Advertisement

'रिश्तों को प्राथमिकता देते हैं, निंरतर संवाद जारी...', ट्रंप के PM मोदी को लेकर दिए बयान पर विदेश मंत्री जयशंकर ने क्या कहा, जानें

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-अमेरिका संबंधों की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इन रिश्तों को अत्यधिक महत्व देते हैं. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के हमेशा अच्छे व्यक्तिगत संबंध रहे हैं और दोनों देशों के बीच निरंतर संवाद जारी है.

06 Sep, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
03:30 AM )
'रिश्तों को प्राथमिकता देते हैं, निंरतर संवाद जारी...', ट्रंप के PM मोदी को लेकर दिए बयान पर विदेश मंत्री जयशंकर ने क्या कहा, जानें
Dr S. Jaishankar (File Photo)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जो बीते कई महीनों से भारत को लेकर लगातार बयानबाजी कर रहे थे लेकिन अब उनके तेवर कुछ नरम होते दिखाई दे रहे हैं. ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान नेता और अपना अच्छा दोस्त बताया है. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप की इन सकारात्मक टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया. उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप की सराहना की और दोनों देशों के रिश्तों को और बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई. अब इस पूरे घटनाक्रम पर विदेश मंत्री एस जयशंकर की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के साथ साझेदारी को बेहद गंभीरता और महत्व के साथ देखते हैं और दोनों देशों के बीच संवाद लगातार जारी है.

अमेरिका के साथ जारी है बातचीत: एस जयशंकर 

शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-अमेरिका संबंधों पर बड़ा बयान दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अमेरिका के साथ साझेदारी को बेहद गंभीरता और महत्व के साथ देखते हैं. यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी संग अपनी दोस्ती की सराहना की, लेकिन कुछ नीतियों को लेकर असहमति भी जताई. जयशंकर ने साफ किया कि भारत और अमेरिका के बीच संवाद लगातार जारी है. उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के साथ हमारी साझेदारी को अत्यधिक महत्व देते हैं. जहां तक राष्ट्रपति ट्रंप की बात है, पीएम मोदी के उनके साथ हमेशा बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध रहे हैं. फिलहाल मैं इतना ही कह सकता हूं कि हम अमेरिका के साथ निरंतर संवाद बनाए हुए हैं.”

ट्रंप ने PM मोदी को बताया दोस्त 

वाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा, “मैं हमेशा प्रधानमंत्री मोदी का दोस्त रहूंगा. वे एक महान प्रधानमंत्री हैं. लेकिन मुझे इस वक्त उनकी कुछ नीतियां पसंद नहीं हैं. हालांकि भारत और अमेरिका के बीच बहुत विशेष रिश्ते हैं. चिंता की कोई बात नहीं है, कभी-कभी ऐसे पल आ जाते हैं.” प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप की इन टिप्पणियों का जवाब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दिया. उन्होंने लिखा, “मैं राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे रिश्तों के सकारात्मक आकलन की गहराई से सराहना करता हूं और उसे पूरी तरह से प्रत्युत्तर देता हूं. भारत और अमेरिका के बीच एक बहुत ही सकारात्मक और भविष्य उन्मुख व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है.” मोदी का यह जवाब संकेत देता है कि भारत इस रिश्ते को केवल व्यक्तिगत संबंधों तक सीमित नहीं देखता, बल्कि इसे व्यापक वैश्विक साझेदारी के रूप में मानता है.

दोनों देशों के बीच टैरिफ बनी चुनौती

भारत-अमेरिका रिश्तों में असहमति का सबसे बड़ा बिंदु इस समय व्यापार है. अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है. इसमें 25% पारस्परिक टैरिफ और 25% अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल खरीदने पर शामिल है. भारत ने इस कदम पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि यह अनुचित और अव्यवहारिक है. भारत सरकार का कहना है कि हर बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह भारत भी अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा करेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव आने वाले समय में दोनों देशों की आर्थिक नीतियों को प्रभावित कर सकता है.

दोनों देशों के बीच रहा है अच्छा संबंध 

भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों की कहानी केवल दोस्ती की नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय हितों के बीच संतुलन की भी है. मोदी और ट्रंप के बीच दोस्ताना संबंध होने के बावजूद दोनों देशों की नीतियों में टकराव दिखाई दे रहा है. यही अंतरराष्ट्रीय राजनीति का असली चेहरा है, जहां भावनाओं के साथ-साथ कठोर निर्णय भी लेने पड़ते हैं. भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता दे रहा है. वहीं अमेरिका अपने रणनीतिक हितों और घरेलू दबावों को ध्यान में रखकर फैसले कर रहा है. यही वजह है कि कभी रिश्तों में मिठास होती है तो कभी तनातनी नज़र आती है.

बताते चलें कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा पीएम मोदी के लिए दिए गए संदेश को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-अमेरिका रिश्ते आने वाले दशकों में और भी महत्वपूर्ण होंगे. दोनों लोकतंत्र केवल व्यापारिक साझेदार नहीं हैं, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता में भी अहम भूमिका निभाते हैं. चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत और अमेरिका का सहयोग अनिवार्य माना जा रहा है.

यह भी पढ़ें

विदेश मंत्री जयशंकर के बयान और मोदी-ट्रंप के बीच संवाद इस बात की गवाही देते हैं कि असहमति के बावजूद रिश्तों की बुनियाद मजबूत है. आर्थिक मोर्चे पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन सुरक्षा, तकनीक, शिक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग जारी रहेगा.

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

LIVE
Advertisement
Podcast video
'मुसलमान प्रधानमंत्री बनाने का प्लान, Yogi मारते-मारते भूत बना देंगे इनका’ ! Amit Jani
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें