केजरीवाल को कोसने वाली राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने AAP संयोजक से की ख़ास अपील
राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली में किसी दलित विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग की।
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जो आम आदमी पार्टी पिछले एक दशक से दिल्ली विधानसभा के सदन में भारी संख्याबल के साथ सदन में बुलंदी के साथ अपनी पार्टी की योजनाओं को पटल पर रखती थी,अब उस पार्टी को विपक्ष में बैठना पड़ेगा वो भी 70 में से महज 22 की संख्या के साथ। इस बार सदन से पार्टी के लगभग सभी बड़े चेहरे नदारद रहेंगे। मुख्यतौर पर देखे को दिल्ली की निवर्तमान मुख्यमंत्री सदन में रहेंगी। ऐसे में केजरीवाल किसको सदन में नेता प्रतिपक्ष बनाते है इसको लेकर अब चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली में किसी दलित विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की मांग की। उन्होंने इस संबंध में अरविंद केजरीवाल को पत्र भी लिखा है।
याद दिलाया पंजाब में किया वादा
दिल्ली के तमाम मुद्दों पर आप संयोजक केजरीवाल को पानी पी पी कर कोसने वाली उनकी ही पार्टी की सांसद स्वाती मालीवाल ने अब केजरीवाल को जो पत्र लिखा है उसमें कहा कि अरविंद जी, उम्मीद है कि आप कुशलमंगल होंगे। दिल्ली चुनावों के नतीजों के बाद अपने स्वास्थ्य और मन की शांति पर ध्यान दे रहे होंगे। इस पत्र के माध्यम से आपके समक्ष एक जरूरी मांग रखना चाहती हूं। आपको याद होगा आपने 2022 में पंजाब चुनाव के दौरान वादा किया था कि जीतने के बाद हम एक दलित उपमुख्यमंत्री बनाएंगे, लेकिन बहुत दुख की बात है कि 3 साल बाद भी यह वादा पूरा नहीं हुआ। स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र में आगे कहा कि अब जब दिल्ली में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने का समय आया है, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि दिल्ली से पार्टी के दलित समाज से आने वाले एक विधायक को आप दिल्ली का नेता प्रतिपक्ष बनाएं।उन्होंने आगे कहा कि एक दलित विधायक को नेता प्रतिपक्ष बनाना सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं होगा, बल्कि यह हमारे मूल सिद्धांतों को निभाने की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।उन्होंने कहा कि मैं आपसे आग्रह करती हूं कि इस बार अपने वादे पर खरे उतरें और यह साबित करें कि आप सिर्फ बातें ही नहीं, बल्कि हकीकत में भी समानता और न्याय की राजनीति करते हैं। पंजाब से की गई वादाखिलाफी को दोहराने से बचें और इस ऐतिहासिक फैसले को लें।
बता दें कि दिल्ली में पांच फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी 22 सीटों पर सिमटकर रह गई, जबकि भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज कर दिल्ली की सत्ता पर 27 साल बाद वापसी की।
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