'उद्धव जी, इधर आना हो तो...', CM फडणवीस ने विधान परिषद में उद्धव ठाकरे को दिया ऐसा ऑफर, ठहाकों से गूंज उठा सदन
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को साथ आने का खुला ऑफर दिया है. विधान परिषद में भाषण देते हुए फडणवीस ने मुस्कुराते हुए उद्धव ठाकरे को कहा कि इधर आना हो तो विचार कीजिए.
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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठी में अपने भाषण में कहा, देखिए उद्धव जी, 2029 तक तो हमारा वहां (विपक्ष) आने का स्कोप नहीं है. लेकिन आपको इधर आना हो तो विचार कीजिए. आप पर निर्भर है..अम्बादास दानवे (उद्धव गुट नेता) कहीं भी हों (पक्ष या विपक्ष) लेकिन उनके असली विचार हिंदुत्ववादी हैं.
सीएम फडणवीस का उद्धव को खुला ऑफर
विधान परिषद में भाषण देते हुए फडणवीस ने मुस्कुराते हुए उद्धव ठाकरे को कहा कि "इधर आना हो तो विचार कीजिए." आगे सीएम ने कहा, "देखिए उद्धव जी, 2029 तक तो हमारा वहां (विपक्ष में) आने का स्कोप नहीं है. लेकिन आपको इधर आना हो तो विचार कीजिए. आप पर निर्भर है." उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात के बाद सदन में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस सीधे प्रस्ताव को महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा कदम माना जा रहा है.
#WATCH | In the Maharashtra Assembly, CM Devendra Fadnavis says, "At least till 2029, there is no scope for us to come there (opposition). Uddhav Ji can think about the scope of coming to this side (ruling party) and that can be thought about in a different way, but there is… pic.twitter.com/jMlounhLpL
— ANI (@ANI) July 16, 2025
नेता विपक्ष के विदाई समारोह के भाषण के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ये प्रस्ताव दिया. भाजपा की ओर से उद्धव ठाकरे को ये पेशकश बृहन्मुंबई महानगर पालिका चुनाव के कुछ महीनों पहले की गई है. बीएमसी पर अभी शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट का ही कब्जा था. पिछली बार चुनाव में बीजेपी और शिवसेना की सीटें करीब-करीब बराबर थीं.
ठाकरे ब्रदर्स ने हाल ही में किया था बड़ा प्रोटेस्ट
उद्धव ठाकरे ने हाल ही में अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के साथ मिलकर महाराष्ट्र के स्कूलों में हिन्दी भाषा को अनिवार्य बनाए जाने के फैसले का बड़ा विरोध किया था. दोनों भाई 20 साल के सियासी मतभेद को भुलाकर एक मंच पर आए थे. हालांकि शिवसेना भी मनसे की उत्तर भारतीयों के तीखे विरोध से सहज नहीं है. दोनों दलों के बीच राजनीतिक गठबंधन की संभावना भी अब खटाई में पड़ती नजर आ रही है.
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हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट का सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ आना आसान नहीं है. शिवसेना शिंदे गुट के साथ उन्हें साथ लेना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी. गौरतलब है कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव तक बीजेपी और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना साथ थी. लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों की राहें जुदा हो गईं. उद्धव ठाकरे ने विपक्षी दल कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी से हाथ मिलाया.
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