'आई लव मोदी कहना ठीक...', आखिर क्यों भड़के असदुद्दीन ओवैसी, कानून को बताया मकड़जाल
देश में आई लव मोहम्मद विवाद लगातार बढ़ रहा है. इस बीच इस मुद्दे को लेकर हैदराबाद के सांसद ओवैसी की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम मस्जिदें छीनी जा रही हैं, आई लव मोदी तो चलेगा लेकिन आई लव मोहम्मद नहीं, और यह सोच देश को गलत दिशा में ले जा रही है.
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देश में इन दिनों ‘आई लव मोहम्मद’ को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. कई स्थानों पर पोस्टर लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे कुछ जगहों पर हालात तनावपूर्ण भी हो गए. उत्तर प्रदेश में बीते सप्ताह जुमे की नमाज के बाद बरेली में हिंसा तक देखने को मिली. इसी बीच यह मुद्दा एक बार फिर से हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उठाया है. उन्होंने कहा कि देश में ‘आई लव मोदी’, कहा जा सकता है लेकिन ‘आई लव मोहम्मद’ कहना उन्हें मंजूर नहीं है.
किस दिशा में ले जा रहे देश: ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संभल मस्जिद को लेकर कहा कि यहां का मामला न्यायालय में है और हमारी मस्जिदों को छीना जा रहा है. ओवैसी ने सरकार की नीतियों और सोच पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि कोई ‘आई लव मोदी’ कहता है तो मीडिया प्रसन्न हो जाता है, जबकि ‘आई लव मोहम्मद’ कहने पर विरोध शुरू हो जाता है. ऐसा करके देश की किस दिशा में ले जाया जा रहा है. ओवैसी ने जोर देकर कहा कि वे मुसलमान हैं सिर्फ़ मोहम्मद की वजह से, और यह इससे आगे या पीछे किसी अन्य कारण से नहीं है, बल्कि उन 17 करोड़ भारतीयों के योगदान को याद करते हुए जिन्होंने देश की आजादी में हिस्सा लिया.
आखिर देश में यह सब क्यों हो रहा है: ओवैसी
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वे हिंसा की पूरी तरह निंदा करते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ वीडियो में पुलिस लाठीचार्ज करती दिख रही है, जबकि दुकानदार उन्हें फूलों से सम्मानित कर रहे हैं. ओवैसी ने चेतावनी दी कि पुलिस केवल सत्ता में बैठे अधिकारियों के प्रति जवाबदेह है, आम जनता के लिए नहीं, और सत्ता बदलने पर वही कार्रवाई आम लोगों पर भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि मोहम्मद के अलावा कोई दूसरा मोहम्मद नहीं था, इसलिए उनके पोस्टर लगाने पर उनका सम्मान करना जरूरी है. ओवैसी ने सरकार से सवाल किया कि इतने सारे नए कानून क्यों बनाए जा रहे हैं और यह सब क्या संकेत दे रहा है. उन्होंने असम का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 3,000 मुसलमानों को सरकारी जमीन पर निर्माण का आरोप लगाकर बेघर कर दिया गया.
कानून सिर्फ मकड़ी का जाला
ओवैसी ने कहा कि इस स्थिति से घबराना नहीं चाहिए और इसे धैर्यपूर्वक संभालना जरूरी है. उनका कहना था कि सभी काम कानून के दायरे में रहकर किए जाने चाहिए और कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब आप कानून के दायरे में रहेंगे, तो समझ पाएंगे कि कानून सिर्फ़ 'मकड़ी का जाला' है. इसके साथ ओवैसी ने यह भी दावा किया कि उनके अनुसार आरएसएस के गठन के बाद किसी सदस्य ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राण नहीं दिए और न ही जेल गए. यह टिप्पणी उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की आरएसएस की राष्ट्र निर्माण में भूमिका की सराहना के बाद की. ओवैसी ने संघ के संस्थापक केबी हेडगेवार की जीवनी का हवाला देते हुए कहा कि हेडगेवार 1930 में दांडी मार्च में शामिल हुए थे और जेल गए थे, ताकि बाद में स्वतंत्रता सेनानियों को संघ में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जा सके.
बताते चलें कि ओवैसी के बयान इस समय देश में चल रहे विवाद और बहस को और गर्माते नजर आ रहे हैं. उनके विचार कानून, धर्म और स्वतंत्रता के मुद्दों पर सरकार और समाज दोनों के लिए सवाल खड़े कर रहे हैं, जबकि आम जनता और राजनीतिक गलियारों में भी इसका गहरा असर देखने को मिल रहा है.
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