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संविधान और बाबासाहेब की बात करने वाली कांग्रेस की सच्चाई जानकर हैरान रह जाएंगे

संविधान का बात करने वाले, राहुल का पकड़ा गया झूठ, आठवले ने कांग्रेस के ‘काले कारनामे’ गिना दिए

कांग्रेस के जननायक राहुल गांधी इस वक़्त देश को बताने की कोशिश कर रहें है कि, संविधान ख़तरे में हैं, बाबा साहब की विचारधारा ख़तरे में है। इसीलिए हर जगह संविधान लेकर घूम रहें है और संसद में शपथ भी ले रहें है तो संविधान लहरा रहें है, साथ ही उनके जो सहयोगी हो वो भी संविधान लेकर उसे बचाने निकले है।वो बात अलग है कि, संविधान लेकर घूमने वालों को ये नहीं पता कि संविधान में कितने पन्ने होते हैं।अनुराग ठाकुर ने तो यहीं पर इन संविधान रक्षकों की पोल खोल दी, लेकिन बात यहीं ख़त्म नहीं होती, क्योंकि आज कांग्रेस का काला चिट्ठा खोलने का दिन है। 

जिसमें आपको ये पता चलेगा कि कैसे कांग्रेस ने बाबासाहब को हर बार हराने के लिए पूरा दम लगाया और जब-जब मौका मिला बाबा साहब का विरोधी किया और जो राहुल गांधी आज ये बताने को कोशिश कर रहें हैं कि वो संविधान के संरक्षक है, उन्हें पहले रामदास आठवले की बात कान खोलकर सुन लेनी चाहिए।तो चलिए अब रामदास आठवले के इस बयान के बाद आपको कांग्रेस की बाबासाहब के विरोधी मानसिकता का पूरा सच बताते हैं ।

1952 पहले चुनाव में हारे बी आर आंबेडकर 

1952 में आंबेडकर बॉम्बे नॉर्थ एससी आरक्षित सीट से चुनाव लड़े, जहां कांग्रेस ने नारायण काजरोलकर को मैदान में उतारा था, भीम राव आंबेडर को 123,576 वोट मिले, कांग्रेस के नारायण काजरोलकर को 1,37,950 वोट मिले, यानि कांग्रेस ने बाबा साहेब को 14 से ज़्यादा वोटों से चुनाव हरा दिया ।

1954 में उपचुनाव हार गए बी आर आंबेडकर 

महाराष्ट्र की तत्कालीन लोकसभा बंडारा में उपचुनाव हुए, कांग्रेस ने 1954 ने उपचुनाव में भी आबंडेकर को एक बार फिर हराया। बी आर आंबेडकर उपचुनाव में तीसरे स्थान पर रहे और कांग्रेस पार्टी को जीत मिल गई ।

कांग्रेस बाबासाहब को भारत रत्न नहीं देना चाहती थी 

1990 में बाबासाहब को मरोणोपरांत भारत रत्न मिला, वी पी सिंह की सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान दिया, लेकिन उससे पहले केंद्र में राज करने वाली कांग्रेस ने कभी भी बाबासाहब को भारत रत्न देने की सोची भी नहीं, जबकि इंदिरा औेर जवाहरलाल नेहरु को सर्वोच्च सम्मान मिल चुका था। एक बार मायावती ने भी कहा था, बाबासाहब को सरकारें भारत रत्न नहीं देना चाहती थी।

सेंट्रल हॉल में बाबासाहब की तस्वीर का क़िस्सा

वैसे तो कांग्रेस के राज में ही सेंट्रल हॉल में बाबासाहब की तस्वीर लग जानी चाहिए थी।लेकिन मोतीलाल नेहरु, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, जवाहरलाल नेहरु की तस्वीर सेंट्रल हॉल में लग गई, बी आर आंबेडकर की याद कांग्रेस को नहीं आई, वी पी सिंह की सरकार में बी आर आंबेडकर को सेंट्रल हॉल में जगह मिली ।

यानि जो कांग्रेस आज घूम घूम कर दुनिया को ज्ञान दे रही है कि बाबा साहब के विचारों को ख़तरा मोदी सरकार से है। वहीं कांग्रेस बाबा साहेब भीम राव आंवेडकर की सबसे बड़ी दुश्मन रही है, चाहे दो-दो बार चुनाव हराना रहा हो, भारत रत्न न देना हो, सेंट्रल हॉल में तस्वीर न लगाना हो, जब भी कांग्रेस को मौक़ा मिला उसने बाबासाहब को नीचा दिखाने की हर बार कोशिश की। लेकिन आज कांग्रेस के जननायक देश को बताने निकले हैं कि, संविधान ख़तरे में हैं, बाबा साहब की विचारधारा ख़तरे में हैं ।

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