Advertisement

कालीन से कमाल…अमेरिका-चीन को पछाड़कर भारत ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, कजाखस्तान में दिखा मेड इन इंडिया का दम

भदोही की कालीन ने भारत को ऐतिहासिक मुकाम पर पहुंचा दिया. कजाखस्तान की मस्जिद अस्ताना ग्रैंड में बिछाई गई इस भव्य कालीन को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने दुनिया की सबसे बड़ी कालीन का दर्जा दिया गया है. जानें कालीन की सबसे बड़ी खासियत

भारतीय मिट्टी के कण-कण में कला है और इस कला की कायल पूरी कायनात है. एक बार फिर भारतीय कारीगरों ने अपनी अनूठी कला के जरिए विश्व पटल पर इतिहास रच दिया. अपनी बेहतरीन हस्तकला और कारीगरी का नायाब नमूना यूपी के भदोही की कालीन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गई. 

भदोही की कालीन को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने दुनिया की सबसे बड़ी हैंड टफ्टेड कालीन के रूप में मान्यता दी है. ये कालीन कजाखस्तान की सबसे बड़ी मस्जिद-अस्ताना ग्रैंड(नूर सुल्तान) में बिछाई गई है. इस ऐतिहासिक मस्जिद में जब ये विशाल और सुंदर कालीन बिछी तो हर कोई इसे देखता रह गया. 

चीन-अमेरिका को मात देकर भारत ने रचा इतिहास

भदोही ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ये गौरव की बात है. भारत को कला के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के साथ-साथ ये उपलब्धि अर्थव्यवस्था में भी देश को मजबूती देगी. मस्जिद- अस्ताना ग्रैंड इस भव्य कालीन को सजाना और रिकॉर्ड कायम करना आसान नहीं था. इस कालीन का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भदोही की कंपनी को कई पापड़ बेलने पड़े. टेंडर के लिए चीन और अमेरिका की कंपनियों ने भी अप्लाई किया था. हालांकि भदोही की कंपनी ने इनको मात देते हुए अपनी कुशल कारीगरी का लोहा मनवाया.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज भदोही की कारीगरी

क्यों खास है भदोही की ये कालीन? 

इस भव्य कालीन को भदोही की पटोदिया कॉन्ट्रैक्ट कंपनी ने तैयार किया है. 12,464 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है इस हल्की नीली हैंड टफ्टेड कालीन को बिछाने का काम 50 दिनों में पूरा हुआ है. ये कालीन मस्जिद के नमाज स्थल में लगाई गई है. कालीन पर मस्जिद के बगीचे और जन्नत-उल-फिरदौस की डिजाइन बनाई गई थी. ईरान के परसियन डिजाइन वाली इस कालीन में ऊन का इस्तेमाल किया गया है. 

1000 कारीगरों ने तैयार की कालीन 

निर्माता कंपनी के मुताबिक, इस ऐतिहासिक कालीन का निर्माण कोविड 19 के मुश्किल वक्त में हुआ. साल 2021 में एक हजार से ज्यादा कुशल कारीगरों ने इस कालीन को बुना. मस्जिद अस्ताना ग्रैंड की शान बढ़ा रही इस कालीन को 6 महीने में तैयार किया गया. वहीं, कालीन को बनाने के साथ साथ इसे बिछाने के लिए भी भदोही से कारीगर कजाखस्तान पहुंचे. कालीन के 125 रोल 9 कंटेनर में भरकर मस्जिद में लाए गए थे. कालीन की कीमत 15 लाख अमेरिकी डॉलर यानि भारतीय रुपयों में कुल 13 करोड़ 20 लाख रुपये है. 

मस्जिद में कालीन बिछाने के बाद कंपनी ने इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में रजिस्टर्ड करवाया. वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम ने मस्जिद में आकर कालीन की बारीकियों पर गौर किया, सघन जांच की. सभी पैमाने पूरे करने के बाद 7 अक्टूबर को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक तौर पर भदोही की कालीन को 'दुनिया की सबसे बड़ी हैंड टफ्टेड कालीन' घोषित किया.

इस सफलता के बाद भदोही के कालीन व्यापारी बेहद उत्साहित और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. निर्माता कंपनी का कहना है कि, ये सम्मान न केवल भदोही के कारीगरों की कला का प्रमाण है, बल्कि पूरे भारत के हस्तशिल्प उद्योग की वैश्विक पहचान को मजबूत करेगा. हमारी मेहनत से भारत का नाम दुनिया भर में गूंजेगा.' इससे पहले ईरान की हाथ से बुनी हुई कालीन को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था. 5,630 वर्ग मीटर की इस कालीन को UAE की शेख जायद ग्रैंड मस्जिद में बिछाया गया था. 

Advertisement

यह भी पढ़ें

Advertisement

LIVE
अधिक →