दिल्ली ब्लास्ट के मास्टरमाइंड का पर्दाफाश... कौन है इमाम इरफान, जो डॉक्टरों को बना रहा था आतंकी!
Delhi Car Blast: दिल्ली ब्लास्ट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, हर रोज चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. अब इस पूरे 'फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल' के मास्टरमाइंड का पर्दाफाश किया गया है. इमाम इरफान अहमद को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.
Follow Us:
दिल्ली में लाल किले के नज़दीक विस्फोट के बाद ‘फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल’ के साथ-साथ अल-फलाह यूनिवर्सिटी की चर्चा भी तेज हो गई है. इस यूनिवर्सिटी के कई सीनियर डॉक्टरों को गिरफ़्तार किया गया, वहीं कुछ जूनियर डॉक्टरों और स्टाफ़ से पूछताछ भी जारी है. अब सवाल ये है कि आख़िर इतने प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के कुछ डॉक्टरों और वहां काम कर रहे स्टाफों पर शक की सुई क्यों अटक रही है? और इन सबका मास्टरमाइंड कौन है? दरअसल, इन सबके पीछे एक ही नाम सामने आ रहा है और वो नाम है इमाम इरफ़ान अहमद. आरोप है कि इसी ने सभी का ब्रेन वॉश किया है.
कौन है मास्टरमाइंड इमाम इरफ़ान अहमद?
इमाम इरफ़ान अहमद जम्मू-कश्मीर के शोपियां का निवासी बताया जा रहा है. आरोप है कि लंबे समय से ये फरीदाबाद में आतंक की नई फैक्ट्री बनाने में लगा हुआ था. आरोप ये भी है कि इसी ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के ब्रेन वॉश करने का काम किया. सूत्रों के हवाले से ये भी जानकारी निकलकर सामने आई है कि इमाम इरफ़ान अहमद पहले श्रीनगर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल स्टाफ़ था. वहां मौजूद नौगाम मस्जिद में मिले कई मेडिकल छात्रों के संपर्क में था और धीरे-धीरे उसने फरीदाबाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी में आतंक के एक नए मॉड्यूल की नींव रखनी शुरू कर दी थी. जानकारी के मुताबिक़ इमाम कई मेडिकल छात्रों के ब्रेन वॉश करने के काम में भी लगा हुआ था.
मास्टरमाइंड इरफ़ान अहमद के संपर्क में कैसे आए अल-फलाह के डॉक्टर?
जाँच एजेंसियों के मुताबिक़, इरफ़ान मस्जिद में छात्रों से संपर्क के साथ-साथ उन्हें धार्मिक कट्टरता का झूठा पाठ भी पढ़ाता था. जाँच में ये भी पाया गया कि मास्टरमाइंड इरफ़ान ने GMC के छात्रों को धार्मिक बहानों से मस्जिद में बुलाता था और धीरे-धीरे उन्हें पाकिस्तान आधारित हैंडलर्स से जोड़ता था. डॉ मुजम्मिल शकील और डॉ. आदिल अहमद जैसे कई डॉक्टर इरफ़ान के साथ सीधे जुड़े हुए थे. यहां तक कि मुजम्मिल इरफ़ान के कमरे में ही रहता था.
संपर्क का क्या था माध्यम?
जानकारी के मुताबिक ये आपस में संपर्क करने के लिए टेलीग्राम चैट्स, सोशल मीडिया के गुप्त चैनल और मस्जिद का सहारा लेते थे. इरफ़ान ने मुसैब को क़रीब 3 महीने पहले पाकिस्तानी हैंडलर उमर बिन खत्ताब से जोड़ा, जो जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था. मुसैब को ही विस्फोटक सामग्री जमा करने का निर्देश दिया गया था. इसके अलावा इरफ़ान की पत्नी ने डॉ शाहीन को कट्टर बनाने में भूमिका निभाई. शाहीन जैश-ए-मोहम्मद महिला विंग से जुड़ी हुई थी. आपको बता दें कि इस पूरे मामले में अभी तक 18 गिरफ्तारियां हो चुकि हैं. जिनमें 7 अल-फलाह से जुड़े डॉक्टर और मेडिकल छात्र शामिल हैं. अब पूरे मामले की छानबीन NIA कर रही है.
Advertisement
यह भी पढ़ें
Advertisement