भारत को दुत्कार, चीन को दुलार... अमेरिकी संसद की समिति ने हिंदुस्तान पर टैरिफ लगाने के ट्रंप के असली मकसद की खोली पोल, कहा- यूक्रेन तो बस बहाना
अमेरिकी हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने राष्ट्रपति ट्रंप की भारत पर टैरिफ लगाने की नीति की कड़ी आलोचना की, कहा इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं और द्विपक्षीय रिश्तों दोनों को नुकसान हो रहा है. समिति का आरोप है कि चीन जैसे बड़े रूसी तेल खरीदार को नजरअंदाज कर सिर्फ भारत को निशाना बनाना पक्षपातपूर्ण नीति है. समिति ने साफ कहा कि टैरिफ लगाना तो बस बहाना है, मकसद तो कुछ और है.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और प्रधानमंत्री मोदी से कथित व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए कुछ ऐसे फैसले ले रहे हैं जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. कहा जाता है कि ट्रंप को उम्मीद थी कि मोदी उन्हें नोबल पीस प्राइज लेने में मदद करेंगे और सपोर्ट करेंगे. इस हवाले से उन्होंने G7 की बैठक के बाद वॉशिंगटन भी आमंत्रित किया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने सिरे से इनकार कर दिया. उन्होंने इस संबंध में ओडिशा में कहा भी था कि उन्हें भगवान जगन्नाथ ने बुलाया था इसलिए उन्होंने व्हाइट हाउस का निमंत्रण ठुकरा दिया.
जानकार बताते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चाहते थे कि सीक्रेट तौर पर भारत और एक आतंकी मुल्क के जनरल को एक जैसा दिखाएं, दोनों को एक लेवल का बताएं. उन्हें ये कौन बताए कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश, सबसे मजबूत और विशाल लोकतंत्र है, उसके प्रधानमंत्री की तुलना एक आतंकिस्तान के गैर चुने हुए व्यक्ति के साथ करना कितनी बड़ी साजिश थी जिसे फेल कर दिया गया. इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर में सीजफायर पर ट्रंप के दावे को भारत ने बार-बार नकारा है. जबकि पाकिस्तान ने तो भर-भर के क्रेडिट दिया. यही बात है जिस से ट्रंप चिढ़े हुए हैं और इस कारण वो दशकों की भारत-अमेरिका की दोस्ती पर मिट्टी डालने पर तुले हैं. हालांकि उन पर इसको लेकर तीखे हमले भी हो रहे हैं.
कुछ लोग सवाल ये उठा रहे हैं कि अगर ट्रंप को भारत के हायर, डिसबैलैंस्ड टैरिफ से प्रॉब्लम है तो ये काम तो चीन भी कर रहा है, उस पर वो क्यों नहीं टैरिफ या सेंशन लगा रहे हैं. उसे क्यों छूट दी जा रही है? अगर अमेरिकी राष्ट्रपति को भारत के रूस से तेल लेने से दिक्कत है तो वो तो चीन भी रूस से तेल खरीद रहा है, यहां तक कि ईरान से भी, लेकिन उसे 90 दिनों से ज्यादा की छूट दी गई. और तो और अमेरिका खुद ही फर्टिलाइजर और कैमिकल का आयात मॉस्को से कर रहा है. यहां तक कि यूरोप का भी व्यापार रूस से जारी है.
अमेरिकी लोगों पर पड़ रहा टैरिफ का बोझ
जो बात अमेरिकी एक्सपर्ट, भारत, विदेश मंत्री एस जयशंकर और पूरी दुनिया कह रही है वो बात अब अमेरिका की विदेश नीति को दिशा देने वाली प्रभावशाली संसदीय संस्था हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने भी कही है. कमेटी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति पर कड़ी आपत्ति जताई है. समिति ने ट्रंप प्रशासन की उस रणनीति की आलोचना की है, जिसमें भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाया गया है. कमेटी का कहना है कि इस कदम से न केवल अमेरिकी उपभोक्ताओं पर सीधा बोझ पड़ा है, बल्कि इससे भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों पर भी गहरी आंच आई है. कमेटी ने उस ओर इशारा किया है कि भारत पर हायर टैरिफ लगाने से खाने-पीने से लेकर ग्रॉसरी स्टोर्स में इस्तेमाल की जाने वाली सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं.
Instead of imposing sanctions on China or others purchasing larger amounts of Russian oil, Trump's singling out India with tariffs, hurting Americans & sabotaging the US-India relationship in the process.
— House Foreign Affairs Committee Dems (@HouseForeign) August 27, 2025
It's almost like it's not about Ukraine at all.https://t.co/u1pt3iAVC2 pic.twitter.com/lQNAYXTYkC
अमेरिकी संसद की स्थायी समिति है- हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी, अमेरिका की प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स) की स्थायी समितियों में से एक है, जो विदेश नीति से जुड़े विधेयकों और जांच-पड़ताल की निगरानी करती है. यह संस्था भारत की संसदीय समितियों की तरह ही काम करती है. यही वजह है कि इस समिति की टिप्पणियां राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में अहम मानी जाती हैं.
'टैरिफ तो बहाना है, असल मकसद तो...'
कमेटी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बहाने भारत को निशाना बनाया है. समिति ने अपनी सुनवाई में सख्त लहजा अख्तियार करते हुए कहा कि कि यदि ट्रंप प्रशासन वास्तव में रूस को कमजोर करने के इरादे से काम कर रहा होता, तो उसे चीन और उन देशों पर भी कड़े कदम उठाने चाहिए थे, जो रूसी तेल की सबसे ज्यादा खरीद कर रहे हैं.
चीन पर टैरिफ क्यों नहीं लगाया?
इसके विपरीत केवल भारत पर टैरिफ थोपना एकतरफा और पक्षपातपूर्ण नीति है. समिति ने टिप्पणी की कि चीन अभी भी भारी मात्रा में रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है, लेकिन उस पर किसी तरह की कठोर कार्रवाई नहीं हुई.
गौरतलब है कि 27 अगस्त से भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू कर दिया गया है. इसमें से 25 प्रतिशत शुल्क सीधे रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते लगाया गया है. अमेरिकी प्रशासन का तर्क है कि भारत की इस ऊर्जा नीति से रूस को आर्थिक सहारा मिलता है, जिससे वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को लंबा खींच पा रहा है.
हालांकि, भारत ने ट्रंप के आरोपों को खारिज करते हुए साफ कहा है कि ऊर्जा सुरक्षा उसका संप्रभु अधिकार है. भारत का तर्क है कि जब यूरोप, चीन और यहां तक कि अमेरिका स्वयं भी रूस से कारोबार जारी रखे हुए हैं, तो सिर्फ भारत को टारगेट करना अनुचित है. भारत ने दोहराया कि उसका मकसद अपने नागरिकों और उद्योगों के लिए सस्ती और सुरक्षित ऊर्जा सुनिश्चित करना है.
'समिति में ट्रंप की पार्टी का बहुमत, फिर भी की आलोचना'
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी में कुल 52 सदस्य हैं, जिनमें 27 रिपब्लिकन और 25 डेमोक्रेट शामिल हैं. समिति की अध्यक्षता रिपब्लिकन सांसद ब्रायन मास्ट के पास है, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी से ग्रेगरी मीक्स रैंकिंग मेंबर हैं. उल्लेखनीय है कि रिपब्लिकन बहुमत के बावजूद, समिति द्वारा अपने ही राष्ट्रपति की नीतियों पर इतनी कड़ी आलोचना करना अपने आप में असाधारण घटना है.
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विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद अमेरिकी विदेश नीति की दोहरी मानसिकता को उजागर करता है. एक ओर वाशिंगटन रूस पर दबाव बनाने का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर चीन को छूट देता है. ऐसे में भारत पर टैरिफ का बोझ डालना न केवल आर्थिक स्तर पर चुनौती है, बल्कि रणनीतिक साझेदारी में दरार डालने जैसा भी है.
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