हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर शंकराचार्य ने तोड़ी चुप्पी, कहा- जबरदस्ती अमृत पिलाना भी सही नहीं है!
Mumbai में एक तरफ जहां ठाकरे ब्रदर्स के समर्थक लाठी और डंडे के दम पर मराठी बुलवाने के लिए गुंडई पर उतारू हैं… तो वहीं दूसरी तरफ इस भाषा विवाद में अब सनातन धर्म में भगवान कहे जाने वाले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एंट्री मारी है, सुनिये उन्होंने क्या कहा ?

जिस हिंदुस्तान में गर्व से गाया जाता है… हिंदी हैं हम वतन हैं… हिंदुस्तान हमारा… आज उसी हिंदुस्तान में उत्तर से लेकर दक्षिण तक… विवाद मचा हुआ है… एक तरफ जहां दक्षिण राज्य तमिलनाडु में स्टालिन सरकार हिंदी का जबरदस्त विरोध कर रही है… तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में भी हिंदी का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया… हालांकि अच्छी बात ये है कि यहां महाराष्ट्र सरकार हिंदी का विरोध नहीं कर रही है… सत्ता से बाहर बैठे ठाकरे ब्रदर्स मराठी भाषा के नाम पर हिंदी भाषा का विरोध कर रहे हैं… और कह रहे हैं कि अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम गुंडे हैं... तो वहीं दूसरी तरफ उनके समर्थक सड़क पर उतर कर हिंदी बोलने वाले यूपी-बिहार के लोगों को मार पीट रहे हैं…
एक तरफ जहां ठाकरे ब्रदर्स के समर्थक लाठी और डंडे के दम पर मराठी बुलवाने के लिए गुंडई पर उतारू हैं… तो वहीं दूसरी तरफ इस भाषा विवाद में अब सनातन धर्म में भगवान कहे जाने वाले शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एंट्री मारी है… जो मराठी सीखने के लिए तो तैयार हो गये हैं लेकिन जब मराठी सिखाने की बात आई तो ठाकरे के बेटे ने ही कन्नी काट ली… जिसका जिक्र करते हुए एक बयान में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा..." हमारी भाषा हिंदी है, हमने ठाकरे साहब के बेटे से कहा भी कि कोई शिक्षक नियुक्त कर दे हमें मराठी सीखनी है लेकिन उन्होंने कोई संपर्क नहीं किया, एक विधायक ने हमें दो शिक्षक दिए हैं, अब कोई भी सिखा दे, आज से शुरू किया है, पहली कक्षा की बाल मित्र किताब से मराठी सीखना शुरू किया है"
भाषाएं सीखना कोई बुरी बात नहीं है… आप हिंदी भी सीखिये... भोजपुरी, मराठी, तमिल, तेलुगू भी सीखिये... लेकिन समस्या तब आती है जब ठाकरे के समर्थक लाठी-डंडे के दम पर मराठी सीखने के लिए जबरदस्ती करते हैं… और मारपीट पर उतारू हो जाते हैं… ऐसे गुंडों को नसीहत देते हुए शंकराचार्य ने कहा… "जबरदस्ती करना कुछ भी सही नहीं, अमृत पिलाना भी नहीं, ऐसा करने से मराठी की छवि खराब हो रही है, ऐसा करने पर मराठी का मतलब हिंसा से जोड़ा जाने लगेगा, इस घटना के बाद पूरे देश ने उनको संदेश दे दिया है और शायद उन्होंने इसे समझ भी लिया है, उसके बाद से ऐसे तेवर नहीं दिखाए हैं, देशव्यापी आलोचना होने के बाद उन्होंने इस बात को समझा है"
खुद मराठी सीख रहे शंकराचार्य भी ये बात समझते हैं कि जबरदस्ती मराठी सिखाने पर लोग मराठी को हिंसा से जोड़ने लगेंगे… लेकिन ठाकरे के समर्थक लगता है ये बात नहीं समझ पा रहे हैं… इसीलिये आए दिन मराठी-हिंदी भाषा के नाम पर गुंडई कर रहे हैं... ऐसे लोगों को आप क्या कहेंगे अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं… साथ ही मुंबई के भिंडी बाजार में रहने वाले मुसलमानों ने सुनिये भाषा विवाद पर ठाकरे को क्या जवाब दिया…