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Bihar Election: खेला करेंगे GenZ वोटर्स! नीतीश-तेजस्वी की बढ़ी टेंशन, लगाई वादों की झड़ी, समझें युवा फैक्टर

बिहार में एक करोड़ 63 लाख युवा वोटर्स के अलावा 14 लाख से ज्यादा ऐसे मतदाता हैं जो पहली बार वोट करेंगे. इस हिसाब से कुल युवा वोटर्स की संख्या लगभग एक करोड़ 77 लाख है. यानी बिहार 2025 के सीन में जेन-जी बड़े रोल में दिखेंगे.

रोटी, कपड़ा, मकान की जरूरत पूरी करने के लिए चाहिए नौकरी, इसके लिए युवा दिन रात मेहनत तो कर रहा है लेकिन नतीजे उसके पक्ष में नहीं आते. हालांकि चुनावों के समय युवाओं को रोजगार देने के बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं. बिहार चुनावों में भी युवा राजनीतिक दलों के केंद्र में हैं. Genz को साधने के लिए दोनों ही बड़े गठबंधन लोकलुभावन वादे कर रहे हैं. क्योंकि ये ही युवा बिहार के राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. बिहार की राजनीति में कैसे युवा बनेंगे अहम फैक्टर जानते हैं. 

बिहार चुनाव के ऐलान से पहले सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने नौकरी-रोजगार और शिक्षा से जुड़े कई ऐलान कर दिए थे. नीतीश सरकार ने अगले पांच साल में एक करोड़ लोगों को नौकरी का वादा किया है. तो दूसरी ओर महागठबंधन के बड़े चेहरे और RJD नेता तेजस्वी यादव ने युवाओं को साधने के लिए नीतीश से भी बड़ा दांव खेल दिया. तेजस्वी यादव ने कहा है कि, उनकी सरकार 20 महीने के अंदर हर उस परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देगी जो अभी तक नौकरी से वंचित हैं. 

बिहार में युवा मतदाताओं की संख्या कितनी है? 

NDA और महागठबंधन ही नहीं बिहार में अमूमन सभी दल अपने मेनिफेस्टों में युवाओं को फोकस कर रहे हैं. इसमें प्रशांत किशोर की जन सुराज और तेज प्रताप की जनशक्ति जनता दल भी शामिल है. चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक बिहार के कुल 7.43 करोड़ वोटर्स हैं. इसमें युवा वोटर्स (जिनकी उम्र 20 से 29 साल है) की संख्या एक करोड़ 63 लाख है. 

बिहार में पहली बार वोट करने वाले युवाओं की संख्या कितनी है? 

एक करोड़ 63 लाख युवा मतदाताओं के अलावा 14 लाख से ज्यादा ऐसे मतदाता हैं जो पहली बार वोट करेंगे. इस हिसाब से कुल युवा वोटर्स की संख्या लगभग एक करोड़ 77 लाख है. यानी बिहार 2025 के सीन में जेन-जी बड़े रोल में दिखेंगे. 

युवाओं के इर्द-गिर्द पीके की राजनीति

बिहार के सियासी रण में दो बड़े दल NDA और महागठबंधन हैं, लेकिन इन दोनों दलों का समीकरण बिगाड़ सकती है प्रशांत किशोर की जन सुराज. बिहार की राजनीति को बारिकी से समझने वाले बताते हैं कि, पीके की पार्टी ने अपनी मौजूदगी का अहसास करवा दिया है और इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि चुनावी नतीजों में वह असरदार पॉजिशन में होगी. प्रशांत किशोर बेरोजगारी, पलायन, आर्थिक और औद्योगिक विकास और भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रहे हैं. प्रशांत उन मुद्दों को तरजीह दे रहे हैं जो बिहार के युवाओं की नब्ज को पकड़ते हैं. जो काफी समय से बिहार की राजनीति से गायब रहे. पार्टी बनाने से लेकर पदयात्रा निकालने तक बिहार के युवा बड़ी संख्या में उनसे जुड़े. वहीं, जन सुराज के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में भी युवा समीकरण पर खास फोकस किया गया. 

जन सुराज की पहली लिस्ट में युवा चेहरों को बैलेंस जगह 

जन सुराज पार्टी ने 51 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की. इसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पौत्री जागृति ठाकुर और भोजपुरी गायक रितेश पांडे को मौका दिया. इनके अलावा उनकी लिस्ट में शिक्षक, पूर्व ब्यूरोक्रेट्स, पटना हाई कोर्ट के वकील, सुप्रीम कोर्ट के वकील और डॉक्टर्स को टिकट दिया है. लिस्ट में पीके ने युवाओं को अपने पाले में करने वाले चेहरों को जगह दी. कहीं न कहीं इसका अहसास NDA और महागठबंधन दोनों को है. ये ही वजह है कि चुनावों के ऐलान से पहले नीतीश सरकार ने कई ऐलान किए. उनके केंद्र में युवा और महिला मतदाता मुख्य थे. 

युवाओं के लिए NDA ने क्या घोषणाएं की? 

  • मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को बड़ी सहायता
  • लाभार्थियों के खाते में 10 हजार रुपये ट्रांसफर कर पहली किस्त दी गई
  • ग्रेजुएट बेरोजगारों को हर महीने 1000 रुपये देने का ऐलान 
  • इसका फायदा बिहार के 12 लाख युवाओं को मिलेगा 
  • इस योजना में नीतीश सरकार 2800 करोड़ रुपए खर्च करेगी
  • बिहार में रिक्त पदों पर भर्ती का ऐलान 
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में 100 रुपए की एक समान फीस 
  • उच्च शिक्षा के लिए बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का ऐलान 
  • इस योजना के तहत 4 लाख तक का लोन बिना ब्याज दिया जाएगा
  • सरकारी स्कूलों में एक से दसवीं तक के लिए स्कॉलरशिप दोगुनी करने का ऐलान 

बिहार में युवाओं को कैसे साध रहा महागठबंधन? 

बिहार में कांग्रेस ने वोट अधिकार यात्रा के जरिए युवाओं को जोड़ा. इसमें कथित वोट चोरी के साथ-साथ कांग्रेस ने युवाओं के बेरोजगारी और पलायन के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने युवाओं को अपने पाले में करने के लिए सरकारी नौकरी और पेशेवर रोजगार जैसे कई बड़े ऐलान किए है. इसके साथ ही उन्होंने बिहार में पेपर लीक को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही. 

कांग्रेस के अलावा RJD भी युवाओं को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. तेजस्वी यादव ने सत्ता में आने के 20 दिन के भीतर ही ऐसा कानून लाने की घोषणा की. जिसके तहत सरकारी नौकरी से वंचित परिवार के किसी सदस्य को 20 महीने के अंदर नौकरी मिल सकेगी. यानी सरकारी नौकरी की गारंटी. तेजस्वी यादव ने इस ऐलान के साथ ‘हर घर जॉब, हर घर जश्न’ का नारा दिया. हालांकि तेजस्वी यादव का ये नारा बिहार की आबादी और नौकरी के गणित पर फिट नहीं बैठता, लेकिन चुनावी समय में युवावों को साधने की कवायद में बराबर फिट बैठ रहा है. 

बिहार के युवाओं के सामने क्या-क्या परेशानी हैं? 

बिहार की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में लचरता, सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार, नौकरी और रोजगार के कम मौके, युवाओं का पलायन यहां के युवाओं के सामने आज भी कायम हैं. युवा चाहते हैं सरकार इन मुद्दों को गंभीरता के साथ तरजीह दे. 

वहीं, NDA के साथी चिराग पासवान भी युवाओं के बीच खासी पहचान बना रहे हैं. इसी का नतीजा है कि उनकी पार्टी LJP(रामविलास) को 29 सीटे दी हैं. युवाओं को साधने के लिए सभी पार्टियां जातिगत जकड़न को तोड़ते हुए आगे बढ़ रही हैं. क्योंकि उन्हें भलि-भांति इस बात का अंदाजा है कि महिलाओं के साथ-साथ बिहार में इस बार युवा खासकर Genz वोटर्स बदलाव का वाहक बनेंगे. 

बिहार में 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में 243 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग होगी. जबकि नतीजे 14 नवंबर को आएंगे. पहले चरण के लिए नामांकन शुरू हो चुका है. नामांकन पत्रों की जांच 18 को होगी और 20 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे.

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