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Kadak Baat : डार्क टूरिज्म को लेकर सख्त हुई केरल पुलिस, जारी की चेतावनी, जानिए क्या है डार्क टूरिज्म

केरल पुलिस ने डार्क टूरिज्म को लेकर चेतावनी जारी की है। क्या है डार्क टूरिज्म ? इस वीडियो में जानिए

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08 Aug 2024
( Updated: 06 Dec 2025
01:31 AM )
Kadak Baat : डार्क टूरिज्म को लेकर सख्त हुई केरल पुलिस, जारी की चेतावनी, जानिए क्या है डार्क टूरिज्म
Wayanad : केरल के Wayanad में तबाही का मंजर ऐसा है कि लोग जिंदगी की जद्दोजहद से जूझ रहे हैं। चारों तरफ सैलाब ही सैलाब है। और अपनों की जान बचाने के लिए दौड़ते लोग हैं। कुदरत की इस तबाही में अबतक 380 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। तमाम लोग लापता हैं। ऐसे में अब केरल पुलिस ने टूरिज्म को लेकर सख्ती बरती है। डार्क टूरिज्म को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। अब सवाल ये है कि आखिर  डार्क टूरिज्म क्या है। क्यों इसे डार्क टूरिज्म कहा जा रहा है।  जिसको लेकर केरल पुलिस ने अलर्ट जारी किया है। 


दरअसल केरल के वायनाड में लैंडस्लाइट हुई, जिसमें 380 से ज्यादा लोग आंख झपकते ही काल के गाल में समा गए। ऐसे में तमाम लोग मलबे में दबे हुए हैं। जिनको निकालने के लिए तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है अब ऐसे में केरल पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक चेतावनी जारी है। पुलिस का कहना है कि डार्क टूरिज्म पर आने वाले लोग यहां पर घूमने फिरने ना आएं। इससे राहत बचाव कार्य में रुकावट आ रही है । और उनकी जिंदगी को भी खतरा हो सकता है। 

तो चलिए अब ये बताते हैं कि डार्क टूरिज्म क्या है। जो सुनने में भले ही नया लग रहा है। लेकिन देश से लेकर दुनिया में पर्यटन का ये कल्चर बहुत ज्यादा बढ़ चुका है। और जिसे लेकर केरल पुलिस को सख्ती के साथ चेतावनी जारी करनी पड़ी है।

डार्क टूरिज्म क्या होता है

डार्क टूरिज्म जिसे ब्लैक टूरिज्म, थाना टूरिज्म, मॉर्बिड टूरिज्म, ग्रीफ टूरिज्म भी कहा जाता है।ये उन जगहों पर होता है जहां पर किस किस्म की त्रासदी हो चुकी हो। 
जब लोग समुद्र-पहाड़ या हरियाली की जगह उन इलाकों या इमारतों को देखने जाने लगें, जहां कोई दुर्घटना हुई हो, या फिर जहां नरसंहार या भारी संख्या में मौतें हुई हों, तो इसे ही डार्क टूरिज्म कहते हैं। लोग जाकर उन जगहों और उस हादसे में खुद को शामिल पाते हैं। इस तजुर्बे के लिए वे काफी पैसे खर्च करने को भी तैयार रहते हैं।

अब सवाल ये है कि डार्क टूरिज्म शब्द कहां से आया। कैसे इसकी खोज की गई। दरअसल ।

डार्क टूरिज्म शब्द साल 1996 में ग्लासगो कैलेडोनियन यूनिवर्सिटी के जे जॉन लेनन और मैल्कम फोले ने खोजा था। इसमें बर्बरता से हुई मौतों की साइटों के अलावा भयंकर कुदरती आपदा के बाद मची तबाही साइट पर जाना भी शामिल है । यहां तक की युद्ध से जूझते इलाकों को भी देखना इस टूरिज्म में आता है।

वहीं बाजार पर नजर रखने वाली वेबसाइट फ्यूचर मार्केटिंग के मुताबिक। डार्क टूरिज्म का बाजार बहुत ज्यादा बढ़ा है। डार्क टूरिज्म का बाजार अगले दस सालों में बढ़कर लगभग 41 बिलियन डॉलर तक चला जाएगा। 

2021 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक लोग वैसे तो इन जगहों पर कनेक्शन खोजने जाते हैं।  या उस दर्द को महसूस करने पहुंचते है लेकिन ज्यादातर टूरिस्ट्स के लिए ये सिर्फ एक थ्रिक है जैसे कोई खतरनाक काम करने अपने मिशन पर आया हो। या फिर शोर में उस जगह को देखने पहुंचा है। वैसे दुनियाभर में डार्ट टूरिज्म के लिए कई जगहें खास मानी जाती है। इनमें से एक पोलैंड का नजरअंदाजी कैंप है।  कहा जाता है कि यहां यहूदी कैद में रखकर मारे गए थे। इसी वजह से यहां डार्क टूरिज्म सबसे ज्यादा होता है। दूसरा डार्क टूरिज्म सबसे ज्यादा जापान में होता है। दरअसल यहां अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा पर न्यूक्लियर बम गिरा, जिससे अस्सी हजार लोगों की जान चली गई इसके बाद भी तबाही जारी रही। कुछ लोग रेडिएशन पॉइजनिंग से मौत की नींद सो गए। बर्बादी का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इस धमाके में 70% इमारतें ढह गई थी। इस जगह पर पीस मेमॉरियल पार्क भी बना दिया गया।  जिसकी वजह से यहां डार्क टूरिज्म सबसे ज्यादा है। 

डार्क टूरिज्म में कौन कौन सी जगह शामिल हैं ? ट्रेड।

ग्राउंड जीरो न्यूयॉर्क- ये वो जगह है जहां वर्ल्ड ट्रेड सेंटर न्यूयॉर्क शहर में खड़ा था 2001 में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों टावर ध्वस्त हो गए।यूक्रेन का चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र भी इसमें शामिल है. यहां 1986 में न्यूक्लियर हादसे में 32 लोगों की मौत हो गई थी। रवांडा नरसंहार की साइट मुरम्बी नरसंहार स्मारक को दुनिया की डार्केस्ट साइट माना जाता है जहां साल 1994 में अप्रैल से जून के बीच करीब 50 हजार जानें गई थी इटली का पोम्पई शहर भी इसमें शामिल है ये शहर 19सौ साल पहले ज्वालामुखी के लावे में जकर खाक हो गया था ।

सिर्फ विदेश ही नहीं भारत में भी डार्क टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है। भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां डार्क टूरिज्म तेजी से बढ़ रहा है जैसे जलियावाला बाग, अंडमान की सेल्युलर जेल, उत्तराखंड की रूपकुंड झील और जैसलमेर का कुलधरा गांव, जो रातोरात रहस्यमी करणों से उजड़ गया था। हालांकि कुछ सालों से टूरिज्म के इस तरीके का विरोध भी तेजी से हो रहा है। क्योंकि ये ऐसी जगहों पर होता है जहां कोई त्रासदी हुई हो। हो सकता है कि पर्यटन अनजाने में स्थानीय इमोशन्स को आहत कर दें।या फिर कोई नुकसान इसकी वजह से उठाना पड़ जाए।

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