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बाढ़ राहत के भी पैसे खा गया कंगाल पाकिस्तान, मानवीय मदद का हो रहा जिहाद के लिए इस्तेमाल, फिर से लश्कर का मुख्यालय बनवा रही PAK आर्मी, हुआ खुलासा

पाकिस्तान एक बार फिर आतंकवाद को पालते-पोसते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है. लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुख्यालय मरकज-ए- तैयबा, मुरीदके, जिसे भारतीय वायुसेना ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत एयरस्ट्राइक कर ध्वस्त कर दिया था, अब उसकी फिर से तामीर पाकिस्तान सेना और सरकार की मदद से की जा रही है. एजेंसी डोज़ियर में खुलासा हुआ है फंड जुटाने के लिए लश्कर बाढ़ राहत जैसी मानवीय मदद की आड़ ले रहा है. इससे पहले भी 2005 के भूकंप में मिली अंतरराष्ट्रीय राहत को उसने आतंकी ढांचे को खड़ा करने में इस्तेमाल किया था.

कहते हैं कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं हो सकती, लाख कोशिशें कर लो. पाकिस्तान की भी कुछ वैसी ही स्थिति है. दुनिया में आतंकवाद की पुस्तपनाही को लेकर बदनाम-ए-जमाना आतंकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. लाख मार खाने के बावजूद वो सांप को दूध पिलाना बंद नहीं कर रहा है. वो करेगा भी नहीं. क्योंकि आतंकवाद उसके लिए सिर्फ एक मुद्दा नहीं बल्कि अस्तित्व का प्रश्न है. 

अगर वो ऐसा नहीं करेगा तो खत्म हो जाएगा. उसकी विदेश नीति चल ही नहीं सकती. इधर भारत में पाकिस्तान के साथ एशिया कप के मैच को लेकर बवाल मचा था तो, वहीं पाक हिंदुस्तान के खिलाफ अपनी आतंकी साजिश को अंजाम दे रहा था. जी हां, ऑपरेशन सिंदूर में बर्बाद और तबाह हो चुके आतंकियों को फिर से पैर पर खड़ा कर रहा है.

फिर से खड़ा हो रहा लश्कर का मुख्यालय

आपको बता दें कि पाकिस्तान की आतंकी चाल फिर से उजागर हो गई है. सूत्रों के मुताबिक लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मुख्यालय मरकज-ए- तैयबा, मुरीदके की फिर से तामीर की जा रही है और इसके लिए फंडिंग पाकिस्तानी सरकार और सेना कर रही है. यह वही आतंकी अड्डा है जिसे भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एयरस्ट्राइक में मिट्टी में मिला दिया था.

मानवीय मदद के पैसे का जिहाद में इस्तेमाल

एजेंसी डोज़ियर द्वारा मिली जानकारी के हवाले से समाचार एजेंसी ANI ने ये जानकारी दी है कि लश्कर के गुर्गे बाढ़ रहात के नाम पर फंड जुटा रहे हैं जिसका इस्तेमाल इंसानी मदद में नहीं बल्कि अपने मरकज के निर्माण में कर रहे हैं. यानी कि मानवीय मदद का पैसा गटका जा रहा है, जिहाद के कार्य में लगाया जा रहा है.

आपको बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने इसके निर्माण के लिए 4 करोड़ पाकिस्तानी रुपये पहले ही जारी कर दिए हैं, जबकि लश्कर को पूरे प्रोजेक्ट पर 15 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत आने का अनुमान है. लश्कर फंड जुटाने के नाम पर बाढ़ राहत और मानवीय मदद जैसी मुहिम चला रहा है, ठीक वैसे ही जैसे 2005 के भूकंप राहत को उसने आतंकी ढांचे की तामीर में लगा दिया था. इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी लश्कर के वरिष्ठ कमांडर मौलाना अबू जर और यूनुस शाह बुखारी संभाल रहा है. फरवरी 2026 तक मुख्यालय को खड़ा करने का लक्ष्य रखा गया है.

Indian Air Force की एयरस्ट्राइक में मिट्टी में मिल गया था मरकज-ए- तैयबा

भारतीय वायुसेना ने इस साल की शुरुआत में ऑपरेशन सिंदूर में लश्कर के मुरीदके मुख्यालय को निशाना बनाया था. एयरस्ट्राइक में मरकज तैयबा की कई इमारतें तबाह हो गईं जिनमें टॉप कमांडरों के दफ्तर और रिहाइशी इलाके शामिल थे. 

भारत के हमले में ढेर हुए थे कई टॉप के जैश और लश्कर के आतंकी

वायुसेना ने बाद में रिकॉर्ड किए गए हमले के फुटेज जारी किए, जिनमें मरकज तैयबा के भीतर हुई तबाही स्पष्ट रूप से दिखाई भी दी. रिपोर्टों के मुताबिक, इस एयरस्ट्राइक में दर्जनभर हाई-वैल्यू आतंकी मारे गए थे, जिनमें IC-814 हाईजैकर यूसुफ अज़हर, मुंबई हमले का आरोपी अबू जुंदाल उर्फ मुदस्सर, मरकज तैयबा का प्रमुख और 2016 नगरोटा हमले के साजिशकर्ता का बेटा शामिल थे. यह कार्रवाई पहलगाम हत्याकांड के जवाब में की गई थी और इसने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत दुश्मन की जमीन पर भी सटीक और हाई-इम्पैक्ट मिशन अंजाम देने में सक्षम है.

सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े!

लश्कर मुख्यालय का पुनर्निर्माण सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय है. मरकज तैयबा सिर्फ एक दफ्तर या रिहाइशी कैंपस नहीं, बल्कि लश्कर का प्रमुख प्रशिक्षण और वैचारिक केंद्र है. साल 2000 में बने इस कॉम्प्लेक्स में हर साल करीब 1,000 नए आतंकी और लड़ाके तैयार किए जाते हैं. यहां उन्हें हथियार चलाने, खुफिया जानकारी जुटाने और आतंकी ऑपरेशन प्लानिंग की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके साथ ही कट्टरपंथी विचारधारा की क्लासेस भी होती हैं, जिनके जरिए युवाओं को आतंकी सोच में ढाला जाता है. इतनी भीषण तबाही के बावजूद लशकर के मुख्यालय का फिर से खड़ा होने की खबर ने सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं.

लादेन ने भी दिए थे 10 लाख रूपए की मदद

मरकज तैयबा की मस्जिद और गेस्ट हाउस ओसामा बिन लादेन की फंडिंग से बने थे. इस कैंप से निकले आतंकी पहले भी भारत में बड़े हमलों को अंजाम दे चुके हैं, जिनमें 26/11 मुंबई हमला सबसे बड़ा उदाहरण है. इस कैंप की ट्रेनिंग और ISI के सीधे मार्गदर्शन में तैयार किए गए आतंकियों ने भारत की सुरक्षा के लिए लगातार खतरा पैदा किया है.

अब जबकि पाकिस्तान खुलेआम इस ठिकाने की फिर से तामीर करवा रहा है, यह साफ है कि उसका आतंकवाद विरोधी चेहरा सिर्फ दिखावा है. हकीकत यही है कि पाकिस्तान की सेना और ISI अभी भी लश्कर-ए-तैयबा को जिंदा रखने और उसकी क्षमता बढ़ाने में पूरी तरह शामिल हैं. यही वजह है कि मरकज तैयबा का पुनर्निर्माण सिर्फ पाकिस्तान की दोहरी नीति का सबूत नहीं बल्कि भारत समेत पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे की घंटी है.

पाकिस्तान का जिहाद सिर्फ गरीब लोगों के लिए: एसपी वैद

पाकिस्तान सेना की निगरानी में फिर से बन रहे लश्कर मुख्यालय पर प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू और कश्मीर के पूर्व DGP एस पी वैद ने कहा कि पाकिस्तान का जिहाद सिर्फ गरीब लोगों के लिए है. उन्होंने बाढ़ राहत का इस्तेमाल दूसरे कामों में करेन पर कहा कि यह बेहद शर्मनाक बात है. यह पैसा आम लोगों को उनके घर बनाने और उनकी मदद के लिए दिया जाना चाहिए था."

पूर्व पुलिस महानिदेशक वैद ने पाकिस्तानी नेतृत्व पर पाखंड का आरोप लगाते हुए कहा, "पाकिस्तान सरकार गरीबों के लिए घर बनाने के नाम पर पैसा इकट्ठा कर रही है और इसका इस्तेमाल मुरीदके में मुख्यालय बनाने में कर रही है. पाकिस्तान के लोगों को देखना चाहिए कि सरकार क्या कर रही है और कैसे वह आतंकवाद का मुख्यालय बनाने के लिए पैसे खर्च कर रही है."

अब भारत क्या करेगा?

भारत ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के दोहरे चेहरे को उजागर किया है. अब यह खुलासा भारत के लिए और मजबूत सबूत बन सकता है कि पाकिस्तान आतंकवाद की फंडिंग और पोषण दोनों कर रहा है. विदेश नीति के जानकार मानते हैं कि भारत इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर उठाएगा ताकि पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव डाला जा सके.

लेकिन सवाल यह भी है कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान की इस खुलेआम आतंकी मदद पर आंखें मूंदे रहेगा? 26/11 जैसी घटनाओं का दर्द आज भी भारत के दिल में ताजा है. ऐसे में मरकज तैयबा का पुनर्निर्माण सिर्फ पाकिस्तान की धूर्तता नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है.

क्या FATF करेगा कोई कार्रवाई?

इसके अलावा, भारत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के जरिए भी पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा सकता है. FATF पहले भी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल चुका है. अगर सबूत पेश किए जाते हैं कि बाढ़ राहत और मानवीय मदद के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली फंडिंग हो रही है, तो पाकिस्तान पर फिर से सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

भारत जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी इस मुद्दे को उठा सकता है ताकि वैश्विक नेतृत्व को यह दिखाया जा सके कि दक्षिण एशिया की अस्थिरता केवल भारत की समस्या नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है.

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पाकिस्तान ने मरकज तैयबा को फरवरी 2026 तक पूरी तरह से खड़ा कर दिया तो यह FATF और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए उसकी पॉलिसी पर सवाल उठाने का बड़ा आधार बन सकता है.

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