'गिरेबान में झांके पाकिस्तान...', जवानों की मौत का मातम मना रही थी PAK आर्मी, US दूत ने जख्मों पर रगड़ा नमक
बीते दिनों TTP के साथ झड़प में पाकिस्तानी आर्मी के करीब 12 जवान मारे गए. वहीं कहा जा रहा है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के भी करीब 35 लड़ाके मारे गए थे. अब अमेरिका के दिग्गज दूत जो अफगानिस्तान से लेकर ईराक तक रह चुके हैं, उन्होंने पाक आर्मी को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दी है. एक तरह से उन्होंने पाकिस्तान के पुराने जख्मों को कुरेद दिया है.
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बीते दिनों तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमले में पाकिस्तानी सेना के 12 से ज्यादा जवान मारे गए. वहीं द्विपक्षीय झड़प में पाक आर्मी ने भी टीटीपी के करीब 35 लड़ाकों को मार गिराने का दावा किया. इसी बीच अमेरिका के पूर्व राजदूत ने पाक सेना के जख्मों पर नमक रगड़ दिया है. दरअसल अफगानिस्तान और ईराक के पूर्व राजदूत रहे जलमे खलीलजाद ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पाक आर्मी को तौर-तरीकों को लेकर घेरा है.
अमेरिका के दिग्गज दूत ने PAK आर्मी के जख्मों पर रगड़ा नमक
इस मसले पर अमेरिका के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रह चुके वरिष्ठ डिप्लोमेट खलीलजाद ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर पाक सरकार इस चुनौती का समाधान सिर्फ सैन्य ताक़त के इस्तेमाल में तलाश रही है, तो यह उनकी ग़लतफ़हमी है. खलीलजाद ने आगे कहा कि अब ज़रूरी है कि पाकिस्तान पॉलिटिकली इस मामले को डील करे, कोई सिविलियन स्ट्रैटेजी अपनाए और तालिबान के साथ बातचीत की पहल करे.
जलमे खलीलजाद का पाकिस्तानी सरकार पर बड़ा हमला
पूर्व राजदूत ने साफ़ कहा कि उन्हें लगता है कि इस समय पाकिस्तान के पास झड़पों से निपटने की कोई ठोस और विश्वसनीय रणनीति नज़र नहीं आती. केवल सैन्य कार्रवाई या ताकत के इस्तेमाल से हालात और बिगड़ सकते हैं. अगर सच में स्थिरता और शांति चाहिए, तो बातचीत का रास्ता ही आख़िरी उपाय है.
अमेरिकी राजदूत ने पाकिस्तान को दी अपने गिरेबान में झांकने की सलाह
उन्होंने पाकिस्तान द्वारा अमेरिका को दी जाने वाली सलाह जब वह अफगानिस्तान में तालिबान के साथ लड़ाई लड़ रहा था, इसकी भी याद दिलाई और कहा कि पाकिस्तान ने 2021 से पहले बार-बार अमेरिका और अफ़ग़ान सरकार को यही सलाह दी थी कि वे अफ़ग़ान तालिबान से संवाद शुरू करें और राजनीतिक समाधान निकालें. आज वही स्थिति पाकिस्तान के सामने मुंह बाए खड़ी है. सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार पाकिस्तान खुद उसी सलाह को मानेगा, जो वह दूसरों को देता आया है.
आपको बता दें कि TTP से झड़प के बाद पाकिस्तान सेना के ISPR ने प्रेस विज्ञप्ति में अफगानिस्तान की अंतरिम तालिबान सरकार पर इस तरह की गतिविधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया और कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि वो अपनी जमीन से ऐसे किसी हमले को प्रोत्साहित नहीं करेगी. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लिए पाकिस्तान- 'फितना अल ख्वारिज' शब्द का इस्तेमाल करता है.
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि करीब दो दिन पहले तड़के सुबह करीब 4 बजे पाकिस्ता के दक्षिण वजीरिस्तान से गुजर रहे सेना के काफिले पर घात लगा कर दोनों ओर से भारी हथियारों से हमला किया. इस हमले में 12 सैनिकों की मौत हो गई, जबकि चार घायल हो गए. प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि मारे गए टीटीपी आतंकी 10 से 13 सितंबर के बीच दो अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए. ख्वारिज में 22 और वजीरिस्तान में 13 आतंकी मिलाकर कुल 35 टीटीपी लड़ाकों को मार गिराया गया.
क्या है TTP?
पाकिस्तान लंबे समय से यह कहता रहा है कि उसे अफगानिस्तान के कुछ ' समूहों' से खतरा है. जिनमें टीटीपी और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) का नाम भी शामिल है. हाल के वर्षों में अधिकांश हमलों की जिम्मेदारी पाकिस्तानी तालिबान, जिसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या टीटीपी के नाम से भी जाना जाता है, ने ली है.
यह समूह अफगान तालिबान से अलग है, लेकिन कथित तौर पर उनके साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है. वहीं, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने सोशल मीडिया के जरिए हमले की जिम्मेदारी ली. यह हमला खैबर पख्तूनख्वा में हाल के महीनों में हुए सबसे बड़े हमलों में से एक है.
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