PM मोदी ने घुमाया CJI गवई को फोन, जाना हाल-चाल, की हमले की निंदा, आरोपी वकील की जेब से मिली चिट्ठी में क्या था?
PM मोदी ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में CJI बीआर गवई के साथ हुए दुर्व्यवहार पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की निंदनीय घटनाओं का लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं है और पूरे देश के लोग इस हमले से व्यथित हैं. उन्होंने CJI से फोन पर बात भी की और उनका हाल चाल लिया. इसी बीच पुलिस सूत्रों ने बताया कि वकील की जेब से चिट्ठी भी मिली है. और तो और इस पूरे मामले पर आरोपी ने अपनी बात भी रखी है.
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बीते दिन सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश ने पूरे देश को सन्न कर दिया. आरोपी वकील ही है. इस पूरी घटना के बाद पीएम मोदी ने CJI गवई को फोन लगाया और उनसे बात की. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने इस दौरान उनसे उनका हाल-चाल जाना. पीएम ने CJI से बात के दौरान इस हमले की निंदा की. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय क्षुब्ध है. हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है. यह अत्यंत निंदनीय है.
समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों की कोई जगह नहीं: PM मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति बीआर गवई से बात की. आज सुबह सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय क्षुब्ध है. हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है. यह अत्यंत निंदनीय है. ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति गवई द्वारा प्रदर्शित धैर्य की मैं सराहना करता हूँ. यह न्याय के मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और हमारे संविधान की भावना को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है."
क्या है CJI पर हमले का पूरा मामला?
बता दें कि CJI बीआर गवई की कोर्ट में एक वकील राकेश किशोर ने सोमवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान हंगामा किया. आरोप है कि वकील ने CJI से दुर्व्यवहार किया. उसने कोर्ट में नारे भी लगाए, जिसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया.
दरअसल, जब CJI की अध्यक्षता वाली बेंच वकीलों के एक मामलों की सुनवाई के लिए मेंशन सुन रही थी तभी वकील भड़क उठा. बताया जा रहा है कि वकील ने 'सनातन का अपमान नहीं सहेंगे' का नारा भी लगाया. हालांकि, इस दौरान CJI गवई शांत रहे और सुनवाई जारी रखी.
वकील एसोसिएशन ने भी हमले की निंदा
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन ने इस घटना की निंदा की है. एसोसिएशन ने कहा कि एक वकील के कृत्य पर हम सर्वसम्मति से पीड़ा व्यक्त करते हैं, जिसने अपने अनुचित और असंयमित व्यवहार से भारत के मुख्य न्यायाधीश और उनके साथी न्यायाधीशों के पद व अधिकार का अनादर करने का प्रयास किया.
एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि इस तरह का व्यवहार न सिर्फ बार के सदस्य के लिए अस्वीकार्य है, बल्कि यह बेंच और बार के बीच आपसी सम्मान की नींव को कमजोर करता है. एसोसिएशन ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और जनता के विश्वास पर हमला करार दिया.
हमलावर वकील की जेब से मिली चिट्ठी
वहीं पुलिस सूत्रों ने बताया कि हमले के आरोपी वकील की जेब एक चिट्ठी या नोट मिला है जिस पर एक नारा भी लिखा गया था कि, ‘सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान.’ वहीं अदालती कार्यवाही के दौरान इस घटना से अविचलित दिखे CJI ने अधिकारियों और वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों से साफ कहा कि वे इसे नजरअंदाज करें और राकेश कुमार नामक दोषी वकील को चेतावनी देकर छोड़ दें.
वकील को कोई पछतावा नहीं, कहा- दैवीय शक्ति का मार्गदर्शन मिला
आपको बताएं कि राकेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह जेल जाने को तैयार है. हालांकि वकील ने जोर देकर कहा कि वह किसी भी पार्टी से जुड़ा नहीं है. उसने कहा, “अगर मैं जेल में होता तो बेहतर होता. मेरा परिवार मेरे किए से बहुत नाखुश है. वे समझ नहीं पा रहे हैं.” मयूर विहार स्थित अपने घर पर वकील ने इस दौरान कई बेतुके और अजीबोगरीब दावे भी किए और कहा कि उन्हें किसी दैवीय शक्ति का मार्गदर्शन मिला है.
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