Bihar Election: पिता JDU सांसद, लंदन रिटर्न बेटा RJD उम्मीदवार…कौन हैं बेलहर सीट के 'चाणक्य’?
बिहार की राजनीति का एक रंग ये भी है कि एक ही कुनबे के दो सदस्य अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़ते हैं. कुछ इसी तरह की राजनीतिक कहानी है JDU सांसद गिरधारी लाल के परिवार की.
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बिहार की सियासी जंग हर दिन दिलचस्प होती जा रही है. दल-बदल, जोड़ तोड़ का खेल और समीकरण कब बदल जाएं. कुछ नहीं कहा जा सकता. बिहार की राजनीति का एक रंग ये भी है कि एक ही कुनबे के दो सदस्य अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़ते हैं. कुछ इसी तरह की राजनीतिक कहानी है JDU सांसद गिरधारी लाल के परिवार की.
बिहार के सियासी शोर में बांका की बेलहर सीट के किस्से सबसे ज्यादा सुनाए जा रहे हैं. बांका से JDU सांसद गिरधारी लाल के बेटे चाणक्य प्रकाश रंजन तेजस्वी के खास हैं और RJD से उम्मीदवार हैं. यानी पिता सत्ताधारी दल के सांसद है और बेटा विपक्ष से मैदान में है. चाणक्य प्रकाश रंजन बेलहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
JDU की सीट पर कब्जा जमा पाएंगे RJD के ‘चाणक्य’
बेलहर विधानसभा सीट पर मौजूदा समय में JDU का ही कब्जा है. JDU के मनोज यादव इस सीट से विधायक हैं. पार्टी ने फिर एक बार उन्हीं पर भरोसा जताया है. मनोज यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के रामदेव यादव को करीब 2,473 वोटों से हराया था. इस बार मुकाबला सांसद पुत्र चाणक्य प्रकाश रंजन से है.
कौन हैं चाणक्य प्रकाश रंजन?
चाणक्य प्रकाश रंजन ने बिहार में चुनावों का ऐलान होने के बाद RJD का दामन थामा था. वह काफी पढ़े लिखें हैं तीन महीने पहले ही लंदन से बिहार लौटे हैं. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (LSE) से मास्टर ऑफ पब्लिक पॉलिसी की पढ़ाई की है. 2023 में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. बांका और बेलहर में उन्हें पिता गिरधारी लाल के साथ सक्रियता से देखा गया. वह कई जनसंपर्क अभियान में भी शामिल रहे.
चाणक्य प्रकाश रंजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया था. वह थियेटर से भी जुड़े हुए हैं. उन्होंने इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ से इंटरनेशनल ट्रेड एंड बिजनेस लॉ में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा भी किया है.
JDU का मजबूत चेहरा हैं पिता गिरधारी लाल
चाणक्य प्रकार रंजन के पिता गिरधारी लाल बिहार में JDU का मजबूत चेहरा हैं. वह युवा कांग्रेस में भी सक्रिय रहे. इसके बाद वीपी सिंह की राजनीति से जुड़े और फिर जनता दल की ओर रुख कर लिया. मौजूदा समय में उनका कद JDU के बड़े नेता का है. हालांकि हाल ही में उन्होंने चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे. उन्होंने SIR को तुगलकी फरमान करार दिया था.
RJD में शामिल होने से पहले चाणक्य प्रकाश रंजन पिता के साथ बेलहर सीट की सभाओं में एक्टिव नजर आए थे, लेकिन बाद में RJD में शामिल होकर उन्होंने सबको चौंका दिया. बांका में पिता गिरधारी लाल का अच्छा खासा जनाधार है. ऐसे में बेलहर सीट पर चाणक्य प्रकाश के आने से मुकाबला और रोचक हो गया है.
पिता JDU के बड़े नेता हैं और बेटा विपक्षी पार्टी से मैदान में है. ऐसे में देखना होगा जनता का रुख क्या होता है? क्या NDA की विपक्षी पार्टी में जाने का फैसला सही होगा? या फिर जनता को नागवार गुजरेगा? या ‘चाणक्य’ नीति साबित होगी? इन तमाम सवालों के जवाब तो 14 नंवबर को नतीजों के बाद ही मिलेंगे, लेकिन पिता-पुत्र की इस राजनीतिक मिसाल ने बेलहर सीट की जंग को चैलेंजिग बना दिया.
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