बिहार विधानसभा चुंब की तैयारी, वोटर लिस्ट की विशेष निरीक्षण (SIR) में हुई अनियमितताओं और चुनाव आयोग को लेकर मुख्य रूप से चर्चा होगी. इसके अलावा बिहार से जुड़े जमीनी मुद्दे भी चर्चा में शामिल किए जाएंगी. 

वोटर अधिकार यात्रा की होगी सराहना 

पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा की तारीफ की जाएगी, जो विशेष रूप से बिहार में वोट चोरी और वोटर लिस्ट की समीक्षा पर केंद्रित रही थी। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने 16 दिनों में 1,300 किलोमीटर की यात्रा करते हुए राज्य के 25 जिलों का दौरा किया. उनके साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी कार्यकर्ता भी गर्मजोशी इस यात्रा में शामिल हुए थे. इसके अलावा, पार्टी अपने गढ़ में वोट चोरी रोकने और आम लोगों तक वोटर अधिकार पहुंचाने के लिए ‘घर-घर अधिकार अभियान’ भी शुरू करने जा रही है।

बिहार के राजनीतिक महत्व का संदेश देने की कोशश 

आजादी के बाद यह पहली बार है जब इतनी बड़ी कांग्रेस बैठक बिहार में हो रही है; इससे पहले ऐसा आयोजन 1940 में हुआ था. बैठक सदाकत आश्रम में होगी, जो ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है. जानकारों की माने तो यहीं पर महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और राजेंद्र प्रसाद ने स्वतंत्रता संग्राम की रणनीतियाँ तैयार की थीं. कांग्रेस इस बैठक के जरिए यह संदेश देना चाहती है कि वह बिहार विधानसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाएगी और महागठबंधन को सत्ता दिलाने की रणनीति पर पूरी तरह काम कर रही है. आगामी विधानसभा चुनाव अगले कुछ महीनों में होने वाले हैं, और इसके लिए चुनाव आयोग अक्टूबर की शुरुआत में तारीख घोषित कर सकता है. फिलहाल, कांग्रेस ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय जनता दल पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव में भाग लेगा. अब यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस कितनी सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी.

गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दलों के अलावा केंद्रीय चुनाव आयोग भी पूरी तैयारी में जुटा हुआ है. भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेंद्र कुमार भी अपनी पूरी टीम के साथ बिहार का दौरा करने वाले हैं. उम्मीद है कि दहशहरा से दिवाली के बीच चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा.

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