मोदी का नाम लेकर गिड़गिड़ा रहे पाकिस्तानी, अटारी बॉर्डर पर मांगते रहे पाकिस्तान के किए की माफी
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को उसके किए की सज़ा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए है. इसी कड़ी में सरकार के आदेश के बाद सभी राज्यों की सरकारों ने पाकिस्तानी नागरिकों को चिन्हित कर उन्हें बाहर निकाला जो अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते अपने वतन लौटने लगे हैं.
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान की कमर तोड़ने के लिए डिप्लोमेटिक स्ट्राइक कर कई ऐसे फैसले लिए, जिसने पाकिस्तान को उसकी असली हकीकत याद दिला दी है. भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा को निलंबित कर उन्हें देश छोड़ने का आदेश अल्टीमेटम दिया था. सरकार के आदेश के बाद सभी राज्यों की सरकारों ने पाकिस्तानी नागरिकों को चिन्हित कर उन्हें बाहर निकाला, जो अटारी-वाघा बॉर्डर के रास्ते अपने देश को लौटने लगे हैं. इस दौरान मोदी सरकार के पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए गए सख्त फ़ैसलो को लेकर पाकिस्तानी गिड़गिड़ा रहे हैं.
लोगों ने माना हमला दुर्भाग्यपूर्ण है
पाकिस्तान ने हमेशा से ही अपने देश की जमीन का इस्तेमाल देश की आवाम के बेहतरी के लिए कम बल्कि पड़ोसी देश भारत में आंतक फैलाने के लिए ज़्यादा किया है, पहलगाम में आतंकवादियों ने हमला कर कई पर्यटकों की जान ली तो इसका खामियाजा पाकिस्तान की आवाम को भी भुगतना ही पड़ेगा. क्योंकि इस बार भारत अलग मूड में है. यही वजह है कि मोदी सरकार ने पाकिस्तानियों को देश से बाहर निकालने का फैसला लिया. आज यानी रविवार को पाकिस्तानी अपने देश लौट तो रहे है लेकिन मोदी सरकार के फैसले को लेकर गिड़गिड़ा भी रहे है. बॉर्डर पर वाहनों की लंबी कतार लग गई है, क्योंकि पाकिस्तानी सीमा पार करने के लिए सीमा सुरक्षा बल से मंजूरी का इंतजार कर रहे थे. कई लोगों ने अपनी यात्रा के अचानक समाप्त होने पर दुख व्यक्त किया। उनका कहना था कि सीमा पार पारिवारिक रिश्तों वाले निर्दोष लोग अक्सर राजनीतिक और सुरक्षा तनावों के बीच फंस जाते हैं. जोधपुर से लौट रही एक पाकिस्तानी महिला ने बताया कि मैं यहां एक महीने के लिए आई थी। 15 साल पहले मेरी शादी पाकिस्तान में हुई थी. इस तरह से वापस लौटना अजीब लगता है. एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक ने भावुक होते हुए कहा, "हां, हमने हमले के बारे में सुना है और निश्चित रूप से यह सब उसी की वजह से हो रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें जाना पड़ रहा है. ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए. दोनों सरकारों को सावधानी बरतनी चाहिए ताकि हमारे जैसे निर्दोष लोग प्रभावित न हों."
इसके अलावा एक अन्य पाकिस्तानी ने कहा कि मैं अपने बच्चों से मिलने आया था जो यहां रहते हैं. उन्होंने मुझे घटना के बारे में बताया. पहलगाम में जो कुछ हुआ वह बहुत गलत था. दिल्ली में अपने ससुराल वालों से मिलने आए एक अन्य शख्स ने कहा, "मुझे 45 दिनों का वीजा मिला है. मेरी पत्नी भारतीय है और वह वहां नहीं जा सकती. हमें ऐसा समाधान चाहिए जिससे हमारे जैसे परिवार मिल सकें. पहलगाम में जो हुआ वह भयानक है, इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए." एक महिला ने कहा, "मैं अपने पति और ननद के साथ 12-13 साल बाद अपनी बहनों से मिलने यहां आई थी. पहलगाम में जो हुआ वह बहुत गलत है और अपराधियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए. पीएम मोदी का फैसला समझ में आता है, लेकिन इतनी जल्दी चले जाना दुखद है."
बताते चलें कि आतंकियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल - पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी थीं. हमले में कम से कम 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े 'द रेजिस्टेंस फ्रंट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. इसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. नई दिल्ली ने इस्लामबाद के खिलाफ कई सख्त कूटनीतिक और रणनीतिक कदम उठाए हैं. इनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने, जैसे कई कदम उठाए हैं. भारत के इन फैसलों के बाद पाकिस्तान ने शिमला समझौते को स्थगित करने और भारतीय उड़ानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने जैसे कुछ कदम उठाए हैं.
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