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मोदी सरकार ने मान ली CM भगवंत मान की बात... पंजाब के दिया 595 करोड़ का सहारा, जानें टूटे घरों के मालिकों को मिलेगी कितनी राशि

Punjab Flood: केंद्र सरकार ने पंजाब को गंभीर रूप से बाढ़ग्रस्त राज्य घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इससे राज्य को 595 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन मिलेगा, जिसे 50 साल की आसान किश्तों में चुकाना होगा. यह राशि सार्वजनिक ढांचे की मरम्मत और पुनर्निर्माण में खर्च की जाएगी. फैसला केंद्रीय मंत्रियों के बाढ़ प्रभावित इलाकों के दौरे और पंजाब सरकार की मांग के बाद लिया गया.

Narendra Modi/ Bhagwant Mann (File Photo)

Punjab Flood: पंजाब की बाढ़ प्रभावित जनता के लिए राहत की बड़ी खबर आई है. केंद्र की मोदी सरकार ने गुरुवार को पंजाब को ‘गंभीर रूप से बाढ़ग्रस्त राज्य’ घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह फैसला उस समय आया है जब केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और जितिन प्रसाद ने पठानकोट और गुरदासपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर स्थिति का आकलन किया. दोनों मंत्रियों की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने राज्य सरकार की मांग को स्वीकार किया. बता दें कि पंजाब की भगवंत मान सरकार ने पहले ही केंद्र को पत्र लिखकर यह मांग रखी थी कि राज्य को गंभीर रूप से बाढ़ग्रस्त घोषित किया जाए.

केंद्र के इस फैसले के साथ ही पंजाब को पुनर्निर्माण और राहत कार्यों के लिए 595 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन उपलब्ध कराया जाएगा. यह राशि 50 साल की आसान किश्तों में राज्य को वापस करनी होगी. यह ऋण स्पेशल असिस्टेंट टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट (SASCI) के तहत दिया जाएगा. सरकार ने साफ किया है कि यह धनराशि विशेष रूप से बाढ़ में क्षतिग्रस्त सार्वजनिक ढांचे की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए उपयोग होगी.

घर मालिकों को मिलेगा मुआवजा 

बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित किसान और आम लोग रहे हैं. इस बार राहत के तौर पर घर मालिकों को बड़ी सौगात मिली है. यदि किसी परिवार का घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है तो अब उसे 3 लाख रुपये तक का मुआवजा मिलेगा. पहले यह सीमा केवल 1.20 लाख रुपये थी. फसल क्षति के मामले में राज्य सरकार ने 20,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवज़ा घोषित किया है. जबकि एसडीआरएफ (राज्य आपदा राहत कोष) के नियमों के अनुसार अब तक केवल 6,800 रुपये प्रति एकड़ का ही प्रावधान था. इसका मतलब है कि किसानों को भी इस बार अपेक्षाकृत अधिक आर्थिक सहयोग मिलेगा.

राज्य सरकार की रणनीति

राज्य सरकार शुक्रवार को मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा की अध्यक्षता में एक अहम बैठक करने जा रही है. इसमें तय होगा कि किन मदों में अतिरिक्त धनराशि की मांग केंद्र से की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक यह कदम इसलिए ज़रूरी है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें खर्च का बोझ 75:25 के अनुपात में साझा करती हैं. पंजाब सरकार ने पहले ही केंद्र को पत्र लिखकर यह मांग रखी थी कि राज्य को गंभीर रूप से बाढ़ग्रस्त घोषित किया जाए. केंद्र ने न सिर्फ इस मांग को स्वीकार किया बल्कि बढ़ी हुई सहायता राशि और सॉफ्ट लोन के ज़रिए पंजाब की मुश्किलें कम करने की कोशिश भी की है.

कितना बड़ा है नुकसान?

पंजाब सरकार द्वारा 7 सितंबर को केंद्रीय आपदा समिति को सौंपे गए अंतरिम ज्ञापन में बाढ़ से हुए कुल नुकसान का अनुमान 13,289 करोड़ रुपये लगाया गया है.

  • जल संसाधन विभाग ने 5,043 करोड़ रुपये के नुकसान की जानकारी दी.
  • ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग ने भी 5,043 करोड़ रुपये का नुकसान बताया.
  • स्वास्थ्य विभाग ने 780 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया.
  • पंजाब मंडी बोर्ड ने 1,022 करोड़ रुपये, लोक निर्माण विभाग ने 1,970 करोड़ रुपये और कृषि विभाग ने 317 करोड़ रुपये का नुकसान गिनाया.
  • शिक्षा विभाग को 542 करोड़ रुपये, बिजली विभाग को 103 करोड़ रुपये और पशुपालन विभाग को 103 करोड़ रुपये की क्षति हुई है.

इन आंकड़ों से साफ है कि राज्य को बाढ़ ने गहराई तक प्रभावित किया है और इसका असर आने वाले महीनों तक दिखाई देगा.

क्यों अहम है केंद्र का फैसला?

1988 के बाद से पंजाब ने इतनी भीषण बाढ़ का सामना नहीं किया था. इस बार की बाढ़ ने बुनियादी ढांचे से लेकर किसानों की फसल तक सब कुछ तबाह कर दिया. ऐसे में केंद्र का यह निर्णय पंजाब की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. राज्य के अधिकारियों का कहना है कि बढ़ा हुआ आवंटन और ऋण तत्काल पुनर्निर्माण प्रयासों में सहायक होगा. सड़क, पुल, स्वास्थ्य केंद्र और स्कूल जैसे ढांचे की मरम्मत तेजी से शुरू की जा सकेगी. वहीं किसानों और आम नागरिकों को बढ़े हुए मुआवज़े से राहत की सांस मिलेगी.

बता दें कि पंजाब को 'गंभीर रूप से बाढ़ग्रस्त' घोषित करने का केंद्र का फैसला राहत की बड़ी किरण लेकर आया है. 595 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन, घर मालिकों को 3 लाख रुपये तक का मुआवज़ा और किसानों को प्रति एकड़ 20,000 रुपये की सहायता जैसी घोषणाएं यह साबित करती हैं कि सरकार स्थिति को गंभीरता से ले रही है. हालांकि, चुनौती अब यह होगी कि इन संसाधनों का उपयोग पारदर्शी और तेज़ी से किया जाए ताकि प्रभावित जनता को वास्तविक राहत मिल सके.

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