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Kadak Baat : जातीय जनगणना पर चिराग और नीतीश ने मिलाए इंडिया गठबंधन के सुर में सुर, क्या मोदी के साथी हो गए बागी ?

NDA की सहयोगी पार्टी JDU ने OBC कल्याण संबंधी संसदीय समिति की बैठक में जाति जनगणना का समर्थन किया है. दरअसल इस बैठक में पहले कांग्रेस ने गनगणना की मांग उठाई. उसके सुर में सुर TMC ने मिलाए. और तुरंत ही जनगणना पर JDU भी हां में हां मिलाती नजर आई।

Kadak Baat : क्या मोदी सरकार जल्द गिरने वाली है? क्या मोदी के साथियों ने दगाबाजी कर NDA का खेल बिगाड़ दिया है? इन सवालों ने राजनीति में तहलका मचा दिया है, क्योंकि मोदी जिस काम में हाथ डाल रहे हैं, चिराग पासवान से लेकर नीतीश कुमार उन हाथों को ही काटने का काम कर रहे हैं। अभी तक खबरें जोर पकड़ रही थीं कि चिराग पासवान ने मोदी को आंख दिखाते हुए NDA में खेल करना शुरू कर दिया है। दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने ऐसा बयान दे डाला है कि दिल्ली में मोदी और शाह के होश उड़ गए हैं। वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन JDU के बयान से खुशी मनाने जुट गया है, क्योंकि JDU ने इंडिया गठबंधन के सुर में सुर मिलाते हुए मांग की है कि अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण संबंधी संसदीय समिति में चर्चा के लिए जाति आधारित जनगणना को विषय के रूप में शामिल किया जाए।द्रविड़ मुनेत्र कषगम के सदस्य टीआर बालू ने समिति की पहली बैठक में यह मुद्दा उठाया।

जनगणना पर नीतीश ने मिलाए विपक्ष के सुर में सुर 

दरअसल, संसदीय समिति की बैठक में सबसे पहले कांग्रेस ने जातीय जनगणना की मांग उठाई। इसके बाद TMC ने भी कांग्रेस के सुर में सुर मिलाया और आखिर में JDU ने भी जातीय जनगणना पर विपक्ष को समर्थन देते हुए हां में हां मिलाना शुरू कर दिया। बकायदा यह मांग JDU ने अमित शाह तक भी पहुंचा दी है। जबकि नीतीश कुमार को साफ-साफ पता है कि फिलहाल मोदी सरकार जातीय जनगणना के पक्ष में नहीं है, क्योंकि विपक्ष यह मुद्दा अभी अपनी राजनीति रोटियां सेंकने के मकसद से उठा रहा है। बावजूद इसके, नीतीश के नेताओं ने विपक्ष का साथ देते हुए जोरों-शोरों से जातीय जनगणना की मांग उठाकर मोदी सरकार को हिलाने का काम किया है। खैर, नीतीश से पहले चिराग पासवान ने सार्वजनिक तौर पर देशव्यापी जातीय जनगणना की मांग की है।

चिराग तो बगावत पर उतरे ही हैं, लेकिन नीतीश कुमार से उनका हाथ पकड़कर जो काम किया है, उसका अंजाम बागियों को भारी पड़ सकता है। वही दूसरी तरफ बात करें मोदी के हनुमान चिराग पासवान की, तो वो जिस ट्रैक पर पिछले कुछ समय से चल रहे हैं, उस पर जल्द ही मोदी और शाह बड़ा एक्शन ले सकते हैं। अब ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या चिराग पासवान का मोदी सरकार से मोहभंग हो गया है, क्योंकि चिराग पासवान लगातार मोदी सरकार के तमाम फैसलों का विरोध कर रहे हैं।

  • चिराग पासवान ने कोटा के अंदर कोटा को लेकर SC के फैसले का विरोध किया। उन्होंने केंद्र सरकार के फैसले से अपना निर्णय अलग रखा।
  • लेटरल एंट्री से नियुक्ति के केंद्र सरकार के फैसले का भी चिराग पासवान ने खुलकर विरोध किया। सरकार को फैसला रद्द करना पड़ा।
  • वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का भी LJP ने खुलकर विरोध किया।
  • अब जातीय जनगणना के फैसले पर विपक्ष के सुर में सुर मिलाए।

चिराग पासवान के मोदी से मोहभंग होने की कई और वजहें भी कही जा रही हैं, जिसमें यह बात भी निकलकर सामने आई है कि हाल ही में चिराग को साइड करते हुए अमित शाह ने उनके चाचा पशुपति पारस को भाव देना शुरू कर दिया है। उन्हें मिलने के लिए दिल्ली बुला लिया है, जिसके बाद पशुपति पारस ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से भी मुलाकात की। इन तस्वीरों ने चिराग पासवान की घबराहट बढ़ाई, तो वह खुद पीएम मोदी और अमित शाह को झटका देने के लिए मैदान में कूद आए। लेकिन इसी बीच मोदी और शाह ने चिराग और नीतीश दोनों को सबक सिखाने का प्लान भी सेट कर लिया है। आंख दिखाएंगे तो कहीं के नहीं रह जाएंगे। यह बात चिराग भी अच्छे से जानते हैं, और उनके नए साथी भी। यही वजह है कि जैसे ही खबरें तूल पकड़ने लगीं कि चिराग पासवान के तीन सांसद बीजेपी के साथ जा सकते हैं, वैसे ही चिराग पासवान लाइन पर आ गए और किसी के जाने पर बयान दिया। अब देखना यह होगा कि विरोध में सुर ऊंचे कर रहे विपक्षियों को मोदी और अमित शाह कैसे आगे सबक सिखाते हैं।

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