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बिहार चुनाव के लिए BJP का मास्टर प्लान तैयार... NDA में इस फॉर्मूला से होगा सीटों का बंटवारा, जानें किसका होगा फायदा

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट बंटवारे का फैसला इस माह के अंत तक होने की संभावना है, जिसमें भाजपा ने सभी सहयोगी दलों को उनकी ताकत के अनुसार सीटें देने का फॉर्मूला तय कर दिया है और किसी दबाव को स्वीकार नहीं करने का संदेश दिया है. गठबंधन में कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं होगा, सभी सहयोगी समान होंगे.

Narenra Modi Bihar Visit (File Photo)

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार-प्रसार और तैयारियां जोरों पर हैं. सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी इंडिया महागठबंधन के बीच ज़ुबानी जंग तेज हो चुकी है, लेकिन इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा सीट बंटवारे को लेकर है. एनडीए और महागठबंधन दोनों में शामिल दल अब सीटों को लेकर प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर चुके हैं. एनडीए में अभी तक सीट बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन भाजपा ने अपने घटक दलों की भूमिका को लेकर तस्वीर पहले ही साफ कर दी है.

दरअसल, बीजेपी नेतृत्व ने अपने सहयोगी दलों के लिए एक स्पष्ट फॉर्मूला तय कर दिया है. इसमें यह साफ किया गया है कि हर दल को उसकी ताकत के अनुसार सीटें मिलेंगी और किसी भी दल या नेता के दबाव में भाजपा नहीं आएगी. सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि गठबंधन में कोई बड़ा भाई या छोटा भाई नहीं होगा, बल्कि सभी सहयोगी एक समान स्तर पर होंगे.

पिछली चुनावी कामयाबी पर होगा फोकस

एनडीए में सीटों का बंटवारा पिछले विधानसभा चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनाव और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर किया जाएगा. भाजपा सूत्रों के अनुसार, भाजपा और जेडीयू के बाद सबसे ज्यादा सीटें लोजपा (रामविलास) को मिलेंगी. यह दल पहले गठबंधन से बाहर था, लेकिन लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ लड़ा और अच्छा प्रदर्शन किया. इसके अलावा गठबंधन के अन्य सहयोगी दल हम और रालोमो को भी उनकी ताकत और रणनीति के हिसाब से सीटें दी जाएंगी. इस बार सीटों के बंटवारे में सामाजिक, क्षेत्रीय और राजनीतिक समीकरण के साथ विपक्षी रणनीति को भी ध्यान में रखा जाएगा.

दबाव राजनीति का खेल खत्म

भाजपा ने साफ कर दिया है कि सीट बंटवारा जीत के आधार पर होगा और किसी भी दल या नेता के दबाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा. सूत्र बताते हैं कि अब तक बिहार में एनडीए में जेडीयू ही सबसे अधिक सीटों पर लड़ती रही है और इस चुनाव में भी इसकी स्थिति मजबूत रहेगी. हालांकि चुनाव से पहले बिग ब्रदर और छोटे-बड़े भाई की चर्चाएँ आम रही हैं, लेकिन भाजपा का संदेश स्पष्ट है – गठबंधन में हर सहयोगी की समान भूमिका होगी और सीटें उसके प्रदर्शन और ताकत के अनुसार ही तय होंगी.

सहयोगी दलों में हलचल

एनडीए में सहयोगी दलों के नेताओं ने भी अपने-अपने दल की ताकत को देखते हुए सीटों की मांग करनी शुरू कर दी है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है क्योंकि गठबंधन में सभी दल अपनी पहचान बनाए रखना चाहते हैं. लोजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'हमारा प्रदर्शन पिछली बार अच्छा रहा है. इस बार भी सीटें उसी के अनुसार मिलनी चाहिए. हमें भरोसा है कि भाजपा ने जो फॉर्मूला तय किया है, वह निष्पक्ष रहेगा.' हम और रालोमो के नेताओं का कहना है कि उनका मुख्य ध्यान क्षेत्रीय समीकरण और स्थानीय वोट बैंक पर है. उनका मानना है कि सीट बंटवारे में इन्हें उनके क्षेत्रीय प्रभाव के अनुसार उचित स्थान दिया जाए.

इस महीने के अंत तक हो सकता है अंतिम निर्णय 

सूत्रों के अनुसार, सीट बंटवारे का अंतिम निर्णय इस माह के अंत तक कर लिया जाएगा. इसके बाद ही चुनावी रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा और प्रचार-प्रसार तेज होगा. भाजपा और जेडीयू के अलावा छोटे दल भी अपने-अपने उम्मीदवार तय करेंगे. बिहार की राजनीति से जुड़े जानकारों का कहना है कि इस बार एनडीए का फॉर्मूला समान सहयोगी दृष्टिकोण पर आधारित है. यह गठबंधन को मजबूती देगा और किसी भी दल या नेता के बीच मतभेद को कम करेगा. साथ ही यह विपक्षी इंडिया महागठबंधन के खिलाफ एनडीए की स्थिति को भी मजबूत करेगा.

बताते चलें कि बिहार चुनाव 2025 में एनडीए का सीट बंटवारा और गठबंधन रणनीति राज्य की राजनीतिक दिशा तय करेगी. भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ निष्पक्ष और सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने का संदेश दिया है. आगामी दिनों में जैसे ही सीट बंटवारा घोषित होगा, राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी. इसके साथ ही एनडीए की चुनावी तैयारियों में तेजी आएगी और विपक्ष के साथ मुकाबला अधिक स्पष्ट रूप में दिखाई देगा.

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