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Uttarakhand : हरीश रावत ने जताई उम्मीद, बिहार में गठबंधन मज़बूत और उम्मीदवारों को लेकर जल्द स्पष्टता आएगी

उत्तराखंड के वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि बिहार में महागठबंधन पूरी तरह मजबूत है. उन्होंने भरोसा जताया कि उम्मीदवारों को लेकर जो असमंजस है, वह जल्द ही दूर हो जाएगा और पार्टी एकजुट होकर चुनाव में उतरेगी.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर आशावादी रुख अपनाते हुए कहा कि महागठबंधन अत्यंत मजबूत है. उन्होंने उम्मीद जताई कि उम्मीदवार चयन को लेकर चल रही चर्चाओं का जल्द ही समाधान हो जाएगा. रावत ने कहा कि गठबंधन के सभी घटक दल एकजुट होकर भाजपा को चुनौती देने के लिए तैयार हैं. यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर आंतरिक असंतोष की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं.

बिहार गठबंधन पर भरोसा, टिकट विवाद का सामना

हरीश रावत ने देहरादून में संवाददाताओं से बातचीत में बिहार चुनाव की तैयारी पर चर्चा की. उन्होंने कहा, "बिहार में हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), वाम दलों और अन्य सहयोगियों के साथ हमारी एकता अटल है. " रावत ने स्वीकार किया कि उम्मीदवारों के चयन को लेकर कुछ असमंजस है, लेकिन यह जल्द दूर हो जाएगा. "पार्टी हाईकमान इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर रहा है और जमीनी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा," उन्होंने जोर देकर कहा.

रावत का यह बयान गुरुवार को जारी हुई कांग्रेस की पहली उम्मीदवार सूची के बाद आया है, जिसमें 48 नाम शामिल हैं. सूची में 'पैसे वालों' को तरजीह देने के आरोप लगे हैं, जिससे पार्टी में बगावत के सुर उभर आए हैं. वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की जमीनी मजबूती की नीति को नजरअंदाज किया गया है. 

कांग्रेस में आंतरिक कलह, हाईकमान की समीक्षा

पार्टी के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर जबरदस्त असंतोष है. कार्यकर्ताओं का आरोप है कि वर्षों की मेहनत को दरकिनार कर धनबल वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई. एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही. जमीनी स्तर के नेता निराश हैं. " हरीश रावत ने इस विवाद को स्वीकार करते हुए कहा कि हाईकमान ने इसे गंभीरता से लिया है और समीक्षा के संकेत दिए हैं.

रावत ने याद दिलाया कि 2015 के बिहार चुनाव में महागठबंधन ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी. "इस बार भी हम वोट शेयर बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं. गठबंधन की ताकत से हम सत्ता हासिल करेंगे," उन्होंने दावा किया. उन्होंने नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन में शामिल होने पर भी तंज कसा, कहा कि यह बिहार की जनता के लिए दुखद है.

उत्तराखंड से बिहार तक, रावत की राजनीतिक सक्रियता

उत्तराखंड में अपनी राजनीतिक विरासत को मजबूत करने वाले हरीश रावत ने बिहार चुनाव को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से जोड़ा. उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत से सबक लेते हुए कांग्रेस को वोट प्रतिशत 9-10% बढ़ाना होगा. रावत ने भाजपा की 'छल-बल और धन की युद्ध नीति' की आलोचना की, लेकिन साथ ही उनकी संगठनात्मक ताकत की सराहना भी की.

रावत ने अपने बेटे आनंद रावत के हरिद्वार लोकसभा टिकट की मांग का भी जिक्र किया, लेकिन जोर दिया कि यह पार्टी का फैसला होगा. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रावत का यह बयान महागठबंधन में एकता का संदेश देने का प्रयास है, खासकर तब जब आरजेडी और अन्य दल भी उम्मीदवारों पर चर्चा कर रहे हैं. 

एकजुटता और जमीनी अभियान

हरीश रावत ने गठबंधन की रणनीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आगामी दिनों में संयुक्त रैलियां और बूथ स्तर पर अभियान तेज होंगे. "हम हिंदुस्तान की जनता को भाजपा की नीतियों से अवगत कराएंगे, खासकर बेरोजगारी और महंगाई पर," उन्होंने कहा. पार्टी सूत्रों के अनुसार, उम्मीदवार सूची की दूसरी किस्त जल्द जारी हो सकती है, जिसमें विवादास्पद नामों पर पुनर्विचार होगा.

यह चुनाव न केवल बिहार की सत्ता के लिए बल्कि विपक्ष की एकजुटता के लिए भी परीक्षा होगा. हरीश रावत जैसे दिग्गजों की भूमिका इसमें अहम साबित हो सकती है. 

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