India’s Richest Village: हर घर में लग्जरी कार, 1000 करोड़ बैंक डिपॉजिट, भारत का NRI गांव, जो बना मिसाल
गुजरात के आणंद जिला मुख्यालय से करीब 24 किलोमीटर दूर धर्मज गांव है. इस गांव में एंट्री करते ही यहां मर्सिडीज, BMW जैसी लग्जरी कारें दिखने लगती हैं, आलीशान घर दिख जाएंगे.
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भारत गांवों का देश कहा जाता हैं. भारत में ऐसे कई गांव हैं जो धन्य धान से बेहद समृद्ध हैं, लेकिन क्या आप भारत के ऐसे गांव के बारे में जानते हैं जहां गरीबी से मुक्त और आधुनिकता से युक्त है. यानी एक ऐसा गांव जहां मॉर्डन होने के साथ-साथ बेहद अमीर भी है. हम बात कर रहे हैं भारत के इकलौते NRI गांव की. जानते हैं गुजरात स्थित अमीर और NRI गांव धर्मज के बारे में.
गुजरात के आणंद जिला मुख्यालय से करीब 24 किलोमीटर दूर धर्मज गांव है. इस गांव में एंट्री करते ही यहां मर्सिडीज, BMW जैसी लग्जरी कारें दिखने लगती हैं, आलीशान घर दिख जाएंगे. यहां के बैंक खातों में करीब 1000 करोड़ रुपए जमा हैं. धर्मज गांव की ये अमीरी यहां के विकास मॉडल और प्रवासियों की भागीदारी का नतीजा है.
प्रवासियों ने गांव को बनाया मिसाल
धर्मज गांव को NRI लोगों का गांव कहा जाता है. इन्हीं NRI लोगों की बदौलत धर्मज गांव का स्थान भारत के समृद्ध गांव के नक्शे पर आ गया. धर्मज गांव में लगभग हर घर का कोई न कोई सदस्य विदेश में रहता है. गांव के ये NRI परदेसी होकर भी गांव के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं. प्रवासी गांव लौटते हैं और डेवलपमेंट के कई प्रोजेक्ट में प्रशासन के साथ खड़े नजर आते हैं. सरकारी संसाधन और स्थानीय लोगों की भागीदारी से गांव का कोना-कोना डेवलप है.
धर्मज गांव में कब शुरू हुआ विदेश जाने का सफर?
ये बात 130 साल पुरानी है. जब सन 1895 में धर्मज गांव के दो युवाओं ने युगांडा जाने का फैसला लिया. इन दो लड़कों का नाम था जोताराम काशीराम पटेल और चतुरभाई पटेल. दोनों ने युगांडा में धीरे-धीरे अपना कारोबार जमा लिया. जोगाराम और चतुरभाई की देखा-देखी गांव के बाकी लोगों ने भी विदेश का रुख किया. कोई मैनचेस्टर गया तो कोई दुबई. यहीं से धर्मज में विदेश यात्राओं का दौर चला और गांव की पहचान NRI गांव के रूप में होने लगी. इसके साथ साथ साल 2007 से लागू विकास मॉडल ने भी गांव को समृद्ध बनाया. प्रवासियों को गांव से इतना प्यार है कि, हर कोई किसी न किसी तरह से गांव के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है.
धर्मज गांव के लोग खुद भी विदेश में रहते हैं और गांव का नाम भी इंटरनेशनल लेवल पर दर्ज कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मज गांव के करीब 1700 परिवार ब्रिटेन में, 800 अमेरिका में, 300 कनाडा में और 150 ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में बसे हैं. इसके अलावा अफ्रीका, दुबई और अन्य देशों में भी 100 से ज्यादा परिवार रहते हैं.
गांव लौटकर विकास में योगदान देते हैं NRI
इन सभी NRI परिवारों की खास बात ये है कि, ये अपने गांव की जड़ों और मिट्टी की सौंध से जुड़े हुए हैं. NRI गांव लौटते हैं और विकास के लिए राशि का योगदान देते हैं. धर्मज गांव के लोगों की ये ही खासियत गांव को सबसे अलग और स्पेशल बनाती है.
क्या है धर्मज विकास मॉडल?
सरकारी सहभागिता के साथ गांव में विकास का मॉडल साल 2007 में शुरू हुआ था. इस साल गांव के NRI और स्थानीय पंचायत ने मिलकर ‘धर्मज विकास मॉडल’ लागू किया. सरकारी और जनता के इस मेल ने ग्रामीण भारतीय जीवन के मायने ही बदल दिए. यहां साफ सुथरीं पक्की सड़कें और सफाई व्यवस्था शहरों को भी मात देती हैं. जबकि शहरों से काफी अच्छी हैं. इसकी वजह पंचायत और ग्रामीणों की हर दिन की कोशिश है. यहां न तो कूड़े के ढेर दिखेंगे न ही बदबूदार पानी से भरे गड्ढे. यानी एक ऐसी व्यवस्था जो भारत के शहर भी अमल में नहीं ला पाते.
हरियाली के बीच स्विमिंग और बोटिंग की सुविधा
गुजरात का धर्मज गांव प्रकृति और आधुनिकता के साथ कदमताल करता है. धर्मज गांव के लोगों के पास मनोरंजन के साधनों की भी कमी नहीं है. यह गांव समृद्ध होने के साथ-साथ खुशहाल भी है. गांव में पार्क, स्विमिंग पूल बोटिंग और बगीचों से भरा हुआ है. इतना ही नहीं गांव की करीब 50 बीघा जमीन हरी घास उगाने के लिए ही है. यह जमीन स्थानीय पशुपालकों के लिए चारागाह में भी काम आती है. धर्मज गांव में साल 1972 से भूमिगत जल निकासी प्रणाली काम कर रही है, जो कई भारतीय शहरों में नहीं है.
बैंकिंग और निवेश में मिसाल
रिपोर्ट के मुताबिक, यह गांव सिर्फ 17 हेक्टेयर में फैला हुआ है. जिसकी आबादी 11,333 लोगों की है लेकिन यहां 11 बैंक ब्रांच हैं. धर्मज में सरकारी, प्राइवेट और को-ऑपरेटिव बैंक खुले हुए हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, इन बैंकों में 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा है. इस तरह से धर्मज गांव निवेशकों का गांव भी कहा जाता है. सबसे पहले साल 1959 में यहां ‘देना बैंक’ की पहली शाखा खुली थी. इसके बाद 1969 में ग्राम सहकारी बैंक की स्थापना हुई. सबसे खास बात ये है कि सहकारी बैंक के पहले अध्यक्ष एचएम पटेल बने थे जो आगे चलकर भारत के वित्त मंत्री बने. धर्मज गांव का बैंकिंग इतिहास गौरवशाली रहा है.
हर घर लग्जरी, महंगी गाड़ियां
धर्मज की साफ सुथरी पक्की सड़कों पर मर्सिडीज, ऑडी, BMW जैसी लग्जरी गाड़ियों को दिखना आम है. यहां के घरों के निर्माण में शामिल सामान भी विदेशों से आता है. घरों की वास्तुकला में इसकी झलक दिखती है.
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धर्मज की सबसे बड़ी ताकत इसकी आत्मनिर्भर पंचायत व्यवस्था है. जिसे सींचने और पोषित करने में गांव के ही लोगों की भूमिका है. ऐसा नहीं है कि पंचायत में सरकारी पैसा नहीं आता लेकिन ज्यादा भागीदारी स्थानीय लोगों की ही होती है. उनकी मदद से धर्मज गांव में स्कूल, अस्पताल, पार्क, जल निकासी, सड़कें हाईक्लास और मॉर्डन तकनीक से लैस हैं. ये दौलतमंद गांव हर साल 12 जनवरी को धर्मज दिवस भी मनाता है. जो गांव के गौरवशाली NRI इतिहास और विकास की कहानी बताता है. इस जश्न में विदेशों से NRI भी शरीक होते हैं. धर्मज गांव न केवल विकास की मिसाल है बल्कि एकता और गर्व का बड़ा उदाहरण भी है.
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