योगी राज में यूपी बना 'जीरो दंगा' राज्य, महिला हिंसा में हुई कमी, क्राइम भी घटे... NCRB रिपोर्ट में खुलासा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सत्ता संभालते ही कानून-व्यवस्था पर सख्त रुख अपनाया. उनके इस कदम का असर साफ दिखा है. NCRB की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कमी आई है, 2023 में कोई सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ और कुल अपराध दर में करीब 25% की गिरावट दर्ज की गई है.
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सूबे की कमान संभालने के बाद स्पष्ट कहा था कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा. अपराधियों के प्रति सख्त रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री कई बार मंच से उन्हें सीधी चुनौती दे चुके हैं कि वे या तो अपराध छोड़ दें या राज्य छोड़ दें. उनके इस रुख के परिणामस्वरूप प्रदेश की कानून-व्यवस्था के रिकॉर्ड में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट ने भी इस सुधार को बताया है और इसे मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता की सफलता बताया जा रहा है.
यूपी में बदली कानून व्यवस्था की तस्वीर
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में कमी दर्ज की गई है और वर्ष 2023 में राज्य में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ. यह उपलब्धि सूबे के लिए ऐतिहासिक मानी जा रही है, क्योंकि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था. रिपोर्ट बताती है कि देशभर में जहां प्रति एक लाख की आबादी पर औसतन 448 अपराध दर्ज होते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा केवल 335 रहा. योगी सरकार की सख्त कानून-व्यवस्था नीतियों का नतीजा है कि प्रदेश में कुल अपराध दर में करीब 25 फीसदी की गिरावट आई है.
सूबे में जघन्य अपराधों की क्या है स्थिति
साल 2023 में देशभर में आईपीसी के तहत कुल 34,05,202 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से उत्तर प्रदेश में 4,28,794 मामले थे। राज्य की तुलना अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से करने पर यूपी आईपीसी अपराध दर में 20वें स्थान पर रहा. इसके पहले, 2021 में प्रदेश में 3,57,505 मामले और 2022 में 4,01,787 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं जघन्य अपराधों की बात करें तो NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, लखनऊ सबसे अधिक प्रभावित शहर रहा, इसके बाद कानपुर और गाजियाबाद का स्थान है. वर्ष 2023 में इन तीनों शहरों में कुल 2,236 जघन्य अपराध दर्ज किए गए, जिसमें अकेले राजधानी लखनऊ में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए. यह संख्या 2021 के 1,636 मामलों और 2022 के 1,319 मामलों की तुलना में बढ़ी है, जिससे स्पष्ट होता है कि जघन्य अपराधों में पिछले दो वर्षों के मुकाबले वृद्धि हुई है.
दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध सबसे ज्यादा
एनसीआरबी की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2023 में महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए. अगर पूरे साल की बात करें तो 13,000 से ज्यादा मामले सामने आए. 19 मेट्रो शहरों की तुलना में दिल्ली में दहेज हत्या और बलात्कार के मामलों की संख्या सबसे अधिक रही. प्रति लाख आबादी के हिसाब से देखा जाए तो अपराध दर 14.4 प्रतिशत रही, जो इंदौर और जयपुर से कम है. वर्ष 2023 में दिल्ली में 1,088 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, जबकि जयपुर में 573 और मुंबई में 196 मामले सामने आए. कुल मिलाकर, महिलाओं के खिलाफ अपराध में दिल्ली में 2023 में 5.59 प्रतिशत की कमी आई, जबकि 2022 में यह संख्या 14,158 और 2021 में 13,982 थी.
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बताते चले कि एनसीआरबी की ताज़ा रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त कानून-व्यवस्था नीतियों का असर दिख रहा है, खासकर महिलाओं के खिलाफ हिंसा और साम्प्रदायिक दंगों में कमी के रूप में. वहीं, जघन्य अपराधों में कुछ शहरों में वृद्धि और दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध की उच्च संख्या यह याद दिलाती है कि कानून-व्यवस्था को लगातार मजबूत बनाए रखना आवश्यक है.
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