पंच प्रयाग क्या है ? कैसे होती हैं गंगा नदी की उत्पत्ति ?
पंच प्रयाग से निकलकर किस तरह से बनती है गंगा नदी, Map के ज़रिये आज आपको यही समझाने की कोशिश करेंगे।
Follow Us:
आपने कई बार सुना होगा कि गंगा नदी पंच प्रयाग से मिलकर बनती है। कभी सोचा है क्या है पंच प्रयाग ? क्या है इसका मतलब ? कैसे होता है इसका उत्थान ? पहले तो इसका मतलब समझिये।
पंच प्रयाग—पंच मतलब पांच और प्रयाग मतलब संगम। उत्तराखंड की पांच ऐसी पूजनीय जगह हैं जहां से पास नदियाँ अलकनंदा में मिलती हैं और तब ज़ाकर पवित्र नदी गंगा बनती है। इसे ही पंच प्रयाग कहा गया है। और विस्तार से इसे समझेंगे कि पंच प्रयाग में कौन कौन से पूजनीय स्थल है और कैसे एक एक कर मिलकर होता है गंगा नदी का उत्थान ?
भारत एक ऐसा देश है जो अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है। इसीलिए तो आप देश के किसी भी कोने में चले जाइये आपको धार्मिक स्थल मिल जाएंगे। हमारी इन्हीं जड़ों को मज़बूत करती हैं वो नदियां जिनका अस्तित्व आज भी हमें दिखाई देता है। आप सोचिये ना भारत में ऐसी ऐसी नदी बहती हैं जिनमें डुबकी लगाकर हम और आप अपने पाप धो सकते हैं।
और ऐसे में जब हम बात करते हैं तीर्थनगरियों की तो इनमें से सबसे पहला नाम आता है उत्तराखंड की। उत्तराखंड देवभूमि के नाम से मशहूर है। तो आज इस रिपोर्ट में उत्तराखंड की पाँच पूजनीय और पवित्र स्थानों की बात करेंगे और साथ ही पंच प्रयाग की भी जहां से निकलती ऐसी नदियों जिनका संगमा देता है गंगा नदी को उत्पत्ति।
सबसे पहले बद्रीनाथ के पास सतोपंथ ग्लेशियर से निकलती है विष्णु गंगा। फिर नीति पास से निकलती है धौली गंगा। इन दोनों नदियों का मिलन होता है विष्णु प्रयाग में। यहां पर मिलकर दोनों बनाती हैं अलकनंदा नदी।
अलकनंदा आगे बढ़ती हैं और नंद प्रयाग में जाकर उसकी मुलाक़ात होती है नंदाकिनी नदी से जो त्रिशूल पर्वत की चोटी नंदा घुंटी से आ रही होती है।
अलकनंदा आगे बढ़ते हुए पहुंचती है कर्णप्रयाग तक। यहां पर अलकनंदा की मुलाक़ात होती है पिंडर नदी से। अब पिंडर नदी के साथ आगे बढ़ते हुए अलकनंदा और आगे बढ़ती है और जा पहुंचती है रुद्रप्रयाग तक।
रुदप्रयाग में अलकनंदा की मुलाक़ात होती है मंदाकिनी नदी से। मंदाकिनी नदी की उत्पत्ति चोराबाड़ी ग्लेशियर से होती है।ये ग्लेशियर केदारनाथ के पास है।
रुद्रप्रयाग से निकलकर अलकनंदा पहुंचती है देवप्रयाग जहां पर उसकी मुलाक़ात भागीरिथी नदी से होती है। ये भी जान लीजिये कि भागीरिथी नदी की उत्पति होती है गंगोत्री ग्लेशयर से जो कि गोमुख के पास है। खैर, इतनी नदियों के समागम के बाद आख़िर जाकर होता है गंगा नदी की उत्पति।
चलिये अब ये भी समझ लीजिये कि पंच प्रयाग की पौराणिक कथा क्या है ?
पंच प्रयाग की पौराणिक कथा-
जब मां गंगा स्वर्ग से धरती पर आई तो उनका बहुत तेज़ प्रवाह था, लिहाज़ा भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर लिया।
इसके बाद मां गंगा का प्रवाह कम हुआ और वो अलग अलग हिमालयी क्षेत्र में बहने लगीं।
फिर गंगा अलग अलग नदियों के रूप में बहने लगीं जैसे भागीरथी, अलकनंदा, विष्णु, धौलीगंगा, मंदाकिनी, पिंडर और मंदाकिनी।
जिन स्थानों पर दो पवित्र नदियों का संगम हुआ तो स्थान प्रयाग और संगम के नाम से जाना जाने लगा। इसीलिए चूकि उत्तराखंड में ऐसी पांच जगह हैं जहां पर दो नदियों का मिलन हो रहा है या फिर संगम हो रहा है इसीलिए उसे पंच प्रयाग नाम दिया गया।
Advertisement
यह भी पढ़ें
Advertisement