'मुलायम की मौत के साथ...', आजम खान ने अपने राजनीतिक भविष्य पर दिया चौंकाने वाला बयान, क्या छोड़ने जा रहे सपा?
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान दो साल बाद जेल से बाहर आए. रामपुर में हालात बिगड़ने और लोगों के हक के लिए उन्होंने राजनीति जारी रखने का फैसला किया. उन्होंने कहा, 'मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन खुदगर्जी ने रोका.'
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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान दो साल बाद जेल से छूटकर आज बाहर आए हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी आजम खान से मुलाकात और उनकी तबियत का हाल जानने के लिए रामपुर जाने वाले हैं. इस बीच जेल से रिहा होने के बाद आजम खान ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने कहा मुझे तो मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ही राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन मैं खुदगर्ज हो गया.
10 साल में बिगड़ गए रामपुर के हालात
सपा नेता आजम खान के जेल से बाहर आने के बाद रामपुर में राजनीति का माहौल एक बार फिर गरमाता नजर आ रहा है. उनके बयान ने शहर की राजनीतिक हलचल को बढ़ा दिया है. आजम खान ने कहा कि 'मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन खुदगर्जी ने उन्हें रोका.' आजम ने कहा कि लोगों का दर्द उनकी आंखों में था और कुछ अधूरे काम थे, जिन्हें पूरा करने की चाह ने उन्हें लगातार चुनौती दी और कई बार जलील किया. उनका कहना था, 'अब तो ऐसी स्थिति है कि ओखली में सिर दे दिया है, मूसल से क्या डरना' उन्होंने आगे यह भी कहा रामपुर के हालात बीते 10 सालों में काफी बिगड़ गए हैं लेकिन लोगों के हक के लिए उन्होंने राजनीति में बने रहने का विकल्प चुना.
रामपुर की राजनीतिक पृष्ठभूमि ऐतिहासिक है
आजम खान ने रामपुर की राजनीतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर भी बात की. उन्होंने बताया कि 'वह नवाबों से लड़कर यहां आए हैं और रानी विक्टोरिया के समय नवाब की कुर्सी कितनी महत्वपूर्ण थी. उन्होंने याद दिलाया कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मेरठ से निकले योद्धाओं को रामपुर के नवाबों की सेना ने रोक दिया था, जिससे आजादी की लड़ाई पर असर पड़ा.'
पार्टी छोड़ने के कयासों का किया खंडन
इसके साथ ही आजम खान ने उन सभी चर्चाओं पर विराम लगा दिया. जिसमें यह बातें निकलकर सामने आ रही थी वो पार्टी छोड़कर बसपा में चले जाएंगे. उन्होंने कहा कि 'ये बचपने की बातें हैं और वह पहले भी सपा से कभी नहीं निकले, बल्कि उन्हें मजबूरी में निकाला गया था और फिर मुलायम सिंह यादव की मोहब्बत में वापस लिया गया. उन्होंने मुलायम सिंह यादव के साथ अपने अनोखे रिश्ते का जिक्र भी किया. इसके साथ ही अखिलेश यादव को लेकर आजम खान ने कहा कि उनके पिता मेरे अजीज मित्र थे और अखिलेश उनके बेटे के सामान हैं.'
बताते चलें कि रामपुर में उनकी वापसी ने न केवल स्थानीय राजनीति को हिला दिया है, बल्कि यह शहर फिर से सत्ता और हक की बहसों का केंद्र बन गया है. आजम खान की बेबाक बातें और उनका आत्मविश्वास यही संकेत देते हैं कि रामपुर में राजनीति अब नए मोड़ की ओर बढ़ रही है.
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