न भगवान की पूजा और न ही अल्लाह की इबादत, ये हैं दुनिया के 13 बड़े देश जहां रहते हैं सबसे ज्यादा नास्तिक, एक है भारत का पड़ोसी
अब चार नए देश फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, उरुग्वे और यूनाइटेड किंगडम ऐसे देशों की लिस्ट में आ गए हैं जहां पर नास्तिकों की संख्या ज्यादा है. इस रिपोर्ट में जानिए 13 बड़े देश जहां रहते है सबसे ज्यादा नास्तिक लोग.
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पिछले 10 सालों में दुनिया में ईसाई देशों की संख्या 124 से घटकर 120 रह गई है. फ्रांस, ब्रिटेन, उरुग्वे और ऑस्ट्रेलिया अब ईसाई बहुल देश नहीं रहे. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वहां की बड़ी आबादी ने अपना जन्म से मिला हुआ ईसाई धर्म छोड़ दिया और खुद को नास्तिक या "religionless" मानने लगी है.
इन लोगों ने कहा कि वे किसी भी धर्म को फॉलो नहीं करते. इसी वजह से इन देशों में ईसाई आबादी 50% से कम हो गई है. इससे पहले भी कई ऐसे देश रहे हैं जहां ज़्यादातर लोग किसी भी धर्म को नहीं मानते. चीन भी उनमें से एक है, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है.
इस तरह नए 4 देशों को मिलाकर दुनिया के कुल 13 बड़े देश हैं, जहां अब किसी धर्म को मानने वालों की बजाय नास्तिकों की आबादी सबसे अधिक है.
जानते है इस लिस्ट में कौन-कौन से देश शामिल हैं?
- पहले नंबर पर है चीन, जहां 90 फीसदी लोग किसी धर्म को नहीं मानते हैं. बाकी के 10 फीसदी लोग बौद्ध और इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं. हालांकि इन पर भी काफी पाबंदियां हैं.
- दूसरे नंबर पर है उत्तर कोरिया, जहां 73 फीसदी आबादी किसी धर्म को नहीं मानते.
- तीसरे नंबर पर है चेक रिपब्लिक, यहां भी 73 परसेंट लोग नास्तिक है.
- चौथे नंबर पर हॉन्गकॉन्ग है, जहां पर 71 फीसदी लोग किसी मत के अनुयायी नहीं हैं.
- इस तरह पांचवे नंबर पर वियतनाम है जहां नास्तिकों की आबादी 68 फीसदी है.
- छठे नंबर पर मकाओ है जहां नास्तिकों का आंकड़ा 68 पर्सेंट है.
- सांतवे नंबर पर जापान है. इस देश में 57 पर्सेंट लोग किसी धर्म को नहीं मानते है.
- आंठवे नंबर पर नीदरलैंड है. जहां 54 परसेंट आबादी किसी धर्म की अनुयायी नहीं हैं.
- नौंवे नंबर पर न्यूजीलैंड है जहां नास्तिकों की संख्या 51 फीसदी है.
लिस्ट में जुड़े चार नए देशों के नाम
अब चार नए देश भी इस लिस्ट में शामिल हो गए हैं — फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, उरुग्वे और यूनाइटेड किंगडम. यानी अब दुनिया की करीब 2 अरब आबादी ऐसी है जो किसी भी धर्म को नहीं मानती. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले 10–20 सालों में ऐसे देशों की संख्या और बढ़ सकती है, जहां ज़्यादातर लोग किसी भी धर्म या मजहब को फॉलो नहीं करते.
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