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कल्याणकारी कन्यादान’ के जरिए मान सरकार ने बेटियों को दिया आर्थिक सशक्तिकरण का संदेश, ₹29.33 करोड़ की मदद की घोषणा

भगवंत मान सरकार की ‘कल्याणकारी कन्यादान’ योजना के तहत 5,751 बेटियों को कुल ₹29.33 करोड़ का शगुन वितरित किया गया. इस पहल का उद्देश्य बेटियों को आर्थिक सशक्तिकरण देना और समाज में उनके सम्मान को बढ़ावा देना है.

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने गरीब और जरूरतमंद परिवारों की बेटियों के विवाह को आसान बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. 'आशीर्वाद योजना' के तहत 5,751 बेटियों को कुल ₹29.33 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. यह राशि प्रत्येक बेटी के लिए ₹51,000 के रूप में दी गई, जो अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), पिछड़ा वर्ग (BC) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के परिवारों को मिली.

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे 'कल्याणकारी कन्यादान' बताते हुए कहा कि सरकार गरीब बेटियों की खुशियों का साथी बनेगी. यह योजना पहले 'शगुन योजना' के नाम से जानी जाती थी, लेकिन मान सरकार ने इसे और मजबूत बनाकर सच्चा आशीर्वाद दिया है.

गरीबी के बोझ से मुक्ति

पंजाब में बेटी के विवाह को लेकर गरीब परिवारों पर आर्थिक दबाव एक बड़ी समस्या रहा है. दहेज, साड़ी-शृंगार और अन्य खर्चों के कारण कई परिवार कर्ज के जाल में फंस जाते हैं. इसी चुनौती को दूर करने के लिए शुरू की गई 'आशीर्वाद योजना' अब एक उम्मीद की किरण बन चुकी है. योजना के तहत पात्र परिवारों को विवाह से पहले या बाद में ₹51,000 की सहायता दी जाती है, जो सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर होती है.

ल ही में जारी की गई ₹29.33 करोड़ की राशि से न केवल आर्थिक राहत मिली, बल्कि हजारों परिवारों में खुशी का माहौल बन गया. सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने कहा, "यह सिर्फ पैसे का मामला नहीं, बल्कि बेटियों के सम्मान और परिवार की गरिका सवाल है. " यह राशि 5,751 परिवारों की आंखों में खुशी के आंसू ला रही है.

हर जिले में बेटियों को मिला तोहफा

इस सहायता का वितरण पूरे पंजाब में समान रूप से किया गया है. जालंधर जिले में सबसे अधिक 1,087 बेटियां लाभान्वित हुईं, उसके बाद लुधियाना में 839, मोगा में 885 और संगरूर में 210 बेटियों को राशि मिली. बठिंडा में 633, फिरोजपुर में 349, पटियाला में 357 और गुरदासपुर में 265 बेटियों को यह आशीर्वाद मिला. एसएस नगर में 359, एसबीएस नगर में 359, रूपनगर में 147 और फरीदकोट में 67 बेटियों ने योजना का लाभ उठाया. बरनाला (58), होशियारपुर (70), श्री मुक्तसर साहिब (192), श्री फतेहगढ़ साहिब (106) और मालेरकोटला (62) जैसे जिलों में भी यह राशि पहुंची.

डॉ. बलजीत कौर ने बताया कि यह वितरण पारदर्शी तरीके से किया गया, जिसमें सभी पात्र आवेदनों को प्राथमिकता दी गई. जिला स्तर पर विशेष टीमों ने लाभार्थियों की जांच सुनिश्चित की, ताकि कोई हकदार वंचित न रहे.

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से आगे

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस योजना को अपनी सरकार की प्राथमिकता बताते हुए कहा, "हमारी सरकार का असली आशीर्वाद गरीब बेटियों के साथ है. यह ₹29.33 करोड़ का तोहफा न केवल विवाह को आसान बनाता है, बल्कि बेटियों को समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाता है. " मान सरकार ने योजना को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ले जाकर आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाया है. अब परिवार ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और स्टेटस ट्रैक कर सकते हैं. यह कदम 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान को मजबूत करता है, जहां न केवल शिक्षा बल्कि विवाह जैसे सामाजिक दबावों से भी बेटियों को मुक्ति मिल रही है.

विपक्ष ने भी इस पहल की सराहना की, हालांकि कुछ ने और अधिक राशि बढ़ाने की मांग की है. सरकार का लक्ष्य है कि अगले साल और अधिक बेटियों तक यह लाभ पहुंचे.

खुशी के आंसू और नई उम्मीदें

यह योजना न केवल आर्थिक मदद है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का माध्यम भी बनी है. एक लाभार्थी परिवार ने बताया, "शादी के लिए कर्ज लेना पड़ता, लेकिन अब सरकार ने हमारा हाथ थामा. " इससे दहेज प्रथा पर भी अंकुश लग सकता है, क्योंकि परिवारों को बाहरी मदद की जरूरत कम पड़ेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी योजनाएं लिंग अनुपात सुधारने और महिला सशक्तिकरण में बड़ी भूमिका निभा रही हैं. पंजाब सरकार ने अन्य राज्यों के लिए भी यह मॉडल पेश किया है.

कुल मिलाकर, यह 'कल्याणकारी कन्यादान' पंजाब की बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है. मान सरकार की यह पहल पंजाब को कल्याणकारी राज्य बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और अधिक परिवार इससे जुड़ेंगे, ताकि हर बेटी का विवाह खुशियों का त्योहार बने. 

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