PM मोदी के अमेरिकी दौरे का प्लान कैंसिल, भारत की ओर से UNGA को संबोधित करेंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर, ट्रंप को सख्त संदेश!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की 80वीं बैठक में शिरकत नहीं करेंगे. उनकी अनुपस्थिति में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर करेंगे. ट्रंप के टैरिफ पर रुख के बीच प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका का दौरा कैंसल होना कूटनीतिक लिहाज से काफी अहम संकेत है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 सितंबर से शुरू होने जा रही संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में शामिल नहीं होंगे. भारत की ओर से इस बार विदेश मंत्री एस. जयशंकर अमेरिका जाएंगे और वहां भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. ट्रेड पर चल रही खींचतान और टैरिफ पर ट्रंप के रुख के बीच प्रधानमंत्री की जगह जयशंकर का महासभा को संबोधित करने के लिए अमेरिका के दौरे पर ना जाना कूटनीतिक भाषा में एक संकेत के तौर पर माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि पहले जारी की गई वक्ताओं की सूची में खुद प्रधानमंत्री मोदी का नाम भी शामिल था.
पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे पर ना जाने की खबर ठीक वैसे वक्त पर आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के चीन के खेमे में जाने और खो देने वाले अपने बयान से यू-टर्न ले लिया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महान नेता हैं. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “मैं हमेशा पीएम मोदी का दोस्त रहूंगा. वह एक महान प्रधानमंत्री हैं. लेकिन मुझे इस समय उनकी कुछ नीतियां पसंद नहीं हैं. हालांकि भारत और अमेरिका का रिश्ता बहुत खास है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. कभी-कभी ऐसे पल आते हैं.” ट्रंप के इस बयान से साफ है कि वह भारत के साथ बिगड़ रहे रिश्तों को लेकर बैकफुट पर आ गए हैं और सेफ गोल करने के बाद शायद उनकी अक्ल ठिकाने लग रही है. हालांकि भारत उनके रवैयों और बड़बोले बयानों के इतिहास पर बेहद सावधानी के साथ चल रहा है और विचार कर रहा है.
क्या है UNGA के 80वें सत्र का शेड्यूल
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां वार्षिक सत्र 9 सितंबर से आरंभ होगा. इसके बाद 23 से 29 सितंबर तक उच्चस्तरीय बैठकें आयोजित होंगी, जिनमें दुनिया के शीर्ष नेता वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार रखेंगे. इस बार महासभा का पहला संबोधन ब्राजील की ओर से होगा. इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 23 सितंबर को महासभा के मंच से दुनिया के नेताओं को संबोधित करेंगे. राष्ट्रपति पद के अपने दूसरे कार्यकाल में यह उनका पहला UNGA में भाषण होगा, जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी रहेंगी.
भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे विदेश मंत्री एस. जयशंकर
भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर 27 सितंबर को महासभा को संबोधित करेंगे. वो इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर चुके हैं. जानकारी के मुताबिक जुलाई में जारी हुई सूची में प्रधानमंत्री मोदी का नाम दर्ज था और उन्हें 26 सितंबर को भाषण देना था. लेकिन नई सूची में संशोधन कर जयशंकर को वक्ता बनाया गया. दिलचस्प बात यह है कि 26 सितंबर को चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और इजरायल के राष्ट्राध्यक्ष भी महासभा में भाषण देंगे. इन देशों के साथ संबंधों को देखते हुए यह स्थिति भारत के लिए रणनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से काफी अहम मानी जा रही है.
UNGA की 80वीं वर्षगांठ
महासभा का यह सत्र 22 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित विशेष बैठक के साथ आरंभ होगा. इस बैठक में सदस्य देश बीते आठ दशकों की उपलब्धियों और आगामी चुनौतियों पर चर्चा करेंगे. इसके अतिरिक्त, महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 24 सितंबर को जलवायु शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. यह सम्मेलन वैश्विक नेताओं के लिए एक ऐसा मंच बनेगा, जहां वे अपनी-अपनी नई राष्ट्रीय जलवायु कार्य योजनाएं प्रस्तुत करेंगे. गुटेरेस ने पहले ही कहा है कि जलवायु संकट आज मानवता के सामने खड़ी सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है और इसे लेकर देशों को ठोस एवं दीर्घकालिक रणनीतियां अपनानी होंगी.
गौरतलब है कि यह पूरा सत्र ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया भर में जियो-पॉलिटिकल तनाव चरम पर है. अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक खींचतान, ट्रंप के टैरिफ युद्ध के असर, रूस-यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया में जारी अस्थिरता ने वर्ल्ड ऑर्डर को और जटिल बना दिया है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र महासभा की इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि यहां लिए गए निर्णय और दृष्टिकोण आने वाले वर्षों की अंतरराष्ट्रीय दिशा तय कर सकते हैं.
जयशंकर की क्या रहेगी प्राथमिकता?
प्रधानमंत्री मोदी ने UNGA को संबोधित करने क्यों नहीं जाएंगे इसकी आधिकारिक तौर पर इसकी कोई वजह नहीं बताई गई है. विदेश मंत्री जयशंकर एक अनुभवी राजनयिक रहे हैं और उन्होंने विदेश नीति के क्षेत्र में भारत के पक्ष को जोरदार तरीके से दुनिया के सामने रखा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वे यूएनजीए में भारत की प्राथमिकताओं जैसे कि ग्लोबल साउथ आवाज बुलंद करना, जलवायु संकट, वर्ल्ड ट्रेड, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, और संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता को प्रभावशाली ढंग से रखेंगे.
कुल मिलाकर, इस बार का यूएन महासभा सत्र कई कारणों से ऐतिहासिक महत्व रखता है. एक ओर जहां बड़े-बड़े राष्ट्राध्यक्ष मंच से अपनी नीतियां और दृष्टिकोण साझा करेंगे, वहीं भारत भी दुनिया के सामने वसुधैव कुटुंबकम, ट्रेड, शांति, रूल बेस्ड ट्रेड की वकालत करेगा.
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